सत्य हरिश्चन्द्र
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सत्य हरिश्चंद्र भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा लिखित चार अंकों का नाटक है। काशी पत्रिका नामक पाक्षिक हिन्दी पत्र में प्रकाशित यह नाटक पहली बार १८७६ ई. में बनारस न्यु मेडिकल हाल प्रेस में पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया। हरिश्चन्द्र की लोकप्रियता से प्रभावित होकर काशी के विद्वानों ने 1880 में उन्हें ‘भारतेंदु’ (भारत का चंद्रमा) की उपाधि प्रदान की।[1]
कथानक
संपादित करेंइसमें सूर्यवंशी के राजा हरिश्चन्द्र की कथा है।[2]हिन्दी नाटक के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने "सत्य हरिश्चंद्र" नाटक की रचना सन 1885 में की थी, जो "हरिश्चंद्र चन्द्रिका" में प्रकासित हुआ था और आज "भारतेन्दु ग्रन्थावली " के प्रथम भाग में उपलब्ध है।[3]
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
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- ↑ "भारतेन्दु हरिश्चंद्र की जयंती पर पढ़ें उनका नाटक 'अन्धेर नगरी'". अभिगमन तिथि 9 सितम्बर 2021.
- ↑ "सत्य हरिश्चन्द्र". अभिगमन तिथि 11 मार्च 2014.
- ↑ सुधीश, पचौरी (2009). पॉपुलर कल्चर. राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड.