जैन दर्शन में संसार का अर्थ जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के अनवरत क्रम को कहते हैं। संसार को दुखों से भरा हुआ माना गया है अतः इसे त्याज्य माना गया है।

'संसार' का प्रतीकात्मक चित्रण