सदस्य:जैन पलक/प्रयोगपृष्ठ

गांधी जी का बिलासपुर आगमन 1933 में हुआ था। गुरुघासीदास 1756 ई. से 1820 ई. तक सतनामी पंथ के संस्थापक थे। गुरूघासीदास 18/12/1756 को बलौदा बजार में जन्म हुआ था। उन्होंने अंतिम उपदेश जांजगीर-चापा जिले के दल्हापोड़ी स्थान में दिये। राजा रामानुज प्रतापसिंह देव कोरिया कुमार 1946 ई. में कोरिया राज्य में पंचायती राज व्यवस्था प्रारंभ की थी। साथ में भोजन मध्यान भोजन कि शुरू आत की थी। यह लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लिये थे।

पेन्ड्रा क्षेत्र के लोग एवं व्यापारी तन मन धन से आजादी अंदोलन में धन लगा रहे थे। पेन्ड्रा गौरेला क्षेत्र के लालचंद जैन, गयाप्रसाद केसरी, श्रीकरराव अमरसिंह, महीपत सिंह राणा हीरालाल बऊदासिंह, जयपाल सिंह, ईश्वरदीन राय, भगवान दीन गौटीया, भगवानदीन काछी, शम्भूरतन जयसवाल, झण्डूलाल जैन का नाम उल्लेखनीय है। अंग्रेजी हुकूमत की परवाह न कर स्वाधीनता अंदोलन की अलख जगाने का काम करते रहे। इनके कुछ कई बार जेल जाने के बावजूद इनके हौसले कम नहीं होते थे। यहां मध्यप्रांत के स्वतंत्रता सेनानी पं. रविशंकर शुक्ल, पं. शम्भूलाल शुक्ल, सेठ गोविंद दास, ठाकुर छेदीलाल बैरिस्ट, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, डॉ. ज्वालाप्रसाद, रामगोपाल तिवारी, क्रांतिकुमार भारती, सरदार, अमरसिंह सहगल ठाकुर प्यारे लाल सिंह, दादानायक, मौलाना अब्दुल राऊफ रायपुर, मिनीमाता, आचार्य विनोआ भावे के शिष्य राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल पुरनचंद जैन, मथुराप्रसाद दुबे, एवं अन्य लोगों का आना जाना होता। यह लोग लालचंद जैन के यहां रूकते। लालचंद का बड़ा बाड़ा और ठहरने का अच्छा इंतिजाम रहता। अंग्रेजी पुलिस से और सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षित था। यहां से पैदल चलकर बैलगाड़ी से गांव-गांव जाकर आजादी की चेतना फैलाते। लालचंद जैन कांग्रेस प्रमुख कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे थे।