सदस्य:चंद्र शेखर/प्रयोगपृष्ठ
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१८९० के दशक के प्रारंभिक वर्ष ललित कला में बदलाव का समय था। एक नए तरीके, प्रतीकवाद जो दर्शनीय संसार के चित्रण को और अधिक पूर्ण करता था, का उभार हुआ। उस समय सिम्बर्ग जो कि पारम्परिक रूप से शैक्षिक अटेनियम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे ने बहुत साहस करके एक्सेल गैलेन जो रूवेसी में 'वाइल्डरनेस स्टुडियो' का निर्माण कर रहे थे को लिखकर अनुरोध किया और उनके यहाँ एक निजी छात्र के रूप में प्रवेश माँगा।
गुरु के सकारात्मक उत्तर ने सिम्बर्ग के पेशेवर जीवन में एक नए अध्याय के शुरुवात की आधारशिला रख दी थी। सिम्बर्ग के लिए रुवोसी में बिताया समय उनकी अपनी रचनात्मकता को ढूँढने का काल था। शहरी जीवन की भागमभाग और जिम्मेद्दारियों को पीछे छोड़ते हुए उनका अब अचानक से फिनिश जंगलों और अंधेरे पतझड़ के मौसम से सामना हुआ था।
१८९५ में बनाई गई, परी कथा १ सिम्बर्ग की उन प्रमुख कृतियों में से एक है जिसमें प्रकृति के शक्तिशाली प्रभावों, सिम्बर्ग के काल्पनिक संसार और उनके कलात्मक लक्ष्यों को एक बिल्कुल ही नए रूप में पिरो दिया गया है।
मेरी समझ से एक कलाकृति वो कार्य है जो मुझे दूसरी दुनिया के बारे में बताती है और मुझमें उन भावनाओं को जगाती है जिसे कलाकार कहना चाहता है। यह आवश्यक है कि यह मुझे उन बातों को सोचने पर विवश करने वाली होनी चाहिए जिसके बारे में हम प्रतिदिन नहीं सोचते और इसकी छवि और इससे उपजे विचार मेरे मष्तिष्क में लंबे समय तक बने रहने चाहिए। यह बेहद स्पष्ट है कि ऐसा प्राकृतिक रह कर किया जा सकता है लेकिन यह और भी स्पष्ट है कि इसे शैलीकरण के जरिए और आसानी से किया जा सकता है।
- ह्युगो सिम्बर्ग अपने जुडवा भाई पॉल सिम्बर्ग को २ फरवरी १८९६ को लिखे एक पत्र में। ह्युगो सिम्बर्ग अभिलेखागार, फिनिश राष्ट्रीय दीर्घा।
डेलीआर्ट में आज, पब्लिक डोमेन, शुरुवाती सेमी, इंच, कैनवास पर तेल तैल चित्रण, पैनल पर तेल, व्यास, ल०, सुनहरे तांबे के फ्रेम में, स्फटिक
ईख और पंख की कलम और भूरा रंग और काला चॉक
हेनरी रैबर्न, एक स्वशिक्षित स्कॉटिश चित्रकार, एलन बंधु (जेम्स और जॉन ली एलन के स्वचित्र) के माध्यम से रूमानी दौर के स्वचित्र चित्रण की एक श्रेष्ठ प्रस्तुति देते हैं। इन दो चित्रों वाले स्वचित्र में एक बडा भाई है और एक युवा भाई है जो विभिन्न शैलियों में अलग अलग कार्यों में लिप्त हमारी ओर देख रहे हैं। इस क्षण में हमें उनके यौवन की उर्जा का एहसास होता है, वो किसी साहसिक कार्य के लिये तैयार प्रतीत हो रहे हैं। वो कोई घुड़सवार भाला-युद्ध खेल खेल रहे हो सकते हैं या केवल पुरानी रखी टोपियों को डंडे से मार रहे हों, फिर भी अच्छे से औपचारिक कपड़े पहने हुए और सावधानी की मुद्रा में हैं। एक भाई खडा है जबकि दूसरा एक बेंच पर पैर फैलाए हुए है। यहाँ पूरा ध्यान तो भाईयों की ओर है लेकिन फिर भी आसमान, एक बेंच और माहौल को सावधानी से गहरे रंगों और चौड़ी रेखाओं से चित्रित किया गया है।
