सत्यदेव दुबे
सत्यदेव दुबे (19 मार्च 1936 -25 दिसम्बर 2011), भारतीय रंगमंच निर्देशक, अभिनेता, नाटककार, पटकथा लेखक और चलचित्र अभिनेता तथा निर्देशक थे। रंगमंच और चलचित्र से जुड़े महती कार्यों के लिए उन्हें १९७१ ई. में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। १९७८ में उन्होंने श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित हिंदी चलचित्र भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ पटकथा का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किया। १९८० ई. में उन्हें जुनून के लिए सर्वश्रेष्ठ संवाद का पुरस्कार मिला। २०११ में उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया।
जीवन परिचय
संपादित करेंसत्यदेव दुबे देश के शीर्षस्थ रंगकर्मी और फ़िल्मकार थे। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में 1936 में जन्मे सत्यदेव दुबे देश के उन विलक्षण नाटककारों में थे, जिन्होंने भारतीय रंगमंच को एक नई दिशा दी। उन्होंने फ़िल्मों में भी काम किया और कई पटकथाएं लिखीं. देश में हिंदी के अकेले नाटककार थे, जिन्होंने अलग-अलग भाषाओं के नाटकों में हिंदी में लाकर उन्हें अमर कर दिया। उनका निधन 25 दिसम्बर 2011 को मुंबई में हुआ।[1]
कार्यक्षेत्र
संपादित करेंधर्मवीर भारती के नाटक अंधा युग को सबसे पहले सत्यदेव दुबे ने ही लोकप्रियता दिलाई. इसके अलावा गिरीश कर्नाड के आरंभिक नाटक ययाति और हयवदन, बादल सरकार के एवं इंद्रजीत और पगला घोड़ा, मोहन राकेश के आधे अधूरे और विजय तेंदुलकर के खामोश अदालत जारी है जैसे नाटकों को भी सत्यदेव दुबे के कारण ही पूरे देश में अलग पहचान मिली।
सम्मान और पुरस्कार
संपादित करेंधर्मवीर भारती के नाटक अंधा युग को सबसे पहले सत्यदेव दुबे ने ही लोकप्रियता दिलाई. इसके अलावा गिरीश कर्नाड के आरंभिक नाटक ययाति और हयवदन, बादल सरकार के एवं इंद्रजीत और पगला घोड़ा, मोहन राकेश के आधे अधूरे और विजय तेंदुलकर के खामोश अदालत जारी है जैसे नाटकों को भी सत्यदेव दुबे के कारण ही पूरे देश में अलग पहचान मिली।
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "वयोवृद्ध रंगकर्मी सत्यदेव दुबे का निधन". एनडीटीवी इंडिया. 26 दिसम्बर 2011. मूल से 7 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 दिसंबर 2017.