सदस्य:श्यामबिहारी जुनेजा/प्रयोगपृष्ठ

साँचा:शिवसूत्र: प्रयत्न साधक: व्याख्या: जब तक प्रयत्न शेष है, तब तक व्यक्ति, साधक है! जहाँ बिना प्रयत्न के ..कार्य अपनेआप होने लगते है...वहां व्यक्ति साधक नहीं सिद्ध हो जाते हैं. मोटर लर्निंग में बहुलांश यही सिद्धांत कार्य करता है. व्यापार और अन्य प्रकार की बहुत सी दुनियादारी में भी इस सिद्धांत को अनुभव किया जा सकता है! लेकिन क्या अध्यात्म में भी यह सिद्धांत कार्य करेगा? मेरी खोज, इसका उत्तर ‘हाँ’ में दे रही है! श्यामबिहारी जुनेजा (वार्ता) 04:18, 29 अगस्त 2017 (UTC)श्यामजुनेजा