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झारखंडी भोजन

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भारत के झारखंड के पारंपरिक व्यंजनों में स्थानीय सामग्री, मसालों और पारंपरिक खाना पकाने के तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। झारखंडी व्यंजनों का स्वाद सरल और प्राकृतिक होता है, जो ग्रामीण संस्कृति और प्रकृति से निकटता को दर्शाता है। यहाँ के व्यंजनों में चावल, दाल, सब्ज़ियों और जंगली फलों और फूलों का अधिक उपयोग होता है। मुख्य भोजन और विशिष्ट व्यंजन: चावल: झारखंड के लोगों के आहार में चावल का प्रमुख स्थान है। यहाँ के ज़्यादातर लोग रोज़ाना चावल खाते हैं। 'अरवा' और 'उसना' जैसे विभिन्न प्रकार के चावल का उपयोग किया जाता है। चावल से बने व्यंजन जैसे 'धुस्का', 'अरसा' और 'पीठा' भी यहाँ लोकप्रिय हैं। धुस्का: यह चावल और उड़द दाल के मिश्रण से बनता है। इसका स्वाद कुरकुरा और मसालेदार होता है। इसे तेल में तला जाता है और अक्सर इसे आलू की सब्जी या मटन करी के साथ परोसा जाता है। धुस्का ख़ास तौर पर झारखंड के त्योहारों और विशेष अवसरों पर बनाया जाता है। चिल्का रोटी: चिल्का रोटी चावल के आटे से बनाई जाती है और इसे तवे पर धीमी आंच पर पकाया जाता है। इस रोटी को चटनी, सब्जी या घी के साथ खाया जाता है। इसका स्वाद हल्का और पौष्टिक होता है, जो ग्रामीण इलाकों में लोकप्रिय है। पीठा: पीठा झारखंड की पारंपरिक मिठाई है। यह चावल के आटे से बनता है और इसमें गुड़, नारियल या तिल भरा जाता है। पीठा को भाप में पकाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और पौष्टिकता बरकरार रहती है। दाल-पानी: यह झारखंड का एक लोकप्रिय व्यंजन है, जिसमें चावल के साथ पतली दाल परोसी जाती है। इसमें ज्यादा मसाले नहीं होते, जिससे इसका स्वाद हल्का और तरोताजा रहता है। इसे गर्मियों में खासकर पसंद किया जाता है। सब्जियां और जंगली खाद्य पदार्थ: हरी सब्जियां भी झारखंडी व्यंजनों में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। 'साजन का साग', 'बथुआ', 'कांदा साग' और 'मेथी साग' जैसी सब्जियां और साग यहां आम हैं मांसाहारी व्यंजन: झारखंड में मांसाहारी व्यंजन भी लोकप्रिय हैं, खासकर मटन, चिकन और मछली। 'मटन करी', 'चिकन झोल' और 'मछली करी' यहाँ के पसंदीदा व्यंजन हैं। पारंपरिक तरीकों से बनाए जाने वाले इन व्यंजनों में सरसों के तेल और स्थानीय मसालों का इस्तेमाल होता है। ग्रामीण इलाकों में, मांस को अक्सर बांस की लकड़ियों में भरकर आग में पकाया जाता है, जिससे इसे एक अनोखा और धुएँ जैसा स्वाद मिलता है। अन्य विशेषताएँ: गुड़ और तिल: गुड़ और तिल का उपयोग मिठाइयाँ बनाने के लिए किया जाता है। 'तिलकुट', 'गुड़ की चिक्की' और 'लड्डू' यहाँ की विशेष मिठाइयाँ हैं, जिन्हें सर्दियों में ज़्यादा खाया जाता है। महुआ और हड़िया: महुआ के फूलों से बनी हड़िया (चावल से बनी एक स्थानीय शराब) झारखंड के आदिवासी समुदायों में बहुत लोकप्रिय है। इसका उपयोग विशेष आयोजनों, त्योहारों और पारंपरिक नृत्य और गीतों में किया जाता है। छाछ और दही: झारखंड के गाँवों में छाछ और दही का भी सेवन किया जाता है। ये गर्मियों में ताज़गी और ठंडक प्रदान करते हैं। निष्कर्ष: झारखंडी व्यंजनों का आकर्षण इसकी सादगी और प्रकृति से जुड़ाव में निहित है। यहाँ के लोग अपने खाने में ताज़गी और प्राकृतिक स्वाद को महत्व देते हैं। यह व्यंजन इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता, परंपराओं और प्रकृति को दर्शाता है। झारखंड का भोजन जितना सरल है, उतना ही स्वादिष्ट और पौष्टिक भी है।[1]

  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Jharkhandi_cuisine