ऱैबर्न ने एडिनबर्ग में १५ वर्ष की उम्र में एक नौसिखिए सोनार के रूप में काम शुरु किया था और उसके बाद १७६० में लोगों के छोटे चित्रों को बनाने की अपनी प्रतिभा को पहचानते हुए चित्रकारी शुरु की। इसके बाद वो पूरी तरह से पूर्ण तैल चित्रण के क्षेत्र में उतर गये जहाँ उनके स्वशिक्षित कार्यों को सम्मान और पुरस्कार मिला। उनका अच्छा विवाह हुआ और आर्थिक स्वावलंबन और सुरक्षा मिलने से उनकी भेंट लंदन के रोयल अकादमी के अध्यक्ष सर जोशुआ रेनॉल्ड्स से हो पाई और वो इतिहास के महान कलाकारों के बारे में पढने इटली जा पाए। वो स्कॉटलैंड लौटे और व्यक्तिगत (पोट्रेट) चित्रों के चित्रकार के रूप में बढियाँ पेशेवर जीवन जिया। प्रारंभिक रेखाचित्रों में यकीन ना रखने वाले वो केवल जीवंत रूप में अपने सामने बैठे हुए व्यक्ति का चरित्र बखूबी गढ़ देते थे। रंगों और प्रकाश का उपयोग करने के उनके तरीके अनूठे और कल्पनाशील हैं। छोटे चित्रों को बनाने के रेबर्न के कौशल ने उन्हें विशाल चित्रों को चित्रित करने वाले उनके पेशे में बहुत सहायता की। - ब्रैड एलेन
हेलेन
संपादित करेंरॉबर्ट हेनरी (१८६५-१९२९) एक अमेरिकी चित्रकार और शिक्षक थे जो कि सामान्य पृष्ठभूमि वाले आम लोगों के प्रगाढ़ चित्रण के लिए जाने जाते थे। वो अपने कार्यों मे जीवन का साहसी हिस्सा दिखाना चाहते थे और उस समय प्रसिद्ध कुलीन और ललित विषयों के विरुद्ध थे। परिवार के न्यूयॉर्क जाने के बाद हेनरी ने अपनी पहली कलाकृति १८ वर्ष की उम्र में चित्रित की। कला के क्षेत्र में पेशेवर काम करने की अपनी इच्क्षापूर्ति के लिये हेनरी विदेश पढ़ने गए और पेरिस के प्रसिद्ध और सम्मानित इकोल डी ब्युक्स ऑर्ट्स में प्रवेश पाया जहाँ उन्होंने शैक्षिक यथार्थवाद के शैली की पढ़ाई की।
अंतत: हेनरी न्यूयॉर्क लौट आए जहाँ उन्होंने पेरिस में सीखी हुई अकादमिकता को छोड़ दिया और शहरी यथार्थवाद पर ध्यान देते हुए चित्रकारी शुरु की जिसमें कामकाजी लोग और संबंधित परिदृश्य चित्रित किए गये थे। उन्होंने ऐश्कैन विद्यालय की शुरुवात की और इस आंदोलन के आध्यात्मिक पिता कहलाए। ऐश्कैन विद्यालय अकादमिक चित्रकारी की कलाओं की उपेक्षा करते हुए जीवन को और अधिक यथार्थवादी परिपेक्ष्य में दर्शाता है जो उनके समय और अनुभव के बारे में बताता है।
उनकी रूचि गतिशील समरूपता में भी हुई जो कि चित्रकला में नियमों और संयोजन को परिभाषित करने वाली एक जटिल प्रणाली है। उनका बनाया हुआ चित्र हेलेन इसी प्रणाली द्वारा चित्रित उनके कुछेक कलाकृतियों में से एक है। हेनरी ने मजबूती से जोर देकर बनाई हुई रेखाओं और गहरे रंगों का प्रयोग करके उसकी त्वचा के पीलेपन की तुलना में अंतर दिखाकर चित्र में चमक और प्राण भर दिए।
रॉबर्ट हेनरी की ६४ वर्ष की उम्र में कैन्सर की वजह से मृत्यु हो गई जिसके बाद मेट्रोपॉलिटन कला संग्रहालय में उनकी ७८ कलाकृतियों की स्मारक प्रदर्शनी लगाकर उन्हें सम्मानित किया गया है।
हेईदी वर्बर
मैक्स अर्न्स्ट का स्वचित्र
संपादित करेंलिओनोरा कैरिंग्टन (१९१७-२०११) एक अतियथार्थवादी चित्रकार और लेखिका थीं। एक अंग्रेज उद्योगपति की बेटी कैरिंग्टन ने अपना बचपन जानवरों से घिरे हुए परीकथाएँ (कुछ उन्होंने स्वयं लिखीं) और कहानियाँ पढ़ते हुए एक रियासत में बिताया। अपनी जवानी में उन्होंने इन यादों को स्वपनिल चित्रों के ज़रिए जिया। लिओनोरा के मैक्स अर्न्स्ट के साथ रूमानी संबंध थे लेकिन द्वितिय विश्व युद्ध ने उन्हें अलग कर दिया। दुश्मन ने उसे जेल में डाल दिया था। लिओनोरा स्पेन में बच के भाग गई लेकिन इसके बाद अवसादग्रस्त हो गई क्योंकि वो अपने प्रेमी को बचा नहीं पाई। उसने कुछ समय एक मानसिक अस्पताल में बिताया और फिर मेक्सिको चली गई। मैक्स अर्न्स्ट का यह चित्र उस जीवनकाल की एक गवाही है।
यह चित्र जो कि बहुत ही प्रतीकात्मक और रहस्यपूर्ण है व्याख्याओं की उपेक्षा करता है। मैक्स अर्न्स्ट एक जादूगर के जैसे लाल फर का कोट और पट्टीदार मोजे पहने हुए है। किसी चिड़िया के जैसी वेशभूषा अर्न्स्ट की कलाकृतियों में मौजूद सभी पक्षियों के होने का संकेत कराती है। एक और चित्र है जिसमें मैक्स अर्न्स्ट १९५८ के एक समारोह में एक चिड़िया के जैसी वेशभूषा पहने हुए है। मैक्स के बर्फीले सफेद बाल उसके आसपास के आर्कटिक के परिदृष्य से मिलते जुलते हैं।
सफेद घोड़ा संभवत: लिओनोरा के परिवर्तित स्वाभिमान को दर्शाता है। घोड़ा चित्रकार के कुल जानवर जैसा भी प्रतीत होता है चूंकि वह इनकी अधिकांश कलाकृतियों में एक नायब प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित है। घोड़ा "द इन ऑफ़ द डॉन हॉर्स" नामक एक अन्य चित्र में उपस्थित एक हाइना के जैसी ही जमी हुई अवस्था में है। यहाँ घोड़ा हरे भरे परिदृष्य में स्वछंद भ्रमण करता हुआ नहीं दिखता है। वह जल पर तैरते हुए बर्फ़ के एक टुकड़े पर फंसा हुआ है और बर्फ के टुकड़ों में जमा हुआ है। यह दर्शा सकता है कि उसका हृदय हमेशा ही मैक्स अर्न्स्ट का रहेगा। अपनी जमी हुई निगाहों और बेजान आंखों के साथ सफेद दर्शनीय घोड़े की तुलना फुसेली के "द नाइटमेयर" में उपस्थित घोड़े के साथ की जा सकती है। अर्न्स्ट के द्वारा ले जाया जा रहा लालटेन किसी प्रयोगशाला की बोतल के जैसा है और कलाकार को किसी अकेले रसायनज्ञ के रूप में प्रदर्शित करता है। अंदर की ओर छोटा घोड़ा इस रिश्ते में लिओनोरा के संघर्ष और कष्टों को दिखाता है। यह इस दौर की अनिश्चितताओं और चिंताओं को दर्शाता है। - टोनी गौपिल
फर्घाना नहर
संपादित करें"रेड स्टार ओवर रशिया: ए रिवोल्युशन इन विज़ुअल कल्चर 1905 – 55 " (रूस के उपर लाल सितारा: दृश्य संस्कृति में एक क्रांति १९०५-५५) से एक और चित्र अभी कुछ समय पहले ही लंदन में टेटे मॉर्डर्न में दर्शाया गया था (नवंबर 2017 – फरवरी 2018)।
सोवियत संघ में निर्माण (यूएसएसाआर इन कंस्ट्रक्शन) एक पत्रिका थी जो हर माह मॉस्को से १९३० से १९४१ तक प्रकाशित होती थी जिसकी रचना सोवियत नागरिकों को देश में बड़े पैमाने पर हो रहे निर्माण कार्यों के बारे में बताने और सोवियत संघ को एक अग्रणी औद्योगिक शक्ति के रूप में प्रदर्शित करने के लिए की गई थी। सोवियत कर्मचारियों को नायकों के जैसे मुस्कुराते हुए और कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों से हो रहे बदलाओं से स्फूर्तिवान और दृढ़ होते हुए दिखाया गया था। उस समय के कई प्रमुख आलेख रचनाकार (ग्राफ़िक डिज़ायनर), छायाचित्रकार और कलाकार मुख्य पृष्ठ की संरचना के जिम्मेदार थे। १९४० के इस मुखपृष्ठ जिसकी संरचना एल लिस्सित्स्की और उनकी पत्नी सोफ़ी लिस्सित्स्की-कुपर्स ने मैक्स एल्पर्ट के छायाचित्र की सहायता से किया था १६० ००० उज़्बेक और ताज़िक खेतिहर मजदूरों में से एक को