सदस्य:Alisha jaison.c/दुनिया की विलुप्त संस्कृतियाँ
दुनिया के विलुप्त संस्कृतियों
संपादित करेंसंस्कृति मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक है,क्युंकि यह लोगों को खुद को पेहछाने के लिए और उस समूहों मै खुल मिल जाने कि अवसर देते है।स्ंस्कृति लोगों के व्य्व्हारों के कुल योग हो सकता है ,इसके साथ-साथ भाषा ,दफन अनुष्टान और शादियों कि रीति सब स्ंस्कृति प्र निर्भर करता है। इन सांस्कृतिक विचारों के अनुसार, लोग विभिन्न प्रकार के समूहों बनाते है। एक लोगों की जीवन शैली और उनके वंशजों के बीच समानता अगले समाने पर गुजरती हैं, धीरे-धीरे सांस्कृतिक विरासत विकास होती है।भाषा सांस्कृतिक पहचान के लिए मौलिक है। बढ़ते वैश्वीकरण और सांस्कृतिक हमलों के कारण,अधिक से अधिक अद्वितीय स्ंस्कृतियों खतरे में है।अधुनिकीकरण और सार्तक विकास भी स्ंस्कृति विलुप्त होने का एक् कारण है।इसके अलावा सांस्कृतिक साम्रज्यवाद भी कुछ अल्पस्ंख्यक संस्कृतियों को मरने के लिए मजबूर कर देता है।सांस्कृतिक विलुप्त होने के साथ भाषा, परंपराओं, आदतों और सीमा शुल्क की हानि भी शामिल है।इसलिए सभी लोगों और दुनिया संगठनों इस स्ंस्कृति विलुप्ति और नुकसान को रोकने के प्रति काम कर रहा ह
बाताक (फिलीपींस)
संपादित करेंबाताक लोग पालावान द्वीप पर जीते थे। व्ह मूल जाति, ऑस्ट्रेलियाड या निगरिट् के अवरोही हैं।स्त्तार हाज़ार पेह्ले वे अफ्रिका छोद दिया था और लगभग पाच्चीस हाज़ार पेह्ले वे फिलीपींस में आकार बसा हुअ था।वे ज्ंगल के अंदर रह्ते थे और खेती ,शिकार और सभा पर रह्ते थे।बाताक लोग स्ंरचना में बहुत छोटे थे और अल्प कपड़ा पेहनते थे।इन वर्षों में अधुनिक सभ्य्ता विस्तार के साथ रोगों इस जनजातियों को खेरना शुरू कर दिया और धीरे धीरे इन लोगों का अंत हुअ। पहले बाताक लोग् 'स्लेश और बर्ण्' खेती की विधि का पालन किया करता था लेकिन जब से सरकार ने वनों की कटाई पर प्रतिबंध लगा दिया है,उत्पादन खाद्य मुश्किल हो गया है,जिसके परिणामस्वरूप बाताक् लोगों के बीच कुपोषण के प्रसार हुआ।
पिराहा (ब्राज़ील)
संपादित करेंपिराहा एक एसा गोत्र है जो अधुनिक सभ्यथा द्वारा पेशकश को टुकरा दिया है।यह शिकारी जनजाति मैसी नदी के तट पर रह्ते है।अमेजन मूल निवासियों के एक अनूटी भाषा है जिसमें सिर्फ र्ंग या गिनती कि प्रयोग होते थे,उसमें कोइ शाब्दों का प्रयोग नहीं होता।उनके सरलीकृत भाषा उनके सांप्रदायिक संस्कृति को दर्शाते है जिसमे किसी को भी किसी सामान का ध्यान नहीं रखना पड्ता ।सभी चीज़ों को एक दूसरे के साथ साझा जाता है इसलिए गिनती कि ज़रूरत ही नहीं है।पिछले मिशनरियों ने इन पिराहा लोगों को ईसाई में परिवर्तित कराने की कोशिश की लेकिन असफल रहा। बाद में वे भी प्रौद्योगिकी की घुसपैठ का विरोध किया था। केवल 420 लोगों और कोई नेता की आबादी के साथ, केवल समय ही बता सकते हैं कि कितनी देर तक वे ब्राजील में जीवित रह पाएँगे ।
सिंधु घाटी सभ्यता(भारत)
संपादित करेंयह लोग पशचिमी युरोप के आकार के एक स्थान पर निवास करता था जो अभी का पाकिसतान और पशचमी भारात है।सिंधु घाटी सभ्यता के लोग् १३०० ई पु से ३००० ई पु तक इस स्थान पर निवास करता था।हालांकि यह क्षेत्र ७००० से बसा हुअ था।प्राचीन सभ्यतओं में से सबसे बडे सभ्यथा होने की बावजूद भी इनके बारें में ज़्यादा जानकारी नहीं है क्योंकी उनकी भाषा समझने की प्रयास कभी नहीं हुअ है।हम जानते है कि वे एक सौ से अधिक शाहरों और गाँवओंजैसे की हड्प्पा और मोहन जिदारो जैसे शाहऱों जिनमें प्रत्येक एक संगठित लेआउट के साथ बनाया गया था, और घर के अंदर शौचालय के साथ एक जटिल पाइपलाइन प्रणाली सहित गांवों का निर्माण किया था।सबूतों के हिसाब से पता चलता है की हड़प्पा में एकीकृत सरकार थी और वहाँ कोई सामूहिक वर्गों नही थे।वहाँ सैनय गतिविधी का कोइ सबूत नहीं है इसकलिए यह स्ंभावना है कि वे शांति में रहते थे।वे कुशल खगोलविदों थे और अच्छी तरह से कृषि के क्षेत्र में निपुण थे। गेहूं, जौ, मटर, खरबूजे, तिल और कपास कि कृषि में सफल थे ( सूती कपड़े का उत्पादन करने के लिए प्रथम सभयता था।