==आत्मकथा== 
पहले मुझे बहुत खुश लग रहा है कि आज मुझे अपने बारे मै बोलने को मौका मिला है।मेरा नाम अमर्त्य सिन्हा है।मै एक छोटासा शहर भद्रक,ओडिशा से हु।मै अभी क्राइस्ट विश्वविद्यालय मे वाणिज्य         का अध्ययन कर रहा हु।मेरे पिताजी का नाम साधन कुमार सिन्हा है और वह हमारे जिल्ले का मुख्य डाकघर मै पोस्टमास्टर का काम करते है।मेरे माताजी का नाम ज्योत्सना सिन्हा है और वह एक  गृहिणी है।मेरा एक बडी दिदि भी है और उसका नाम अन्वेशा सिन्हा है।वह अभी अर्थनीति मै पीजी कर रही है।चलो अपने घर मै बस हम चार ही है।
चलिए मै पहले आपको अपने पढाई के बारे मे बताता हु।मैने अपनी पढाई पहले एक ओडिया मीडियम विद्यालय सरस्वती शिशु विद्यामन्दिर से आरम्भ किया था।मैने पान्चवी तक उधर पढा हु।उसके बाद मैने केन्दीय विद्यालय मै पान्चवी से वारहवी तक वही पर पढा।मेरा दशवी मै ९.२ सीजीपीए था और वारहवी मै ८२ प्रतिशत आये थे।फिर मैने क्राइस्ट के लिए परीख्या दिया और मै याहा पढने के लिये पास भी हो गया।और अभी भी मै यहि पर पढाई कर रहा हु।
अब मै आपको अपने पसन्द और नापसन्द के बारे मै बताने जा रहा हु।मुझे किताबे पढना,गाना सुनना,टीवी देखना आदि पसन्द है।और सबसे ज्यादा मुझे पसन्द है खेलना और जिम मै व्यायाम करना भी अच्छा लगता है।मै बास्केटबल खेलता हु और मै ३ बार अन्तर-रज्यीय के स्तर पे भी खेला हुआ हु।बस बास्केटबल ही नही मुझे क्रिकेट,फूटबल आदि भी पसन्द है।इस के लिए मै हर खेल देखता हु।मुझे खेल के बारे मै जानने के लिए बहुत अच्छा लगता है।साथ ही साथ मै हर दिन जिम भी जाता हु।मुझे अपने आपको फिट रखना पसन्द है।इसके साथ मुझे घुमना भी पसन्द है।अब पढाई मै मेरा प्रिय विषय एकाउन्टस है।अब मै आपको बताने जा रहा हु मुझे क्या नापसन्द है।सबसे पहले मै बोलुगा कि मुझे सबसे फालतु राजनीति लगती है क्योकि मेरे हिसाब से इसके कारण ही हमारे देश मै ज्यादा अशान्ति होती है।और मुझे मार-पीट करना,दुशरो का मजाक उडाना आदि सब से नफरत है।मै उन लोगो से बहुत गुस्सा लगता है जो दुसरो को परेशान करते है।
अभी मै आपको अपने प्रिय मित्र के बारे मै बताने जा रहा हु।उसका नाम है ऋषि कुमार पण्डा।वह हर चीज मै अच्छा है जैसे पढाई,तबला बजाना,डान्स करना,गाना गाना,मोडेलिङ्ग करना आदि।वह ११ मै हमारे विद्यालय मै आया था।हम दोनो बहुत जल्द ही अच्छे दोस्त बन गये क्योकि हम दोनो कि चिन्ताधारा बहुत मिल्ती-जुल्ती है।हम हमेशा साथ मै घुमते थे,पढते थे,जिम जाते थे आदि।वह भी क्राईस्ट मे पढने वाला था पर नही पढा,इस बात का दुख हम दोनो को है।वह अभी दीनदयाल विश्वविद्यालय मे पढ रहा है।आज भी हम फोन पे बात करते है और याद करते है।
आखिर मे मै इतना कहना चाहुगा कि मै बहुत भाग्यवान हु कि मुझे क्राईस्ट जैसे जगह पढने को मौका मिला।मै अपना पुरा कोशिश करुगा कि मै इस कोलेज मे अच्छे से पढाई करके अपने साथ साथ अपने कोलेज का भी नाम रोशन करु।ऐसे कोलेज मे पढ्ने के लिए किस्मत चाहिए होता है और मै बहुत खुश हु कि मै यहा पढ रहा हु।बेङ्गालुरु भी एक मस्त जगह है घुमने के लिए जो कि मुझे बहुत पसन्द है।इसके साथ यहा भी मेरा कुछ अच्छे दोस्त बन गये है जिन के साथ घुमने का मजा ही कुछ और है।