सत्यदेव विद्यालंकार (१९०४ - २००३) भारत के स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार एवं हिन्दी लेखक थे। वे ‘हिंदुस्तान’ नामक हिन्दी समाचार पत्र के प्रथम सम्पादक थे। इस पत्र का प्रकाशन 1936से हो रहा है। उन्होंने लगभग सारा जीवन आर्य समाज के क्षेत्र में काम किया।

सत्यदेव विद्यालंकार का जन्म सन १९०४ में क्वेटा में हुआ था। उनके पिताजी का नाम पण्डित ठाकुर दास था। ठाकुर दास जी, स्वामी श्रद्धानन्द के परिचित और भक्त थे। वे आर्य समाज के अधिकारी थे । क्वेटा समृद्ध और फलफूल से भरा नगर था । वहाँ प्रायः गुरुकुल के लिए चन्दा एकत्र करने स्वामी श्रद्धानन्द जी तथा और विद्वान भी आते थे, जिन का वहाँ बहुत आदर सत्कार होता था ।

सत्यदेव जी ने सन १९१२ में गुरुकुल कांगड़ी में प्रवेश किया और १९२६ तक उसमें अध्ययन करते रहे। १९३० में डी. ए. वी. स्कूल मिण्टगुंमरी में अध्यापक बने । १९३९ में डी. ए. वी. कॉलिज जालन्धर में कार्य प्रारम्भ किया। वहाँ से अवकाश प्राप्त कर १९६५ में कन्या महाविद्यालय जालन्धर में कार्य किया । फिर १९६६ से १९८३ तक ऋषि दयानन्द स्मारक ट्रस्ट टंकारा में कार्य करते रहे।

सत्यदेव विद्यालंकार के तीन पुत्र और एक कन्या हैं। उनके पुत्र विजय कुमार रेलवे में काम करते थे। दूसरे पुत्र विनय एम. एस. सी. फार्मेस्यूटिक्स करके अमेरिका गये और वहाँ डाक्टरेट भी किया अब एक बहुत बड़ी कम्पनी में औषध निर्माण कार्य का सहायक हैं। तीसरे पुत्र विनोद शर्मा हैं। कन्या आशा संगीत में एम. ए. है।

कृतियाँ संपादित करें

  • धुन के धनी
  • लाला देवराज
  • राष्ट्रवादी दयानन्द
  • स्वामी श्रद्धानन्द
  • राष्ट्रधर्म
  • दीदी सुशीला मोहन
  • करो या मरो
  • आर्य सत्याग्रह
  • बीकानेर का राजनीतिक विकास और पण्डित मेघाराम वैद्य
  • राजा महेन्द्र प्रताप
  • लाल किले में
  • यूरोप में आजाद हिन्द ( आचार्य नरेन्द्र देव, सत्यदेव विद्यालंकार, सरदार राम सिंह रावल)

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें