सदस्य:Anjana r 1997/प्रयोगपृष्ठ

जन्म: 18 मार्च 1997

पिता का नाम : के.टी. राधाक्रिश्नन

मा का नाम : श्रीजा

जन्म स्थान: पलक्कध, केरला, भारत

भूमिका: संपादित करें

मेरा नाम अंजना राधाकृषणन है।मेरा जन्म १९९७ मार्च १८ को केरला में पालघाट जिले(भारत) में हुआ था। मैं अभी १८ साल की हूँ और बेंगलुरू में र्क्राईस्ट सर्वकलाशाला में मनोविज्ञान विषय में पूर्वस्नातक कर रही हूँ।बेंगलुरू में आते सिर्फ ७ महीने ही हुए हैं जिसके पहले मैं मुबंई में थी जहाँ से मेरा माध्यामिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय,नं १ कुलाबा से पूर्ण हुआ।

परिवार: संपादित करें

मेरा परिवार चार लोगों से सम्मिलित है। मेरे पिता भारतीय वायु सेना का सेवा करते हैं और माँ एक ग्रहणी हैं। मेरी एक बडी बहन भी है जो वर्तमान में भुबनेश्वर सेर्व्यस विश्वविद्यालय में एम्.बी.ए कर रही है।मेरी बहन ने कालिकट विश्वविद्यालय से अपना पूर्वस्नातक इंजीनियरिंग में पूरा किया था। मेरे दादा और दादी केरल में पालघाट जिले में ही रहते हैं।

बचपन और उम्मीद: संपादित करें
मैंने अपना प्रारंभिक जीवन केरल और कोयबंतूर में बिताया था। फिर पिताजी के स्थानांतरण के कारण अपना प्रार्थमिक शिक्षा नई दिल्ली में करने की अवसर मिली। बाद में कुछ चार साल तक केरल में वापस गई जिसके बाद मुबंई में पिताजी का स्थानांतरण हुआ जहाँ से मैंने अपना १२ वी कक्षा तक की पढ़ाई पूरा किया।

मेरे जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण काल मुबंई में ही गुजरा है।मुबंई बेशक स्वपनों का नगर है और एसा लगता है शायद उस शहर ने कुछ जादू मेरे ऊपर किया हो।किसी और शहर से इतनी लगाव कभी नहीं हुई है।मेरा अनेक स्वपनों में से एक यही है कि मैं मुबंई में ही अपना बाकी का सारा जीवन बिताँउ।अगला स्वपन यह है कि मनोविज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त करके लोगों के भावुक समस्याओं को समझकर उनकी मदद करूँ।साथ ही साथ अपने जीवन का मूल्य अनुभव करना चाहती हूँ।

लक्ष्य : संपादित करें

बचपन से ही गणित में कमजोर होने के वजह से मुझे अपने काबीलियत पर संदेह था मगर अपने इच्छा के अनुसार विज्ञानेतर विषय लेकर आगे पढ़ने की इरादा की जिसके वजह से मैंने मेरा असली काबीलियत पहचाना। मेरे लिये मेरी बहन ही मेरा सबसे बडा सहारा रहा है,साथ ही साथ सबसे अच्छी सहेली भी।बचपन से लेकर ही वह एक माँ के समान मेरी हर मुश्किलों में मेरा साथ देती आयी है। मैं भारत में ही पढ़कर यहीं पर ही काम करना चाहती हूँ। अन्य देश में जाकर वहाँ दूसरे दर्जे का नागरिक नहीं बनना चाहती।अपने देश के हर कोना अकेले में यात्रा करके देखना भी चाहती हूँ।