सदस्य:2311546Miscana/प्रयोगपृष्ठ
फ़ास्ट फैशन और उसका पर्यावरण पर प्रवाव
संपादित करेंकुछ सालो से फ़ास्ट फैशन की वजह से लोगो ने फैशन को बास दिखावा की चीज़ बना दी है। लोग आये दिन कपडे खरीदते और उन्हें फ़ेंक देते है बिना सही से इस्तिमाल कर्रे। इसके वजह से काफी कंपनियों ने महीनो में नहीं बल्कि हफ्तों में नए संग्रह निकालना शुरू कर दिया है। कम दाम और नए नए डिज़ाइन के चलते लोग बस कपड़े सोशल मीडिया पे डालने के लिए खरीदते है। बहार से यह काफी सुविधाजनक और आरामदायक लगता है लेकिन इसकी वजह से आज कल हमारे पर्यावरण में काफी ख़राब आसार पर रहा है। प्रदुषण, संसाधनो की कामी, अपशिष्ट उत्पादन और कार्बन उत्सर्जन, यह सब फ़ास्ट फैशन के पर्यावरण पर प्रवाव है।
फ़ास्ट फैशन की परिषये
संपादित करेंफ़ास्ट फैशन का मुख्य काम है लक्ज़री ब्रांड्स के दसिग्नस के तीजी से उद्पादन करना और उससे काम दाम पे लोगो तक लाना। इस उद्योग के काफी कम्पनीज नए कलेक्शन महीनों में नहीं बल्कि हफ्तों में निकलते है। इसकी वजह से लोगों के पास काफी विकल्प है। इसकी वजह से “खरीदो, पहनो, और फ़ेंक दो” काफी ट्रेंड में है। इसके चलते लोगों को हफ्तों में अपने वार्डरॉब बदलने होते है। कुछ लोग तो इस वजह से बस एक या दो बार ही कपडे इस्तिमाल करके फ़ेंक देते है।
फ़ास्ट फैशन का मुख्या कारन है लाभ है। बाड़े मात्रा में ट्रेंडी कपडे तीजी से बनाकर कम्पनिया लोगो के मांग का लाभ उठा रही है। लेकिन इस तेज़ बदलाव के कारन हमारे पर्यावरण पर काफी हानिकारक प्रवाव पारा रहा है। फ़ास्ट फैशन का मॉडल अधिक उद्पदन, ख़राब और गिरे हुए क्वालिटी और कभी-कभी अनैतिक श्रम प्रक्रिया पर निर्भर करता है ताकि उसका कीमत कम रखा जा सकें और मुनाफा अधिक हो सके, जबकि स्थिरता पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है।
फ़ास्ट फैशन का परिवर्तन पर परिणाम
संपादित करेंसंसाधनों की कमी
संपादित करेंफ़ास्ट फैशन का सबसे बड़ा और मुख्या प्रभाब ही संसाधनों की कमी होना। इस उद्योग में अधिक परिमाण में संसाधन का प्रयोग होता है , इसमें काफी पानी, ऊर्जा और कच्चे माल का प्रयोग होता है। उदाहरण के तौर पर कपास, जो की आम तोर पर फ़ास्ट फैशन में काफी प्रयोग किया जाता है, उसके लिए काफी भरी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। वर्ल्ड वर्ल्डलीफ़े फण्ड के अनुसार, २७०० लिट्रेस पानी की ज़रूरत पड़ती है बस एक कपास टीशर्ट बनाने में। इतना पानी एक इंसान के २ साल के पानी की आवश्यकता को पूरा कर सकती ही। इस तीजी के बढ़ते हुए कपास की मांग की वजह से किसानो ने काफी हानिकारक रासायनि प्रदार्थ इस्तेमाल करना शुरू कर दिया ताकि उनका उद्पदन ज़्यादा हो जो की पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक है।
प्रदूषण और रसायन का उपयोग
संपादित करेंप्रदूषण का एक महत्वपूर्ण कारन है फ़ास्ट फैशन उद्योग। वस्त्र रंगाई, जो की पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक है और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली प्रक्रियाओं में से एक है, वैश्विक औद्योगिक जल प्रदूषण का लगभग 20% हिस्सा है। ईनमसे से कई रंग जो कपड़ो को रंगने में इस्तेमाल होते ही वो रासायनि पर्दार्थो से भरे हुए होते है। ये पानी और मिट्टी दोनों के लिए हानिकारक है जो मानव और हमारी धरती दोनों के लिए हानिकारक है।
