सदस्य:देवचंद्र भारती 'प्रखर'/प्रयोगपृष्ठ

आंबेडकरवाद का अर्थ एवं परिभाषा  :-


शब्दकोश के अनुसार 'वाद' का अर्थ है, " वह दार्शनिक सिद्धांत, जिसके अनुसार संसार की सत्ता उसी रूप में मानी जाती है, जैसी वह सामान्य मनुष्य को दृष्टिगोचर है । " [1] 'वाद' शब्द संस्कृत के 'वाक्' शब्द से बना है । 'वाक्' का अर्थ है - 'वाणी'; तथा 'वाद' का अर्थ है - कथन, सिद्धांत, विचारधारा । इस प्रकार 'आंबेडकरवाद का' अर्थ है - आंबेडकर का कथन, आंबेडकर का सिद्धांत, आंबेडकर की विचारधारा । डॉ० जयश्री शिंदे जी ने 'आंबेडकरवाद' को बहुत ही सटीक शब्दों में परिभाषित किया है । उनके अनुसार, " अपमानित, अमानवीय, वैज्ञानिक अन्याय एवं असमानता, सामाजिक संरचना से पीड़ित मनुष्य की इसी जन्म में क्रांतिकारी आंदोलन से मुक्ति करके समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व एवं न्याय के आदर्श समाज में मानव और मानव (स्त्री-पुरुष समानता) के बीच सही संबंध स्थापित करने वाली नई क्रांतिकारी मानवतावादी विचारधारा को अंबेडकरवाद कहा जाता है । " [2] डॉ० एन० सिंह जी के शब्दों में, " बाबा साहेब डॉ० भीमराव आंबेडकर के सिद्धांतों को मानना और उनका अनुसरण करना ही आंबेडकरवाद है । " [3] इस प्रकार स्पष्ट है कि यदि सामान्य भाषा में और संक्षिप्त रूप में 'आंबेडकरवाद' की परिभाषा निश्चित की जाए, तो वह इस प्रकार है - बाबा साहेब डॉ० भीमराव आंबेडकर जी के कथनों एवं सिद्धांतों को अपने विचार एवं व्यवहार में अंतर्निहित करना ही 'आंबेडकरवाद' कहलाता है ।


संदर्भ :-

[1] भार्गव आदर्श हिंदी शब्दकोश,  पृष्ठ 703, संपादक - पंडित रामचंद पाठक, प्रकाशक - भार्गव बुक डिपो, चौक (वाराणसी)

[2] आंबेडकरवादी चिंतन और हिंदी साहित्य : डॉ० जयश्री शिंदे, पृष्ठ 17, सारंग प्रकाशन, वाराणसी

[3] सम्यक भारत, सितंबर 2020, पृष्ठ 52