सत्यकेतु विद्यालंकार
सत्यकेतु विद्यालङ्कार (१९०३ - १६ मार्च १९८९) भारतीय इतिहासकार एवं लेखक थे।
सत्यकेतु विद्यालंकार गुरुकुल कांगड़ी के छात्र रहे जहाँ से उन्होने स्नातक किया। वे इतिहास के प्राध्यापक, उपकुलपति (१९७४), कुलाधिपति भी रहे। उन्होने सात खण्डों में 'आर्यसमाज का इतिहास' लिखा है। १९३६ में इतिहास में डी लिट करने के उद्देश्य से वे जर्मनी के क्युनिक विश्वविद्यालय गये। उनके थीसिस का विषय था, "भारत में प्रचलित जातिवाद का मूल स्रोत" ।
वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य भी रहे।
१६ मार्च १९८९ को कार दुर्घटना में उनका देहान्त हो गया।
कृतियाँ
संपादित करेंसत्यकेतु विद्यालंकार ने ५० से अधिक पुस्तकों की रचना की, उनमें से कुछ नीचे दी गयीं हैं-
- महाभारत युद्ध का काल (अंग्रेजी में)
- मौर्य साम्राज्य का इतिहास
- भारत का प्राचीन इतिहास
- प्राचीन भारत का राजनीतिक एवं सामाजिक इतिहास
- भारतीय इतिहास का पूर्व-मध्य युग
- प्राचीन भारतीय इतिहास का वैदिक युग
- अपने देश की कथा : भारतवर्ष का संक्षिप्त इतिहास
- प्राचीन भारत का धार्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक जीवन
- प्राचीन भारतीय शासन-व्यवस्था और राजशास्त्र
- प्राचीन भारत की शासन-संस्थाएँ और राजनीतिक विचार
- भारतीय संस्कृति और उसका इतिहास
- आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य
- सेनानी पुष्यमित्र
- पातलिपुत्र की कथा
- भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन का इतिहास
- आर्यसमाज का इतिहास
- अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
- एशिया का आधुनिक इतिहास
- यूरोप का आधुनिक इतिहास , 1789 से 1949 तक (१९५०)
- दक्षिण-पूर्वी और दक्षिणी एशिया में भारतीय संस्कृति
- नागरिकशास्त्र के सिद्धान्त
- राजनीति शास्त्र
- राजनीति शास्त्र (राज्य और राज्य शासन-२)
- अन्तर्दाह (उपन्यास)
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
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