स्टीफन हेल्स

स्टीफन हेल्स ( १७ सित्मबर, १६७७- ४ जनवरी, १७६१ ) एक अंग्रेज़ी पादरी थे जिन्होनें शरीर क्रिया विज्ञान, वनस्पतिशास्त्र और रसायन-शास्त्र में मुख्य योगदान दिया हैं। वह पेहले वैज्ञानिक थे जिन्होनें रक्तचाप का अविष्कार किया। उन्होनें कई सारे साधनों की रचना की जैसे- वेंटीलेटर, चिकित्सा स्ंबंध फोरसेप्स आदि। एक मशहूर वैज्ञानिक होने के साथ-साथ एक लोकोपकारी भी थे, और मदीरा असक्ति के बारे में भी कई निबंध लिखे थे।

जीवन चरित्र

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स्टीफन हेल्स का जन्म सन १६७७ में केंट, इंगलैंड में हुआ था। वह टोम्स हेल्स का छठवाँ बेटा था। हेल्स का शिक्षण केंसिन्टन और उसके बाद ओर्पिग्टन में हुआ था। सन १६९६ में, वे कोर्प्स क्रिस्टी कॉलेज, कैम्ब्रिज में दाखिल हुए। जब वे कैम्ब्रिज में थे, उन्हें गणित, प्राकृतिक वैज्ञान शास्र में शिक्षण प्राप्त किया। सन १७०९, उन्हें टेडिंग्टन इलाके का परपेटुआल अध्यक्ष का अधिकार मिला। उनकी रुचि हमेशा जीव-विज्ञान,शरीरविज्ञान और वनसपतिशास्त्र में थी। उसके बाद वे टेडिंग्टन नहीं छोडे और इस इलाके मे काफी प्रसिद्ध बन गए। समाज की भलाई के लिए, उन्होंनें काफी बद्लाव को प्रचलित किया। लेकिन स्माज के कुछ लोगों को उनके वैज्ञानिक प्रयोग के लिए जानवरों का इसतेमाल करना उचित नहीं समझे। सन १७१८, अलेक्जेंडर पोप, एक कवि ने कहा कि - " उन्होंने इतने कठोरताऍ की है, अब इन्सान होने का क्या फ्यादा। क्या पता, कल वह हमारे देह का भी प्रयोग करेगा।" सन १७२० में उनकी शादी मेरी न्यूस से हुआ लेकिन उनकी देहान्त जल्द ही हुआ। हेल्स की प्रसिद्धी जल्द ही फैलने लगा और १७१८ के बाद वे रोयाल अकादमी ओफ वैज्ञान, पैरिस के एक विदेशी सदस्य थे। उसके बाद उनको कई जगहों में प्रशंसा मिली और उनकी प्रयासों को स्वीकार किया था। उनका देहान्त जनवरी १७६१ को हुआ था।

हेल्स ने जानवर और यंत्र शरीर क्रियाविज्ञान में विशिष्टीकरण किया था। उनकी सबसे प्रसिद्ध प्रकाशन ' स्टेटिस्टीक्ल एस्सेय ' दो भागों में प्रकाशित किया। पेहला भाग 'वेगिटेब्ल स्टेटिक्स' है जो वनस्पतिशरीरविज्ञान और दूसरा भाग है 'हामिस्टेटिक्स' जो जनवर शरीरविज्ञान का विस्तार किया है, जिसमें रक्तचाप का र्वणन किया है।

 

वनस्पति शरीरविज्ञान

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स्टीफन हेल्स को वनस्पति शरीरक्रियाविज्ञान के पिता के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंनें पोधों के पत्ते में ट्रांस्पिरेश्न का विकास और रीति का अनुसरण किया। उन्होंनें पत्तों और हेतुओं के सतही भाग और विस्तार का अनुमान लगाया। वह पेहले वैज्ञानिक थे जो प्रकाश संश्लेषण के पेहलुओं ध्यान से देखा। फोटोसिन्थेसिस एक एसा प्रक्रम है जिसमें पेड-पोधे वायू से कार्बन डाइआक्साइड और पानी लेकर, कार्बोहाइड्रेट और ओक्सिगन गैस का उत्पादन करता है।

6 CO2 + 12 H2O + प्रकाश + क्लोरोफिल → C6H12O6 + 6 O2 + 6 H2O + क्लोरोफिल

उन्होनें यह भी साबित किया की मिठ्ठी से जब पानी लेता है, एक तरह का दबाव ही पानी को ऊपर लेता है, इसको 'रूट प्रेशर' भी कहा जाता है। उन्होनें इसका भी अनुमान किया कि शायद पोधे ,फोटोसिन्तेसिस के दौरान, प्रकाश का भी प्रयोग कर रहा होगा। वे कई सारे अनुमान लगाए थे और इनके आधार पर कई सारे वैज्ञानिकों ने इस विश्य पर विचार किया।

जानवर शरीरविज्ञान

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इसी तरह उन्होंनें जानवर शरीरविज्ञान के फील्ड में भी विल्लिय्म स्टक्लए के साथ काम करना शुरू किया। उनके सबसे प्रसिद्ध काम था जब वे रक्तचाप का महत्व पर प्रकाश डालने के लिए उनके प्रयत्न को सराया गया है। वे ह्रद्य में होते सिकुडन और प्रसारण को सही ढंग से विस्तार करते है। इसके अलावा धमनी में जो रक्त बहता है, उसका प्रभाव और जीवन में उस्के महत्व पर हमें ज्ञान देते है। वे हड्डियों की विकास आकार और रीढ संबंधी के बारे में भी जानकारी प्राप्त की है।

उनके पत्नी के देहान्त के बाद, के काफी परोपकारी बन गए। १७२२ में वे सोसाइटी फोर प्रोमोटिंग क्रिस्टियन नोलेड्ज का एक सदस्य बन गए। वह गरीब बच्चों को उपकार देते थे। वे कर्ज़ चुकाने लोगों को पैसा देखकर मद्द करते थे क्योंकि उनकी भाइयों को भी कर्ज़ के मामले में फसे हुए थे। विल्लिय्म शिप्लिए के साथ वे रोयल सोसाइटी फोर आर्ट का निर्माण किया था। इसके अलावा जिन आक्ट, १७३६ के आन्दोलन में भी उनका एक प्रभावशाली दर्शन रहा। वे शराब के दुरुपयोग के विरुद्ध थे और वे कई बेनाम पत्रों को प्रकाशित करते थे ताकी लोगों तक ये खबर फैले कि मदीरा लेना सेहत के लिए हानिकारक है। उनका देहान्त सन १७६१ जनवरी में हुआ।