वीर तेजाजी महाराज मँदिर ट्रस्ट&युवा समिति,दईकङा(जोधपुर) संपादित करें

location:-
संपादित करें

श्री सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज मँदिर ट्रस्ट&युवा समिति,गाँव-दईकङा(देविखेङा),जोधपुर-भोपालगढ रोङ,पर स्थापित वीर तेजाजी महाराज मँदिर है।

Founded:-
(2006 -आज तक )श्री सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज मँदिर निर्माण कार्य चल रहा है......

Mission
संपादित करें

जाट कौम जैसी मार्शल कौम के ईतिहास को अपने आने वाली भावी पीढी तक पहुचाना ।
श्री वीर तेजाजी महाराज मँदिर खरनाल(नागौर) के बाद जोधपुर रियासत का पहला ऐतिहासिक मँदिर के रूप मे खयाति हासिल करना ।
आने वाली भावी पीढी ईस मँदिर का ईतिहास मे बखान कर सके ।कोई भी कौम का भामाशाह मँदिर मे अपनी सहयोग राशी दे सकता है ।

General Information
संपादित करें

श्री वीर तेजाजी युवा समिति,द्वारा प्रतिवर्ष वीर तेजा दशमी को यहाँ मँदिर प्रागण मे रात्रिकालिन महाभजन सँध्या आयोजित होती है ,
भजन सँध्या मे ख्यातिप्राप्त लोककलाकारो द्वारा भजन मँङली, का सभी ग्रामवासियो के सहयोग से आयोजन होता है,हजारो की तादाद मै श्रोता भजनो का लाभ लेने पहूचते है ।
वही तेजाजी मँदिर प्रागण मे मेले का आयोजन होता है ,
जाट समुदाय के लोग हजारो की सख्या मे सामिल होकर तेजाजी महाराज के दर्शन कर अपने को धन्य़ करते है ।
युवा समिति द्वारा वहाँ विभिन कार्य मे अपना योगदान देते है ।
आज तक भामाशाहो दवारा 30 लाख कि सहयोग राशी मिल चुकी है...........

Products:-
संपादित करें

मँदिर का निर्माण सभी जाट समुदाय द्वारा ।
कार्य प्रगति पर चल रहा है-------------- सभी 36 कौम
जाट समुदाय (सभी 36 कौम) का कोई भी भामाशाह अपनी सहयोग राशी श्री सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज मँदिर ट्रस्ट दईकङा(देविखेङा),
द्वारा प्रतिवर्ष वीर तेजा दशमी को यहाँ मँदिर प्रागण मे रात्रिकालिन महाभजन सँध्या आयोजित होती है ,हजारो की तादाद मै श्रोता भजनो का लाभ लेने पहूचते है
रात्रिकालिन महाभजन सँध्या के समय ही दान(सहयोग राशी)भामाशाह दे सकता है

Public Transit:-
रोङवेज बसे , (जोधपुर-भोपालगढ)
प्राईवेट बसे, (जोधपुर-भोपालगढ)

वीर तेजाजी महाराज मँदिर ट्रस्ट&युवा समिति,दईकङा(जोधपुर) संपादित करें

1 )अध्यक्ष, चौधरी हीराराम जी गुरू(गुरूजी) - आयु- 91 वर्ष
2 ) वयवस्थापक, चौधरी हीराराम जी गुरू(गुरूजी) - आयु- 91 वर्ष
3 )कोषाध्यक्ष , चौधरी हीराराम जी गुरू(गुरूजी) - आयु- 91 वर्ष
4 )उपकोषाध्यक्ष- 1, रघुनाथ जी भांम्भु
5 )उपकोषाध्यक्ष - 2 , गोकुलराम जी ढाका
6 ) सचीव- ,गोरधन जी बेनिवाल(सरपंचपति)
7 )सदस्य...

