सदस्य:Anandcte13/प्रयोगपृष्ठ
आर्य वाद
संपादित करेंएक सिद्धान्त
संपादित करेंज्ञान पर आधारित ऐसी जीवन शैली जो मानवों में समानता और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी सुनिश्चित करती है।
1.) ज्ञान पर आधारित - आर्य जो भी कर्म करते है वो ज्ञान पर आधारित होता है, उसके कारण और प्रभाव से आर्य परिचित होते हैं। नये ज्ञान के खोजे जाने पर कर्मों में वांछित बदलाव करते हैं।
2.) जीवन शैली - सामान्य जीवन चर्या क्या हो, जीवन के किस पड़ाव में किसकी क्या जिम्मेदारी है, इन सब का निर्धारण ज्ञान से करके सब आर्य एक जीवन शैली को अपनाते हैं। आर्यों की जीवन शैली सामुहिक जिम्मेदारी पर आधारित होती है और कत्र्ता से ज्यादा कर्म महत्त्वपूर्ण होता है।
3.) मानवों में समानता - सभी मानव समान होंगे तभी विश्व शांति स्थापित हो पायेगी। आर्य सभी मानवों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से समान बनाने के लिए कर्म करते हैं।
4.) प्रकृति के प्रति जिम्मेदार - मानव को जीविंत बनाये रखने के लिए प्रकृति का सुरक्षित रहना बहुत जरूरी है। आर्य अल्पकालीन लाभ के लिए प्रकृति को नुकसान पहुँचाकर दूरगामी दुस्परिणामों को आमांत्रित नहीं करते। आर्यों के लिए मानवों के अतिरिक्त सब कुछ प्रकृति का हि भाग होता है।
5.) सारांश - आर्य स्वर्ग की कामना करने के बजाय सत्य ज्ञान युक्त कर्म को करते हुए इसी मानव जीवन को श्रेष्ठ (आर्य) बनाते हैं।