दर्शाता है जो अपने काम के उस उपकरण को दिखा रहा है जिसकी सहायता से नहर को बनाने के लिए संक्लपित है जो फर्घाना घाटी के सूत के खेतों की सिंचाई का काम करेगी। यह उद्यम स्टैलिन के रूस में साम्यवाद के अंतर्गत औद्योगिकरण और खेती के सामूहीकरण के प्रयास को दर्शाता है। मुखपृष्ठ इमानदारी से किये गए कठिन कार्यों से मिलने वाले नतीजों का एक सकारात्मक संदेश देता है साथ ही स्टैलिनराज के गुणों को भी दिखाता है। सिंचाई के पानी की अधिक उपलब्धता होने से सूत की फसल दोगुनी हो गई थी।
सैमसन और डेलीलाह
संपादित करेंहिब्रु बाइबल में बुक ऑफ़ जज़ेज के सोलहवें अध्याय में उल्लेखित एक महिला है। न्यायाधीषों की पुस्तक सैमसन, नजरथ का एक निवासी जो कि बहुत शक्तिशाली है और इज़रायल का अंतिम न्यायाधीष है, उसका प्रेमी है। डेलीलाह को फिलिस्तीन के सरदारों द्वारा उसकी शक्ति का स्रोत पता लगाने के लिए घूश की पेशकश की जाती है। तीन बार की नाकाम कोशिश के बाद आखिरकार वो सैमसन से यह कुबुलवाने में सफल रहती है कि उसकी अपार शक्ति का राज उसके बालों में छिपा है। जब वो सो रहा होता है तो डेलीलाह एक नौकर को आदेश देती है कि उसके बाल काट दिए जाएँ ताकि वो कमजोर हो जाए और उसे फिलिस्तीनियों को सौंपा जा सके।
यह दृष्य यहाँ देखा जा सकता है, डेलीलाह की आगोश में सैमसन नाटकीय ढंग से हल्की नींद में सोया हुआ है। फिलिस्तीनी सैनिक पास खड़े इस काम के खत्म होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि वो उसे बंदी बना सकें। वैन डिक के इस दृश्य में डेलीलाह पर ध्यान केंद्रित है। चित्र में प्रकाश उसकी ही ओर केंद्रित है जबकि किनारों पर अंधेरा है। वो आभूषण पहने हुए अर्धनग्नावस्था में महंगे जड़ीदार सूती धागे से बने बिस्तर पर आलीशान रेशमी वस्त्रों में लिपटे हुए पड़ी हुई है। डेलीलाह की सफेद दूधिया रंग वाली त्वचा सांवले सैमसन से बिल्कुल अलग दिखती है जो कि केवल एक लंगोट में लिपटा हुआ है। नाई के हाथों में भेंड़ों के बाल काटने वाले बड़े चाकू जैसा कोई औजार दिखाकर वैन डिक इस दृष्य को और नाटकीय बना देते हैं।
ईताई पुल से त्सुकुदाज़िमा, क्रम ४
संपादित करेंडेलीआर्ट में आज: इडो के १०० प्रसिद्ध दृश्य कागज पर लकड़ी के टुकड़े से मुद्रण
मुझे इस लकड़ी के टुकड़े के शांत वातावरण से प्यार है। किसी समंदर किनारे की शांत रात की मैं ऐसे ही कल्पना करता हूँ। इडो की खाड़ी में यह दृष्य इस शृंखला के उन कुछ ही मुद्रित चित्रों में से एक है जिसमें हिरोशिगे ने तारों वाली रात का चित्रण किया है। मछली मारने वाली नावें त्सुकुदाज़िमा द्वीप से आई हैं जिन्हें आप चांदनी रात की रोशनी में देख सकते हैं। इस क्षेत्र में शोगुन के कर्मचारी मछुआरे छोटी आर पार दिखने वाली मछलियों शिराऊ (सफेद मछली) को पकड़ रहे हैं, जिसके स्वाद को स्वयं शोगुन बहुत पसंद करते थे।
स्व-चित्र
संपादित करेंफिनिश राष्ट्रीय चित्रदीर्घा ने अपने संग्रह में से उत्कृष्ट कृतियों की प्रतिकृतियों का मुद्रण जल्द ही शुरु किया है। यूरोपियाना की सहायता से हम उनके कार्यों को अगले दो रविवारों तक प्रदर्षित करेंगे। आनंद लें! एलिन डैनियलसन-गैम्बोगी एक फिनिश चित्रकार थीं जिन्हें उनके यथार्थवादी कार्यों और चेहरे के चित्रों (पोर्ट्रेट) के लिये ज्यादा जाना जाता है। फिनिश महिलाओं की उस पहली पीढ़ी, कथित "चित्रकार बहनें" वाली पीढ़ी का हिस्सा थीं जिन्होंने चित्रकारी की पेशेवर शिक्षा हासिल की।
अपने बचपन से ही एलिन ने कला में एक प्राकृतिक प्रतिभा का प्रदर्शन किया। १५ वर्ष की उम्र में वो हेलसिंकी चली गईं जहाँ उन्होंने फाइन आर्ट्स अकादमी में पढ़ाई शुरु की। १८८३ में वो पेरिस चली गईं जहाँ उन्होंने कोलारोस्सी अकादमी में पढ़ाई की, जबकी गर्मियाँ ब्रिटनी में चित्रकारी करते हुए बिताईं।
छात्रवृति मिलने के बाद १८९५ में वो फ्लोरेन्स चली गईं। एक साल बाद वो एंटीग्नैनो गाँव चली आईं जहाँ उनकी मुलाकात और शादी इटैलियाई चित्रकार रैफेलो गैम्बोगि (१८७४-१९४३) से हुई। उन्होंने पेरिस, मिलान और फ्लोरेन्स सहित कई फिनिश शहरों में प्रदर्शनियाँ लगाईं।
उन्होंने स्वयं को आधे में चित्रित किया है शीशे या देखने वाले की तरफ हल्का मुड़े हुए। वो एक हाथ में एक तैल पट्टिका और दूसरे में एक पतला ब्रश पकड़े हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वो अपना स्व-चित्र दायें हाथ से चित्रित कर रही हैं लेकिन शीशे में चीजें बदल जाती हैं, यानि बायाँ हाथ दाएँ हाथ के जैसा दिख रहा है। जो सही है? पार्ष्व में पतला परदा प्रकाश को हल्का कर देता है। चित्रकार का सिर प्रकाश के प्रभामंडल से घिरा हुआ है। क्या वहाँ रोशनदान के आलावा भी प्रकाश का कोई स्रोत है? कलाकार स्वयं को देख कैसे रही है?
सरदानापालुस की मृत्यु
संपादित करें१७९८ में आज ही के दिन फर्डीनंड विक्टर युजीन डेलाक्रोइक्स, एक फ्राँसीसी रूमानी चित्रकार जिन्हें अपने पेशेवर दिनों से ही फ्रांसीसी रूमानी विद्यालय के नेता की उपाधि हासिल है, पैदा हुए थे। इस चित्र का विषय लॉर्ड बाइरोन की १८२१ में एक असीरीयाई राजा सरदानापालुस की जीवन पर लिखी गई एक नाटकीय कविता से प्रेरित है। अपने महल को दुश्मनों से भरा पाने पर वह आत्महत्या करने का निर्णय लेता है लेकिन उसके पहले वह अपने अधिकारियों को अपनी पत्नी, उसकी सहायिकाएँ, घोड़ों और यहाँ तक की कुत्तों सहित सभी कीमती सम्पत्तियों और वस्तुओं को अपने सामने नष्ट करने का आदेश देता है। डेलाक्रोइक्स ने पहले इस चित्र को सैलोन में १८२७-२८ के दौरान प्रदर्शित किया, जहाँ इसे बेहद कटु आलोचना झेलनी पड़ी।
डेलाक्रोइक्स की सरदानापालुस की मृत्यु एक खास वजह से विवादित और ध्रुवीकरण करने वाली थी: यह एक नवशास्त्रीय चित्र नहीं था। डेलाक्रोइक्स के लिए मुख्य चरित्र सरदानापालुस था, एक ऐसा राजा जो लोगों और ऐशोआराम की वस्तुओं सहित अपनी सभी सम्पत्तियों को अति हिंसा की रक्तरंजित की चिता में जला देना चाहता था। यह व्यक्ति कोई नायक नहीं था। डेलाक्रोइक्स का सरदानापालुस नवशास्त्रीय परम्पराओं के विपरीत था, जो की सादे रंगों, कठोर जगहों और एक नैतिक विषय वस्तु की पक्षकार थीं। उसने अग्रसंक्षेपण कर मृत्यु के दृष्य को घुमाते हुए सीधे देखने वालों के जहन तक पहुँचाने का काम किया था, जो कि पारम्परिक शैक्षणिक चित्रकला में सादे क्रम के विपरीत था। एक समीक्षक ने तो चित्र को "कुरूपता का कट्टरपन" तक कह दिया था।
यह चित्र एक अधिक विशाल कृति की प्रतिलिपि हीहै जो कि अभी मुसे डी लुवरे में स्थित है। डेलाक्रोइक्स ने शायद संग्रहालय में रखे इस संस्करण को १८४६ में बड़ी कृति को बेचने से पहले अपने लिए चित्रित कर लिया होगा।
