सतलज यमुना लिंक नहर अथवा एस.वाई.एल.  भारत में सतलुज और यमुना नदियों को जोड़ने के लिए एक प्रस्तावित 214 किलोमीटर (133 मील) लंबी नहर परियोजना है। हालांकि, इस प्रस्ताव में कई बाधाएं हैं, और वर्तमान में भारतीय सर्वोच्च न्यायलय में यह परियोजना लंबित है। एस.वाई.एल. वस्तुतः पंजाब और हरियाणा राज्यों के बीच नदी जल बंटवारे को संदर्भित करता है।

Proposed Canal Link - Status as on March 2016

इतिहास संपादित करें

इस विवाद की शुरूआत तब हुई, जब 31 अक्टूबर 1966 को पंजाब राज्य को पुनर्गठित किया गया और हरयाणा राज्य बना था। विवाद का प्रमुख जड़ है- नदी जल का बंटवारा। 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और फैसला किया कि दोनों राज्य अर्थात प्रत्येक 3.5 मिलियन एकड़ फुट प्राप्त करेंगे। जनवरी 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने परियोजना की खुदाई जारी रखने के लिए पंजाब सरकार को निर्देश दिया। 2003 में पंजाब ने इस दायित्व से मुक्त होने की सोचीI 2004 में पंजाब राज्य विधानमंडल ने भूमि को डिनोटिफाई करने के लिए "पंजाब टर्मिनेशन ऑफ़ अग्रीमेंट एक्ट-2004" पारित किया। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक प्रेसिडेंशियल रिफरेन्स दी गयी और मार्च 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई आरंभ किया। 2016 में पंजाब विधानसभा में पुनः एक विधेयक पास कर किसानों को अधिग्रहीत भूमि वापस करने की बात की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने विधेयक पर यथास्थिति का आदेश दिया है।

परियोजना की स्थिति संपादित करें

नहर का कार्य 85% तक पूरा हो गया है, और हरियाणा सरकार ने नहर के अपने हिस्से के कार्य को लगभग पूरा कर लिया है। हरयाणा ने अपने यहां नहर के 92 किमी के कार्य को पूरा कर लिया है।

लाभार्थी संपादित करें

इस परियोजना के पूर्ण होने पर हरयाणा सर्वाधिक लाभान्वित होगाI

सन्दर्भ संपादित करें