  1. आपका अजीज अनुज जाटबँधु रामनिवास गुरू (बी.ए.,बी.एड ,)
    [1]
  2. पुखराज गुरू(अध्य़ापक)
  3. गोपाराम गुरू (L.I.C.,AJENT)
  4. बलदेव बेनिवाल(जिलाध्यक्ष,N.S.U.I.,)(J.N.V.U.)
  5. बाबूलाल गुरू
  6. ओमवीर लेगा
  7. बलदेव गोदारा
  8. मोहनराम सारण
  9. हरीश लेगा(अध्य़ापक)

सदस्य, सभी युवा वर्ग (वयस्क,जाट बँधु) -...............
प्रेषक आपका अजीज अनुज जाटबँधु रामनिवास गुरू (बी.ए.,बी.एड ,) मोबाईल न. 8559955579,9660430952 दईकङा,,(सारण नगर,बनाङ रोङ,जोधपुर)
[[2]]

page owner संपादित करें

प्रेषक आपका अजीज अनुज जाटबँधु रामनिवास गुरू (बी.ए.,बी.एड ,) मोबाईल न. 8559955579,9660430952 दईकङा,,(सारण नगर,बनाङ रोङ,जोधपुर)

मेरा परिचय(ठिकाणौ) संपादित करें

रामनिवास गुरू (बी.ए.,बी.एड ,)
मारो ठिकाणौ
रामनिवास चौधरी (गुरू)...(रामुड़ो जाट)
मुकामः. दईकड़ा(देवीखेड़ो) ,
कागजियो आवन रो ठिकाणो(पोस्ट) दईकड़ा(देवीखेड़ो) ,
जोधपुर-भोपालगढ़ रोड़
वायाःबनाड़
जिलोः जोधाणौ (हरियालौ राजस्थान)

वर्तमान ठिकाणौः
प्लॉट न.68.69,प्रेम नगर (खसरा न. 152), सारण नगर(भारत स्कुल के पिछे)बनाड़ रोड़,जोधपुर-342001
मोबाईल न. 8559955579,9660430952

गुरू (page owner)के दो शब्द संपादित करें

JAT SAMAJ
वह होता है जो सुसंगठित व एकता-समता के संवेदनात्मक सूत्र से बंधा हो।
सुविचारों वाला तथा प्रगतिशील व उदार दृष्टिकोणवाला हो। जिसमें समयानुकूल सुपरिवर्तन करने की क्षमता हो तथा रूढवाद, जडता व अन्ध परम्पराओं एवम् विश्वासों से मुक्त हो। सामाजिक उत्थान व विकास के लिए प्रतिबद्ध होने के साथ-साथ भेदभाव, ऊँच-नीच की संकीर्णताओं से विमुक्त हो स्वार्थान्धता, स्वकेन्द्रीयता से स्वतन्त्र व अपनी भावी-पीढयों के उज्ज्वल भविष्य के प्रति जागरूक एवम् सक्रिय हो। जिस समाज का हर जन समाज के लिए समर्पित व िहत चिन्तक हो तथा अपने समाज को श्रेष्ट बनाने के लिए कटिबद्ध हो। बालक-युवा, नारी-वृद्ध के प्रति संवेदनशील व कल्याणकारी हो तथा समाज को हर क्षेत्र में आगे बढाने की भावना से संकल्पित हो।

समाज के आर्थिक उत्थान के प्रति चिन्तनशील व प्रयासरत होते हुए समाज के सदस्यों का हाथ पकड उन्हें ऊँचा उठाने के लिए कार्यरत हो। संक्षेप में समाज के सभी वर्ग पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, संास्कृतिक, शैक्षणिक, व्यवसायिक, प्रशासनिक, राजनीतिक, तकनीकी, वैज्ञानिक, उद्योग व रोजगार आदि जीवनोपयोगी क्षेत्रों में समाज के निरन्तर विकास तथा प्रगति के लिए चिन्तन व चिन्तायुक्त हो ।


इस कसौटी पर यदि समाज को कसें तो हमारा समाज काफी पिछडा हुआ नजर आता है।

अपने आप को सबमें श्रेष्ठ और सुसंस्कृत तथा उत्तम आचार-विचार मानने वाला हमारा समाज मोहान्ध स्वार्थान्ध व परम्परान्ध है, भूत-उपासक और स्वप्नजीवी है। हम आचार-विचार-व्यावहारहीन होते हुए भी अपनी श्रेष्ठता व उच्चता का गर्वन-गान करते है। क्या ऐसा करके कोई भी समाज समय के साथ कदम मिला सकता है ? नहीं, उसे अपना आत्म-चिन्तन व आत्म-विश्लेषण करना होगा। आत्म-मंथन से ही अमृत मिल सकता है। 

