सदस्य:राजधोबी/प्रयोगपृष्ठ

सारांश

भारत के बिहार राज्य में निवास करने वाले राजधोबी जाति की कुल जनसंख्या लगभग 16 हजार है। यह जाति बिहार राज्य के अत्यन्त पिछड़े वर्गों की सूची (अनुसूची-प्) में क्रमांक 70 पर दर्ज है, जबकि भारत सरकार के अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) की सूची के क्रमांक 106 पर है। इस जाति की कोई उपजाति नहीं है, बल्कि ‘ये लोग धोबी की उपजाति है, तथा कश्यप गोत्र के है’। प्रस्तुत अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि ये लोग पहले राजा-महाराजा का कपड़ा धोने का कार्य करते थे, इसी कारण इनका नाम राजधोबी पड़ा। परन्तु जैसे-जैसे राजाओं का अन्त होता गया, वैसे-वैसे इनके परम्परागत पेशा में ह्यस हुआ। जब पेशा में ह्यस हुआ तो, इनकी आमदनी घटने लगी, जिसके कारण कई अन्य तरह के कार्य जैसे - दैनिक मजदूरी, चटाई बुनना, पशुपालन व कोशी नदी के तट पर दरभंगा महाराज के निर्जन भूमि पर खेती करने को मजबूर हुआ। अस्पृश्यता के कारण सदियों से शोषित, दमित राजधोबी जाति आज तीव्र संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, आवास व कोशी नदी के कटाव के कारण विस्थापन इत्यादि अनेक समस्याएँ इनकी जीवन स्तर को झकझोरती रही है। यद्यपि भारत एवं बिहार सरकार की आरक्षित कोटि के जातियों की सूची में, इसे मूल कोटि अनुसूचित जाति (SC) से विलग करते हुए OBC (बिहार में BC-I) में रखा गया है, जो न्यायसंगत नहीं लगता। इस जाति के बारे में तथ्य संकलन के क्रम में पता चला कि, इनलोगों के द्वारा समय-समय पर राज्य व भारत सरकार से मांग की जाती रही है कि इसेे मूल जाति ‘धोबी के जैसा अनुसूचित जाति का लाभ मिले, लेकिन लाभ मिलने की आशा निराशा में बदलती जा रही है।