सदस्य:दिलीप शर्मा/प्रयोगपृष्ठ
डिजीटल भारत का सपना तभी संभव है जब हम पूरी तरह से बदल जाए। लेकिन जिस तरह हमारी रफ्तार है उससे कई साल लग जाएंगे। webmorcha.com से हमारा मकसद यहीं है कि यह वेबसाइट गांव और शहर के उन घरों में पहुंचे जहां मोबाइल है। और यह तभी संभव है जब इसमें ज्यादा से ज्यादा लोग को जोड़े हमने इसके लिए जिले के 545 गांवों के लोगों से स्ट्रीगंर के रूप में जोड़ना शुरू किया। वेबसाइट के माध्यम से हम गांव और शहर की हर छोटी-बड़ी घटनाक्रम को इसके माध्यम से दिखाना ही हमारा लक्ष्य है। वेब पत्रकारिता की दिशा में हमने कदम बढ़ाया है, जो आने वाले दिनों इसका प्रतिसाद अच्छा मिल पाएगा। वर्तमान में सामाजिक रूप से क्रांति लाने कई वेबसाइट शुरू की गई लेकिन डिजीटल भारत में वेब पोर्टल के रूप में यह पहला पोर्टल है जो लोगों तक पहुंचने की कोशिश की है।
मेरी अपनी बात
मै दिलीप शर्मा एक छोटे से गांव ब्राम्हनडीह छत्तीसगढ़ का रहने का वाला हूं। मुझे बचपन से लिखने का शौक था, लेकिन गरीबी और दिशा नहीं मिलने के कारण मुझे खुद का व्यवसाय करना पड़ा। लेकिन 27 साल की उम्र में मैने प्रिंट पत्रकारिता किया और नौकरी शुरू किया। लेकिन हां अवसर तो बहुत मिला लेकिन यहां भी मुझे वह स्वतंत्रता नहीं मिल पाया जिस उद्देश्य के लिए यहां कदम रखा था। अंतत: 2017 जाने के पहले बड़े भाई विजय शर्मा से चर्चा किया, उन्होंने कहा किसी भी कंपनी में बंधुवा मजदूर की तरह काम करने से बेहतर खुद का काम करना चाहिए। मुझे यह बात सही लगी, और उसी क्षण मै अपना दिशा बदल दिया।
मेरा शहर मेरा गांव
शहर और गांवों का विकास तेजी से हुआ है, साथ ही नेता भी विकास की ओर तेजी से बढ़े हैं, किसी से छूपी नहीं है देश के कई नेता कालेधन के चलते जेल पहुंचे हैं, हम अपनी शहर और गांव की बात करें, जिस गति से सड़कें और भवनों का निर्माण हुआ है, उसी गति से भ्रष्ट्राचार भी बेलगाम है, भ्रष्ट्राचार पर रोक लगाने देश के प्रधानमंत्री ने सभी कार्यो को ऑनलाइन व्यवस्था करने कहा है, और देखा गया कि व्यक्ति को आधार के माध्यम से ऑनलाइन तो कर दिया गया लेकिन शासन-प्रशासन के कार्यो की रूपरेखा आज भी ऑनलाइन नहीं हो सका है। लोगों के पास मोबाइल पहुंचा है लेकिन उपयोगिता की गति धीमी है। इसके लिए सरकारें तो प्रयास किया लेकिन प्रयास भी अब ठंडे बस्ते में चला गया। मेरा शहर और गांव में यह जरूर बदलाव आया कि पहले से 25 फीसदी लोग नशे की ओर चले गए। इसे रोकने का प्रयास जरा भी नहीं किया गया।