पारिवारिक रूप से हम टूटन-विखण्डन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। आंगन में दीवारें बन रही हैं - व्यक्ति आंगन की बजाय अपने कक्ष का हो रहा है।
उसका कक्ष उसका परिवार (मैं, पत्नी, बच्चे) ही उसके लिए सर्वोपरि हैं। स्वार्थ सिकुडता जा रहा है।
मुखिया का नियंत्रण घट रहा है - अनुशासन हीनता बढी जा रही है, मर्यादा, आचरण, संस्कार व खान-पान सब दूषित होते जा रहे हैं। परिवार बिखर रहे हैं। यह हमारे घर-घर की कहानी है। इस पत्रिका द्वारा हमारा प्रयास आत्म मंथन करना है, न कि कोई विवाद उत्पन्न करना।

‘‘पीर पर्वत सी हो गई, अब पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा उतरनी चाहिए, बखेडा खडा करना हमारा मकसद नहीं, मकसद तो यह है कि सूरत बदलनी चाहिए


भाई के दुश्मन भाई ना होते,

महल आशा के धराशाई ना होते,
काश, यहाँ इंसान बनकर जीते सभी,
तो हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई ना होते.
अंतर्मन से सोचें देश आज़ाद है,
हम आज़ाद नहीं.

मानसिक रूप से आज भी हम अंग्रेज़ो के गुलाम हैं और मुक्ति का प्रयास भी नहीं करते,

क्योंकि हमारी सोच में हम आज़ाद हैं. 

मुझ जैसे तो लाखों हैं,
मुझमें कुछ नहीं, पर तुम लाखों में एक हो,
तुम जैसा कोई नहीं,

घोडा रेस में बिक रहा है,
वकील केस में बिक रहा है,

अदालत में जज बिक रहा है,
वर्दी में फर्ज बिक रहा है !

यहाँ सब कुछ बिक रहा मज़बूरी में इंसान बिक रहा है,
जुल्म का हैवान बिक रहा है,
पैसों कि खातिर ईमान बिक रहा है,
गरीबों का प्राण बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है.
फिल्मों में गाना बिक रहा है,
गरीब बच्चों का दाना बिक रहा है,
स्कूल का मास्टर बिक रहा है,
अस्पताल का डाक्टर बिक रहा है !

यहाँ सब कुछ बिक रहा है सड़कों पर मन बिक रहा है, 

ब्यूटी पार्लरों में तन बिक रहा है,

गरीबों का गुर्दा बिक रहा है, 

शर्म-हया का पर्दा बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है

सर्कस का जोकर बिक रहा है,
बैंक का लाकर बिक रहा है,

अखबार का हाकर बिक रहा है,

कोठी का नोकर बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है

गेट का संत्री बिक रहा है,
पार्टी का मंत्री बिक रहा है,

खिलाडी खेल में बिक रहा है, 

कानून जेल में बिक रहा है !
यहाँ सब कुछ बिक रहा है
दोस्ती में दोस्त बिक रहा है,
बच्चों का गोश्त बिक रहा है,
पत्थर मिला दाल बिक रहा है,
हर मोड़ पर दलाल बिक रहा है..
[3]

सन्दर्भ संपादित करें

Guru

(गुरु) Gur (गुर) is gotra of Jats in Rajasthan.
This gotra originated from people of fair colour.

Guru is also name of shresha (श्रेष्ठ) or superior people. 

Descendants of such people got the gotra name Guru.
[1] History Bhim Singh Dahiya identifies Goruai of Greek with Guru/Gaur/Ghor of Indian clan.
[2] Distribution in Rajasthan Villages in Churu district Guru Jats live in villages: Bidasar,}}

--रामनिवास गुरू (वार्ता) 05:43, 5 अगस्त 2012 (UTC)