सदस्य:ग्रहसंकेत/प्रयोगपृष्ठ

[1]नवग्रहमंत्र,जपसंख्या


ॐ सूर्याय नम: - जपसंख्या ७,००० -

वेळ :- सूर्योदय,

नैवेद्य - रविवार - गुळ भात

सूर्य गायत्री - ॐ आदित्याय विद्महे प्रभाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्

सूर्य बीजमंत्र  - ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूयार्य नमः

पुराणोक्त मंत्र  - जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महदद्युतिम् |

तमोरिंसर्वपापघ्नं प्रणतोSस्मि दिवाकरम् || १ ||

आदि /प्रत्यादी - ईश्वर /अग्नि


ॐ सोमाय नम: जपसंख्या ११,००० -

वेळ :- संध्याकाळी,

नैवेद्य -  चंद्र खीर

चंद्र  गायत्री - ॐ अमृतांगाय विद्महे कलारुपाय  धीमहि तन्नो सोम: प्रचोदयात्

चंद्र बीजमंत्र - ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः सोमाय नमः

पुराणोक्त मंत्र  - दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम् |

नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम् || २ ||

आदि /प्रत्यादी - उमा /आप


ॐ भौमाय नम: जपसंख्या १०,००० -

वेळ :- सूर्योदय ते १०.३०

, नैवेद्य - मंगल हविष्यांन  

मंगळ गायत्री - ॐ अंगारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो भौम: प्रचोदयात्

मंगळ बीजमंत्र - ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः

पुराणोक्त मंत्र  -   धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांति समप्रभम् |

कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणाम्यहम् || ३ ||

आदि /प्रत्यादी - स्कंध /पृथ्वी


ॐ बुधाय नम: जपसंख्या ४,०००-

वेळ दुपारी १२.०० ते ३.००,

नैवेद्य -  बुध- दुध भात

बुध गायत्री - ॐ सौम्य रूपाय विद्महे वाणेशाय  धीमहि तन्नो बुध: प्रचोदयात्

बुध बीजमंत्र -  ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः

पुराणोक्त मंत्र  - प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम् |

सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् || ४ ||

आदि /प्रत्यादी - विष्णू / नारायण


ॐ वृहस्पतये नम: जपसंख्या १९,००० -

वेळ :- सूर्योदय गुरु

नैवेद्य - दही भात

गुरु गायत्री - ॐ आंगिरसाय विद्महे दिव्य देहाय   धीमहि तन्नो वृहस्पती: प्रचोदयात्

गुरु बीजमंत्र -  ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः

पुराणोक्त मंत्र  -    देवानांच ऋषीनांच गुरुं कांचन सन्निभम् |

बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् || ५ ||

आदि /प्रत्यादी - ब्रह्म /इंद्र


ॐ शुक्राय नम: जपसंख्या १६,००० -

वेळ :- सूर्योदया अगोदर,

नैवेद्य - तूप भात

शुक्र गायत्री - ॐ भृगुजाय विद्महे दिव्य देहाय   धीमहि तंन्नो शुक्र: प्रचोदयात्

शुक्र बीजमंत्र - ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः

पुराणोक्त मंत्र  - हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् |

सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् || ६ ||

आदि /प्रत्यादी - इंद्र /इंद्राणी


ॐ शनैश्चर नम: जपसंख्या २३,००० -

वेळ :- संध्याकाळी,

नैवेद्य -  तीळ उडदाची खिचडी

शनि गायत्री - ॐ भगभवाय विद्महे मृत्युरुपाय   धीमहि तंन्नो शनैश्चर: प्रचोदयात्

शनि बीजमंत्र - ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्र्चराय नमः

पुराणोक्त मंत्र  - नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् |

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम् || ७ ||

आदि /प्रत्यादी - यम /प्रजापती


ॐ राहवे नम: जपसंख्या १८,००० -

वेळ :- रात्री ८.३० ते ११.३०

नैवेद्य - तिळाचे पदार्थ

राहु गायत्री - ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय   धीमहि तन्नो राहु: प्रचोदयात्

राहु बीजमंत्र - ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः

पुराणोक्त मंत्र  -    अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनम् |

सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् || ८ ||

आदि /प्रत्यादी - काल /सर्प


ॐ केतवे नम: जपसंख्या १७,००० -

वेळ :- रात्री ८.३० ते ११.३०

नैवेद्य - तिळाचे पदार्थ

केतू गायत्री - ॐ पद्मपुत्राय विद्महे अमृतेशाय   धीमहि तंन्नो शनैश्चर: प्रचोदयात्

केतू बीजमंत्र - ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः

पुराणोक्त मंत्र  - पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकम् |

रौद्रंरौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् || ९ ||

आदि /प्रत्यादी - चित्रगुप्त /ब्रह्म


स्मरण - गणपती , दुर्गा , वायु , आकाश , अश्विनीकुमार, क्षेपाल , वास्तुपुरुष


दिशा अधिपती - इंद्रय , अग्नये, यम, निरूर्तये, वरुणाय, वायवे, सोमाय, ईशानाय, ब्रह्मणे, अनंताय

  1. अग्निहोत्री, प्रकाश. नवग्रह मंत्र.