इसके अलावा पॉलिएस्टर जैसे सिंथेटिक फाइबर, जो की सस्ते और टिकाऊ होते है, वो पेट्रोलियम से बनाए जाते हैं।जब इन कपड़ो को धोया जाता है तो उनसे मइक्रोप्लास्टिक, जो की प्लास्टिक की छोटी छोटी कण ही वो निकलती है। ये सब हमारे या तो खाने के द्वारा हमारे शरीर में आता है या तो सागर में चले जाते है। ये माइक्रोप्लास्टिक सागर में रहने वाले जानवर निगल जाते है और उसे ये खाद्य श्रृंखला में पहुंच जाता है। आंत में तो मनुष्य को भी हानि पहुंचा सकता है।
अपशिष्ट उत्पादन
संपादित करेंकाफी बार जो कपडे फ़ास्ट फैशन से खरीदे जाते ही, उनका क्वालिटी अच्छा नहीं होता। उसके वजह से लोग कुछ बार इस्तेमाल करने से बाद ये कपडे फ़ेंक देते है। एनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी के अनुस्वार, ११ मिलियंस टोंस का कचरा कपड़ो के उद्योग से आता है। इस कचरे को गलाने में काफी साल लगते है। जब यी सिंथेटिक कपडे गलते ही तो उनसे काफी मात्रा में ग्रीनहाउस गैस और रासायनिक पदार्थ निकलते ही जो मिट्टी को दूषित करती है।
कार्बन उत्सर्जन
संपादित करेंफ़ास्ट फैशन के कार्बन फूटप्रिंट्स काफी होते है। है। कपड़ों का उत्पादन, परिवहन, और निपटान सभी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में योगदान करते हैं। यूनाइटेड नेशन एनवायरनमेंट प्रोग्राम के अनुसार, दुनिया का १०% कार्बन एमिशन फैशन उद्योग से होता है जो की अंतरराष्ट्रीय विमान से भी अधिक है। इस उद्योग में लोगो की मांगे काफी जल्दी बदलती है और इसकी वजह से भी पर्यावरण पर बुरा असर पड़ता है।
फास्ट फैशन के पर्यावरणीय प्रभाव का समाधान
संपादित करेंफास्ट फैशन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। एक महत्वपूर्ण उपाय है सस्टेनेबल फैशन अभ्यास का इस्तेमाल करना जैसे की पर्यावरण अनुकूल सामग्री का प्रयोग करना, नैतिक उत्पादन विधियां, और पुनर्चक्रण। कुछ कंपनियां ये अभ्यास शुरू कर चुकी ही जिसमे वो ऑर्गेनिक कपास और कम प्रभाव वाले रंगों का प्रयोग करते है।
उपभोक्ता भी इस बदलाव में काफी महत्वपूर्ण हिस्सा है। लोग अगर अचे क्वालिटी के कपडे खरीदे और नैतिक कंपनियों का सहायता कारे और फ़ास्ट फैशन को बढ़ावा न दे तो फैशन से हो बढ़ रहे कचरे को रोका या काम कर्रा जा सकता है। उपभोक्ता अगर साथ दे तो हम फैशन के संबंधित हो रहे कार्बन फुटप्रिंट को भी काम कर सकते है।
आंत में हमारे नीतियों में भी परिवर्तन की ज़रूरत है। हममे ऐसे नियमो की अधिक ज़रूरत ही जिस से हानिकारक रासायनि प्रदार्थ का उपयोग करने पे कंपनियों को दण्डित कर्रे और कंपनियों को जवाबदेह ठहराएंगे और पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बढ़ावा दे।
निष्कर्ष
संपादित करेंफ़ास्ट फैशन ने दुनिया में कपड़ो की उद्योग को बदल के रख दिया ही और कपड़ो को सास्ता एयर आसानी से लोगो तक पोहुंचाया है। मगर, इसके चलते हमारे पर्यावरण पर भी बोहोत बुरा असर पड़ा है। संसाधनों की कमी से लेकर प्रदर्शन तक के लिए फ़ास्ट फैशन जिम्मेदार है। लेकिन अभी उपभोक्ता, कम्पनीज नियम बनाने वालो में जागरिकता के कारन इसमें बदलाव आने के आस है। सस्टेनेबल प्रथा को बढ़ाबा देकर और जिम्मेदारी अपने हाथो में लेने से हम फ़ास्ट फैशन के पर्यावरण के ऊपर बुर्रे प्रवाव को काम कर पाएंगे।
References
[1] https://www.ucc.ie/en/greencampus/news/2021/fast-fashion--climate-justice.html
- ↑ "Green Campus News 2021 | University College Cork". www.ucc.ie. अभिगमन तिथि 2024-10-12.