राख
संपादित करेंऐशेज़ यानी राख में मंच ने एक नव युगल को अंधेरे जंगल में दिखाया है। वातावरण मायूसी और नाउम्मीदी से भरा हुआ है। पुरुष बाँई ओर सिर पर हाथ रखे बैठा हुआ है। उसका चेहरा हरा हो गया है, वो बीमार प्रतीत होता है। महिला बीच में अपने दोनो हाथ लंबे लाल बालों पर रखे खड़ी है। उसकी आंखे चित्र देखने वाले को देख रही हैं और उसके चेहरे पर मायूसी और वीरानेपन की रेखाएँ है।
राख का मूल भाव कमी या खालीपन से है। प्यार की कमी, आपसी मेल जोल, सवांद और जीवन की खुशी की कमी। अपनी भावुक भाव भंगिमा के साथ साथ एक अपराध बोध की अनुभुति जो कि उन्हें बोझिल करती लग रही है के होते हुए भी जोड़ा बहुत ही प्रभावी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
ऐरी मैटामो (एक राजसी अंत)
संपादित करेंमैंने अभी खत्म किया है एक कटा हुआ कनक (पैसिफिक द्वीपवासी का) सिर, सफेद गद्दे पर अच्छे से व्यवस्थित, मेरे द्वारा खोजे गए एक महल में मेरे द्वारा ही ढूंढ़ी गई महिलाओं की सुरक्षा में। -- पॉल गौग्विन
अपने मित्र डैनियल डि मोनफ्रीड को लिखते हुए पॉल गौग्विन ने लगभग रूखेपन से एक कटे हुए सिर के इस आश्चर्यजनक चित्र का संदर्भ दिया है जिसे उन्होंने पोलिनेशिया में अपने पहले प्रवास के दौरान १८९० में बनाया था। वास्त्विक घटनाओं जैसे कि गौग्विन के आने के कुछ ही समय बाद हुई ताहिती राजा पोमारे पंचम की मृत्यु से लेकर कुछ वर्ष पहले गुलिओतिन द्वारा जनता के सामने किसी को दिये दिए गये मृत्युदंड को चित्रकार द्वारा देखे जाने ने संभवत: चित्र के लिए ऐसे वीभत्स विषय की प्रेरणा दी होगी। गौग्विन ने ताहिति शब्दों "ऐरी" और "मैटामो" को चित्र फलक के उपरी हिस्से में बाँई ओर लिखा है। पहले का अर्थ "कुलीन" और दूसरे का "सोती हुई आँखें" हैं, एक अर्ध वाक्य जिसका तात्पर्य मृत्यु से है।
प्रतीकवादी चित्रकारों, गौग्विन सहित को कटे हुए सिरों और उससे संबन्धित वस्तुओं के लिए अनुराग रहता था जैसे कि ऑर्फियस और जॉन द बैपटिस्ट। लेकिन सामान्य तौर पर गौग्विन बिना रोक टोक पूर्वी और पश्चिमी कल्पनाओं को चित्रों में मिलाते थे। मृत्यु के प्रति उनकी सनक जो कि उनकी समस्त ताहिती चित्रकलाओं में नज़र आती है, आध्यातमिक विश्वासों या वो जो अपने आसपास देखते थे उससे कम बल्कि वो स्वंय को कैसे देखते थे से ज्यादा संबन्धित लगती है। गौग्विन स्वंय को आधुनिक समाज द्वारा प्रताणित एक शहीद समझते थे जिसने उन्हें "आदिम" संस्कृति की ओर भागने को मजबूर कर दिया था।
स्रोत: जे० पॉल गेट्टी संग्रहालय।
टर्की पाई के साथ स्थिर जीवन
संपादित करेंयह बैन्कित्ये (छोटा प्रीतिभोज) केवल एक प्रभावशाली टर्की पाई ही नहीं दिखाता है बल्कि कई अन्य भोज्य और पेय पदार्थों को भी एक स्थिर जीवन चित्र में दिखाता है। वाइन की एक ग्लास, कई ओइस्टर, आधे कटे नीबुओं का एक जोड़ा, लपेटा हुआ मिर्च पाउडर से भरा पंचांग का एक कागज। वाइन का चमकदार जग प्रकाश परावर्तन का एक उत्कृष्ट नमूना है। जग पर हम केवल बिछे हुई मेज और खिड़की ही नहीं बल्कि चित्रफलक के पीछे चित्रकार की एक परछाईं भी देखते है। स्थिर जीवन का यह दृष्य १६२७ में चमकीले रंगों में रंगा गया है। १६३० से पहले तक एकरंगी (श्यामवर्णी) स्थिर जीवन चित्र बहुत लोकप्रिय नहीं थे।
