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भारतीय विश्वविद्यालयों का इतिहास
संपादित करें1. प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालय
संपादित करें1.1 तक्षशिला विश्वविद्यालय (6वीं शताब्दी ईसा पूर्व)
संपादित करेंतक्षशिला विश्वविद्यालय को विश्व का सबसे पुराना विश्वविद्यालय माना जाता है। यह आधुनिक पाकिस्तान के रावलपिंडी के पास स्थित था और शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था। यहां 300 से अधिक विषयों में शिक्षा दी जाती थी, जिसमें वेद, राजनीति, युद्धकला, खगोलशास्त्र, आयुर्वेद, और चिकित्सा प्रमुख थे। विभिन्न देशों से छात्र यहाँ पढ़ने आते थे, जिसमें भारत, चीन, ग्रीस, और पर्शिया शामिल थे। तक्षशिला में शिक्षकों और छात्रों के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान मौखिक रूप से होता था, और छात्रों को स्वतंत्र रूप से सोचने और प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित किया जाता था।
1.2 नालंदा विश्वविद्यालय (5वीं शताब्दी ईसा पूर्व)
संपादित करेंबिहार स्थित नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत का सबसे प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र था। इस विश्वविद्यालय में बौद्ध शिक्षा, तर्कशास्त्र, चिकित्सा, गणित, और साहित्य जैसे विषय पढ़ाए जाते थे। नालंदा में लगभग 10,000 छात्र और 2,000 शिक्षक थे, जो भारत सहित एशिया के विभिन्न हिस्सों से आते थे। यह विश्वविद्यालय अपने विशाल पुस्तकालय के लिए प्रसिद्ध था, जिसे तीन भागों में विभाजित किया गया था, जिनमें लाखों पांडुलिपियाँ संग्रहित थीं। नालंदा को बख्तियार खिलजी ने 12वीं शताब्दी में नष्ट कर दिया, जिसके बाद यह शिक्षा केंद्र समाप्त हो गया।
1.3 विक्रमशिला और वल्लभी विश्वविद्यालय
संपादित करेंविक्रमशिला विश्वविद्यालय, बिहार में स्थित, तांत्रिक शिक्षा और बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था। इसे पाल वंश के राजा धर्मपाल ने स्थापित किया था। विक्रमशिला की शिक्षा प्रणाली नालंदा से मिलती-जुलती थी और यहां भी विश्व भर से छात्र आते थे। वहीं, वल्लभी विश्वविद्यालय गुजरात में स्थित था और यह शिक्षा के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में जाना जाता था, खासकर व्यापार और प्रबंधन के क्षेत्र में। यह गुप्तकाल में अत्यधिक प्रसिद्ध था।
प्राचीन विश्वविद्यालयों का योगदान
संपादित करेंइन प्राचीन विश्वविद्यालयों ने न केवल भारतीय शिक्षा को समृद्ध किया, बल्कि वैश्विक ज्ञान के आदान-प्रदान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों ने बौद्ध, हिंदू और अन्य संस्कृतियों के विद्वानों के लिए एक मंच प्रदान किया, जहां उन्होंने ज्ञान की सीमा का विस्तार किया।
निष्कर्ष
संपादित करेंप्राचीन भारतीय विश्वविद्यालयों का शिक्षा के क्षेत्र में एक अद्वितीय स्थान रहा है। तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, और वल्लभी जैसे विश्वविद्यालयों ने भारत को प्राचीन काल में एक वैश्विक शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित किया। इन संस्थानों ने विज्ञान, धर्म, तर्कशास्त्र, चिकित्सा, और कला जैसे विषयों में गहरा योगदान दिया और भारत में शिक्षा और ज्ञान का प्रसार किया। उनकी शैक्षणिक धरोहर ने न केवल भारतीय विद्वानों, बल्कि विदेशी छात्रों को भी आकर्षित किया, जिससे वैश्विक ज्ञान का आदान-प्रदान संभव हुआ। ये विश्वविद्यालय आज भी शिक्षा के क्षेत्र में प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि भारतीय संस्कृति में शिक्षा का कितना महत्व रहा है।