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नो कंट्री फॉर ओल्ड मेन एक 2007 की अमेरिकी neo-Western अपराध थ्रिलर फिल्म है, जिसे जोएल और एथन कोएन ने लिखा, निर्देशित और संपादित किया है। यह फिल्म कॉर्मैक मैकार्थी के 2005 के उपन्यास पर आधारित है। कहानी 1980 के वेस्ट टेक्सास की है, जहां ल्वेलेन मॉस (जोश ब्रोलिन) को रेगिस्तान में एक असफल ड्रग डील के बाद $2 मिलियन मिलते हैं। एंटन चिगुरह (जेवियर बार्डेम), एक हिटमैन, इस पैसे को वापस लाने की कोशिश करता है, जबकि शेरिफ एड टॉम बेल (टॉमी ली जोन्स) इस अपराध की जांच कर रहे हैं।

फिल्म में तीन मुख्य पात्र हैं: ल्वेलेन मॉस, एक वियतनाम युद्ध के अनुभवी और वेल्डर, जो पैसे के साथ भागने की कोशिश कर रहा है; एंटन चिगुरह, एक निर्दयी हत्यारा जो सिक्के की उछाल के जरिए लोगों की जान लेता है, और शेरिफ एड टॉम बेल, जो अपराध के पीछे के सच का पीछा करता है। यह फिल्म भाग्य, विवेक और परिस्थितियों के विषयों को छूती है। चिगुरह का किरदार क्रूरता का प्रतीक है, जो अपने निर्णय को एक सिक्के के उछाल पर छोड़ता है, जबकि बेल पुरानी पीढ़ी के न्याय और नैतिकता के सिद्धांतों का पालन करता है।

कहानी में ल्वेलेन मॉस को रेगिस्तान में ड्रग डील की असफलता के बाद एक बैग में $2 मिलियन मिलते हैं। वह पैसे लेकर भागता है, लेकिन उसका पीछा चिगुरह करता है, जो बेहद खतरनाक और निर्दयी है। चिगुरह अपने रास्ते में आने वाले हर शख्स को मारता है, लेकिन वह यह मानता है कि वह भाग्य के हाथों में है और सिक्के की उछाल ही तय करती है कि कौन जीवित रहेगा। मॉस और चिगुरह के बीच की यह दौड़ बेहद तनावपूर्ण और खतरनाक हो जाती है, और इसमें बहुत सारे निर्दोष लोग मारे जाते हैं।

मॉस अपनी पत्नी कार्ला जीन को सुरक्षित रखने के लिए भेजता है, लेकिन उसकी स्थिति और खराब होती जाती है। वह चिगुरह के साथ लड़ाई में गंभीर रूप से घायल हो जाता है और अंततः मारा जाता है। शेरिफ बेल, जो पूरे मामले की जांच कर रहा होता है, यह महसूस करता है कि वह इस नए दौर की हिंसा से पीछे छूट गया है और इस वजह से उसे संन्यास लेने का फैसला करना पड़ता है। फिल्म का अंत बेल के सपनों के साथ होता है, जो यह दिखाते हैं कि वह अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अब दुनिया बदल चुकी है।

नो कंट्री फॉर ओल्ड मेन को 2007 में कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया था और इसे बहुत सराहा गया। इसने $25 मिलियन के बजट पर $171 मिलियन कमाए और कई पुरस्कार जीते, जिनमें 4 अकादमी पुरस्कार भी शामिल हैं। इसमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म का ऑस्कर भी शामिल है। जेवियर बार्डेम को उनके प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का ऑस्कर मिला, जिसमें उनका एंटन चिगुरह का किरदार बेहद यादगार और खौफनाक माना गया।

यह फिल्म तकनीकी रूप से भी बहुत समृद्ध है और इसे समकालीन सिनेमा के महान कार्यों में से एक माना जाता है। कोएन भाइयों की निर्देशन शैली और पटकथा को बेहद सराहा गया। फिल्म को इसकी थ्रिलर प्रकृति के अलावा एक वेस्टर्न फिल्म के रूप में भी देखा जाता है। इसमें आधुनिक युग की हिंसा और पुरानी नैतिकता के बीच की टकराव को दिखाया गया है। इसके साथ ही, फिल्म में भाग्य और नैतिकता जैसे गहरे विषयों की भी पड़ताल की गई है।

नो कंट्री फॉर ओल्ड मेन को कई आलोचकों ने 2007 की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक माना। इसे कोएन भाइयों की अब तक की सर्वश्रेष्ठ फिल्म माना गया है। फिल्म को इसके किरदारों, विशेष रूप से एंटन चिगुरह, और इसके नैतिक दृष्टिकोण के लिए भी सराहा गया है। कई समीक्षकों ने इसे 21वीं सदी की सबसे प्रभावशाली फिल्मों में से एक माना है, और इसे आने वाले वर्षों में भी सिनेमा के इतिहास में एक महान फिल्म के रूप में देखा जाएगा।

समग्र रूप से, नो कंट्री फॉर ओल्ड मेन सिर्फ एक थ्रिलर फिल्म नहीं है, बल्कि यह भाग्य, नैतिकता और इंसानी हिंसा पर एक गहरी टिप्पणी है।

[1] [2] [3]

  1. "No Country for Old Men (2007)". Box Office Mojo. Retrieved December 23, 2007.
  2. Schwarzbaum, Lisa (November 7, 2007). "No Country for Old Men". EW. Archived from the original on October 22, 2014. Retrieved January 4, 2004.
  3. McCarthy, Todd (May 24, 2007). "Cannes' great divide". Variety. Retrieved December 23, 2007.