महिला का गोरा चेहरा लो
संपादित करेंइस चित्र की महिला किसी भी समय की सबसे सुन्दर परी है। उसके पास इसे साबित करने के लिए तितलियों का मुकुट और पंखों के जोड़े हैं।
उसका यह सुन्दर चित्र उन्नीसवीं सदी की फ्रेंच-अंग्रेज कलाकार सोफ़ी गेंगेम्ब्रे एंडरसन (१८२३-१९०३) का कार्य है। एंडरसन ने अपना पूरा पेशेवर जीवन आदर्श बच्चों विशेषत: सुन्दर लड़कियों को चित्रित करने में बिताया। वह देहाती बच्चों को ग्रामीण परिवेश में, धनाढ्यों के बच्चों को आरामदायक घरों में और पौराणिक कहानियों में व्यक्त अलौकिक पात्रों को चित्रित करती थीं। इस चित्र की परी चार्ल्स ईडे की एक कविता से प्रेरित हो सकती है।
मुझे लगता है विवरण, रंग और प्राकृतिकता सभी मिलकर इस कलाकृति को अद्भुत बना देते हैं। परी का चमकता चेहरा और बाल, स्वर्णिम किनारों के गोटे वाली उसकी पारदर्शी सफेद पोशाक और चमकीला मुकुट सहित पीलेपन वाली हरियाली वाला पूरा रंगीन संयोजन इस चित्र की प्रमुख विशेषताएं हैं। आकृति के पीछे धुंध का चित्रण जो किसी और दुनिया के वातावरण जैसा ऐहसास कराती है माहौल में और रंग भरते हैं। अब चूंकि ब्रश चलाने में इनकी कुशलता इतनी ज्यादा थी यह यकीन करना मुश्किल होता है कि एंडरसन मुख्यत: स्वशिक्षित थीं।
एंडरसन के विषय उन्नीसवीं सदी के यूरोपीय कला आंदोलनों जैसे रूमानियत और पुरा-राफेलई में लोकप्रिय थे। वो अपने समय में सफल थीं लेकिन उनके सुंदर और भावुक कार्य बीसवीं सदी में बहुत नहीं चले। हालांकि हो सकता है कि वो वापसी करें, वैसे २००८ में उनकी एक कलाकृति दस लाख ब्रिटिश पाउंड से भी ज्यादा में बिकी। - ऐलेक्ज़ेन्ड्रा केली
लोथेयर स्फटिक
संपादित करें८५५ में पूर्वी कारोलिंगियाई साम्राज्य एक बुरी स्थिति में था। पूर्व में चार्लीमैग्ने (७६८-८१४) द्वारा शासित विशाल आलिशान क्षेत्र को बाद में वर्डुन की संधि ने तीन विभिन्न साम्राज्यों में विभाजित कर दिया था, जिनमें हर एक चार्लीमैग्ने के पोतों द्वारा प्रशासित थे। यह स्थिति और बुरी हो गई जब इनमें से एक राज्य मध्य फ्रैन्किश राजा लोथर की ८५५ ई० में मृत्यु के बाद उसके तीन पुत्रों में बंट गया। लोथर द्वितीय को मध्य फ्रैंकिया मिला जिसे लोथैरिंगिया के नाम से भी जाना गया जो आज के आधुनिक लोरैन का पूर्वज है। हालांकि लोथर द्वितीय प्रमुख रूप से अपने अन्य राजसी संबन्धियों के साथ झगड़ों में व्यस्त था उसे ८६९ में अपनी मृत्यु से पहले इस स्फ़टिक के निर्माण का आदेश देने का समय मिला गया। यह ऐपोक्रिफा में वर्णित सुज़ाना की कहानी बयाँ करता है।
हालांकि स्फ्टिक के इस टुकड़े को फ्रेम में पंद्रहवीं शताब्दी में जड़ा गया था, इस पर दिख रही प्रमुख दरार फ्रांसीसी क्रांति के दौरान इसके दुरुपयोग से आई। स्फ्टिक में उकेरी आकृतियाँ जिनमें आठ विभिन्न दृश्य हैं पूरी तरह साफ, चमकदार और विस्तृत हैं। स्फ़्टिक टुकड़े पर मौजूद अभिलेख में राजा लोथर द्वितीय का संदर्भ देता है हालांकि यह साफ नहीं है सुज़ाना की कहानी उससे कैसे मिलती जुलती हो सकती है। ऐसा हो सकता है कि राजा लोथर द्वितीय अपने राज्य में अपनी भूमिका को एक न्यायसंगत राजा जैसा होने पर