सदस्य:2334560 Manya Saini/रेतपेटी
समाज में कोरोना वायरस महामारी का प्रभाव
कोरोना वायरस २०२० में फैलना शुरू हुआ। यह बीमारी इतनी फैल रही थी कि सरकार को एक लॉकडाउन घोषित करना पड़ा और जीवन की गति थम गयी। कोरोना महामारी का समाज पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का गहरा प्रभाव पड़ा।
नकारात्मक प्रभाव
मेलजोल की कमी- सामाजिक दूरी और सुरक्षा नियमों के कारण लोग एक दूसरे से मिल नहीं पाए और उनके बीच बातचीत कम हो गयी। सामुदायिक भावना भी कम होती गयी और व्यक्तिवाद बढ़ता गया। बच्चे आपस में मिलकर संबंध नहीं बना पाए और इसका असर उनके विकास पर पड़ा। लोग अपने रिश्तेदारओं और मित्रों से भी नहीं मिल सके। आमने-सामने बातचीत न करने की वजह से दूसरों से बात करने में आत्मविश्वास की कमी हो गयी।
बेरोज़गारी और गरीबी- लोग अपने घर से बाहर निकलना मना था, इसलिए ज़रूरी सामान और सेवाओं के आलावा सभी आर्थिक गतिविधियों को रोकना पड़ा। व्यवसाय बंद होने की वजह से कई लोगों की नौकरी चली गयी औरआर्थिक विकास को एक झटका लगा। स्वास्थ्य देखभाल की लागत बढ़ गई, जिससे लोग संकट में पड़ गए और गरीबी में चले गए।[1]
मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं- महामारी के समय लोग अपने रिश्तेदारों और प्रियजनों से अलग हो गए और उनकी स्वतंत्रता कम हो गयी। इसके कारण उन्हें अकेलापन, उदासी, हताशा, घबराहट निराशा और भविष्य के बारे में चिंता महसूस हुई। कई लोगों ने मनोवैज्ञानिक विकारों के लक्षणों की सूचना भी दी।
ऑनलाइन शिक्षा- लॉकडाउन के दौरान विद्यालय बंद हो गए, इसलिए कक्षाओं को ऑनलाइन माध्यम से आयोजित करना पड़ा। इससे शिक्षकों और छात्रों के बीच व्यक्तिगत संपर्क कम हो गया और पढ़ाई प्रभावित हुई। जिन छात्रों के पास ऑनलाइन कक्षाओं के लिए संसाधन और उपकरण नहीं थे, उन्हें इन कक्षाओं में भाग लेने में कठिनाई हुई और इनमें से कई छात्र अपनी कक्षाओं में उपस्थित नहीं हो सके ।[2]
सकारात्मक प्रभाव
स्वच्छ पर्यावरण- कोरोना वायरस के समय कारखाने और निर्माण कार्य बंद हो गए, इसलिए पर्यावरण में वायु का प्रदूषण काफी कम हो गया और आस-पास की नदियों में कचरा नहीं फेंका गया। सड़क पर कम वाहन थे क्योंकि लोग इधर-उधर सफर नहीं कर रहे थे। इसके कारण वाहनों की आवाज़ें नहीं आती थी और लोगों को शांति मिलती थी। प्रकृति ज़्यादा साफ नज़र आने लगी और प्रमुख शहरों में वन्यजीव भी फिर से दिखने लग गए।[3]
पारिवारिक समय- लॉकडाउन ने परिवार के साथ वास्तविक और सच्चे पलों को फिर से जीने में सहायता की, जो पहले लोगों के व्यस्त कार्यक्रम के कारण संभव नहीं था। जब महामारी में जीवन धीमा हो गया, तब परिवारों को साथ में समय बिताने और एक दूसरे से जुड़े रहने का मौका मिला। लोगों ने वंचितों और गरीबों के प्रति सहानुभूति रखना भी सीखा और उनके लिए अधिक दान किया।
चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा में विकास- कोरोना महामारी के दौरान वायरस के प्रसार को नियंत्रित करना ज़रूरी था और तेजी से चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना महत्वपूर्ण था। कोरोना वायरस वैक्सीन की शुरुआत चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा में एक प्रमुख विकास था और अब यह कई देशों में उपलब्ध है।
स्वच्छता- महामारी में लोगों ने सीखा कि स्वच्छता रखना सिर्फ़ एक अच्छी आदत नहीं है, बल्कि जीवन के लिए ज़रूरी है। कोरोना वायरस के दौरान स्वच्छता और सफाई बढ़ गयी क्योंकि लोगों को खांसने के वक्त अपना मुंह ढंकना पड़ा, किसी भी वस्तु को छूने के बाद अपने हाथों को साफ करना पड़ा, वायरस से बचाव के लिए मास्क पहनना पड़ा और नियमित रूप से हाथ धोने पड़े।
इससे हमें यह पता चलता है कि कोरोना वायरस के केवल नकारात्मक प्रभाव नहीं थे, बल्कि सकारात्मक प्रभाव भी थे। लॉकडाउन ने जीवन की सामान्य दिनचर्या को रोक दिया, लेकिन उसके कारण पूरी दुनिया में कई पहलुओं में विकास हुआ।
संदर्भ
संपादित करें- ↑ "COVID-19: भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का क्या प्रभाव होगा?". Jagranjosh.com. 2020-04-01. अभिगमन तिथि 2024-10-15.
- ↑ "कोरोना का शिक्षा पर असर: ऑनलाइन शिक्षा समय की मांग तो ग्रामीण भारत की पहुंच से बहुत दूर". News18 हिंदी. 2020-12-16. अभिगमन तिथि 2024-10-15.
- ↑ "World Environment Day 2020: कोरोना महामारी से पर्यावरण पर कैसे सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जानें यहां - World Environment Day 2020 Know About The Positive Impact Of COVID19 Helps On Environment". Jagran. अभिगमन तिथि 2024-10-15.