कानून का शासन या विधि का शासन आज जरूरी है। मानवाधिकार संवेधानिक कानूनी अधिकार आवश्यक है।अधिकार और दायित्व एक ही सिक्के के दो पहलू है।राज्य के नीति निर्देशक तत्व भी राज्य के दायित्व ही है। प्रथाएं परम्पराए भी कानून की शक्ल ले लेते है।यदि लोकनीति के विरुद्ध न हो तो।