जोर देता था और विषयवस्तु इस मिसाल पर बनी हो। एक और ज्यादा रूचिकर कारण राजा लोथर द्वितीय की पत्नी ट्युटबर्गा से जुड़ा मामला हो सकता है। ट्युटबर्गा को बच्चे नहीं हो सके थे जिसके परिणामस्वरूप राजा लोथर द्वितीय ने अपने विवाह की कानूनी समाप्ति के लिए बहुत जोर लगाया। स्फ़टिक का सुज़ाना पर मुख्य ध्यान राजा के विरोधियों या ट्युटबर्गा के मित्रों द्वारा राजा को अपनी पवित्र, गलत समझी गई निर्दोष भले ही बाँझ पत्नी को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करने की एक कोशिश हो सकती है। जो भी हो, स्फटिक नौवीं शताब्दी की नक्काशी का एक अद्भुत नमूना है जो कि असामान्य और अक्सर अनिश्चित स्वभाव वाला माध्यम था।
- स्टेफनी स्केन्यॉन
लुच्च्चा मडोना
संपादित करेंलुच्च्चा मडोना ने अपने अज्ञात संरक्षक के लिए व्यक्तिगत भक्तिमय कलाकृति का कार्य किया। यह चतुराई से हमें दर्शाये गये कक्ष में ले जाती है और वहां के उदार व निजी परिस्थितियों में सहभाग लेने का मौका देती है। यह प्रभाव कक्ष के आंतरिक भागों के चित्रांकनके विशेष तरीके से आया है। ना ही केवल दोनों अओर की दीवालें बल्कि टाइल लगा फर्श और उस पर बिछी कालीन भी हमारी ओर आती हुई प्रतीत होती है, जैसे कि वो चित्र से बाहर हमारे ही कक्ष में हो। फिर भी विभिन्न वस्तुओं जैसे कि सतह, त्वचा, बाल, वस्त्रों के रेशे, कालीन, दीवाल, ग्लास, पानी, धातु, टाइ और लकड़ियों को जिस व्यंजकता के साथ दिखाया गया है उससे वास्तविकता के बोध पर भी जोर गया है। हालांकि इसकी प्रकृति जितनी भी शानदार हो यह चित्र प्रतीकवाद के चिन्हों से भरा पड़ा है। जैसे कि, शिशु क्राइस्ट के हाथ में फल मनुष्य के गिरावट की ओर संकेत करता है। शेर के आभूषण से सुसज्जित सिंहासन न्यायप्रिय न्यायाधीश राजा सोलोमन, क्राइस्ट के एक पूर्वज का संकेतक है।
अपने जीवनकाल में बहुत प्रसिद्ध रहे जान वैन आइक जो कि बुरगुन्डी के ड्युक की सभा में चित्रकार थे का निधन १४४१ ई० में हुआ था। अपनी मृत्यु के ३, ४ वर्ष पहले उन्होंने यह चित्र बनाया था, जो आज भी उतना ही मनोहर है जितना पहले था। इसका नाम इसके एक पूर्व मालिक से मिला। उन्नीसवीं सदी में यह चित्र टस्कनी में लुच्चा के ड्युक के संग्रह का हिस्सा था।
सितादेल संग्रह यूरोप के ७०० वर्षों के समृद्ध इतिहास जो कि मध्य युग, रिनैंसां, बरोक, शास्त्रीय आधुनिकता और आज की कला का लेखा जोखा देता है।
जोसेफ़ रौलिन का चित्र
संपादित करेंविन्सेंट वैन गॉग द्वारा
"एक अच्छी आत्मा और बहुत बुद्धिमान और भावनाओं से भरा हुआ और बहुत ही विश्वषनीय" -विन्सेंट वैन गॉग अपने मित्र जोसेफ़ एटिएन रौलिन का इस तरह विवरण करते हैं। वैन गॉग ने रौलिन के अनेकों चित्रों को बनाया, जो कि आर्लेस में एक डाक कर्मचारी थे जहाँ वैन गॉग १८८८ से १८८९ तक रहे थे। चिट्ठियों और चित्रों में वैन गॉग रौलिन को एक आदर्श की तरह प्रस्तुत करते हैं जो कि एक लोगों के लिए जीने वाला एक पुरुष और संत बताते हैं।
सामने की ओर देखते हुए रौलिन चित्र की सतह के पास में हैं, जिनमें उनकी आँखे हल्का सा किनारों की ओर देख रही हैं। वैन गॉग की उर्जा से भरी पंक्तियाँ रौलिन की दाढ़ी का, उनके चेहरे की विशेषताओं का और कुछ हद तक मुड़ी हुई नाक का व्याख्यान करती है।