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अश्विनी नाचप्पा | |
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जन्म |
21 अक्टूबर १९६७ कर्नाटक, इंडिया |
शिक्षा | नेशनल पब्लिक स्कूल, राजजिनगर |
पेशा | एथलीट / अभिनेत्री |
जीवनसाथी | दत्ता करुम्बयाह |
बच्चे | २ |
अश्विनी नाचप्पा एक पूर्ण पूर्व एथलीट और कर्नाटक की एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री है। उनको 'फ़्लो जो' या 'फ्लोरेंस ग्रिफिथ जॉयनर ऑफ इंडिया' के नाम से भी जाना जाता है। । १९८० के दौरान पी.टी उषा दो अलग-अलग मौकों पर पराजित करने के बाद उन्होंने लोकप्रियता हासिल की। फ़्लो जो की तरह, नाचप्पा अपने ग्लैमरस उपस्थिति के साथ मैदान में उनके प्रदर्शन के लिए जानी जाति है। उनकी लोकप्रियता और ग्लैमर-रानी दृष्टिकोण ने उनको कई फिल्म प्रस्ताव लाए। उन्हें वर्ष ११९० में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह एक शैक्षणिक भी है,वह अपना स्कूल चलाती है । वर्तमान में, वह बैंगलोर शहरी जिला एथलेटिक्स एसोसिएशन की अध्यक्ष हैं।
व्यक्तिगत जीवन
संपादित करेंअश्विनी नाचप्पा का जन्म कर्नाटक में २१ अक्टूबर,१९६१ को हुआ था। अश्विनी नाचप्पा ने अपना बचपन कलकत्ता मे बिताया था जहाँ उनके पिता ने बिड़ला रेयन के लिए काम करते थे। कुछ वर्षों बाद उनका परिवार बैंगलोर में स्थानांतरित हो गया। बचपन से ही उनको खेल के प्रति उत्साह था। ६ या ७ साल की उम्र से वह ५० मीटर दौड़ में अपनी कक्षा के लड़कों को हराती थीं। एमएस गिल उनके कोच थे, जिन्होंने उनको प्रशिक्षित किया था। बहुत जल्द उन्होंने खुद को एक सक्षम एथलीट के रूप में साबित कर दिया। एक खिलाड़ी के रूप में सेवानिवृत्ति के बाद, वह और उनके पति ने एक खेल अकादमी शुरू की। उन्होंने सामाजिक कार्य मे भि अपनी रूचि दिखाई है। उनकी दो बेटियां हैं, जिनमें से दोनों अपने बचपन के दिनों से खेल में भागीदारी दिखाते हैं।
खेल कर्मशेत्र
संपादित करेंअश्विनी नाचप्पा १०० मीटर, २०० मीटर और ३०० मीटर की दौड़ के लिए भारत कि चैंपियन धावक रह चुकी हैं। कई स्थानीय स्तर के खेलों को जीतने के बाद, वह राष्ट्रीय स्तर पर खेलने लगीं। उन्होंने कई राष्ट्रीय खेलों को जीतकर अपनि पहचान बनाई है, जिनमें से उनकि सबसे यादगार उपलब्धि थि जब उन्होंने नई दिल्ली में १९९१ के ओपन नेशनल के दौरान चैंपियन पी.टी. उषा को पराजित किया था। पी.टी. उषा पर यह उनकी एकमात्र जीत नहीं थी। उन्होंने नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय निमंत्रण परमिट बैठक में भी स्वर्ण पदक जीता था।
अश्विनी नाचप्पा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेलों मे भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दीया है। उन्होंने चार एशियाई ट्रैक और फील्ड चैम्पियनशिप में भाग लिया है और तीन स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य पदक जीता है। उनको सियोल ओलंपिक के लिए चुना गया था, लेकिन दुर्भाग्य से वह असफल रही।
फ़िल्म कर्मशेत्र
संपादित करेंखेल के अलावा अश्विनी नाचप्पा ने दक्षिण टॉलीवुड फिल्म उद्योग मे भी नाम कमाया है। उन्होंने विशेष रूप से तेलुगू सिनेमा मे अभिनय किया था। उन्होंने अपनी जीवनी फिल्म अश्विनी में भी अभिनय किया है। उन्होंने कुल ५ फिल्मों मे अभिनय किया है। उन्हें सर्वश्रेष्ठ पदार्पण अभिनेत्री के लिए राज्य नंदी पुरस्कार और तेलुगु सिने पुरस्कार से नवाज़ा ज़ा चूका है।
एक सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद के रूप में अश्विनी
संपादित करेंअपने सफल करियर के बाद, अश्विनी नाचप्पा सामाजिक कार्य और शिक्षा में शामिल हो गए। वह परिक्रमा नामक एक गैर सरकारी संगठन के लिए ट्रस्टी है। एनजीओ बैंगलोर में कई गरिब बच्चों के साथ-साथ अनाथों को बेहतर बनाने के लिए काम करता है। पूर्व एथलीट भी अपने घर के शहर कोडागु के लिए कुछ सकारात्मक करने के लिए उत्सुक थी। उन्होंने कोडागु के एक छोटे से शहर गोनीकोपा में लर्निंग एंड स्पोर्ट्स के करुंबिया अकादमी की शुरुआत की।
स्कूल देश के ग्रामीण इलाकों में एक मजबूत खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के अपने मिशन का हिस्सा है। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद, वह 12 साल तक विशेष ओलंपिक कार्यक्रम से भी जुड़ी हुई थीं। कार्यक्रम मानसिक रूप से विकलांग बच्चों को साल भर के खेल प्रशिक्षण प्रदान करता है।
अश्विनी नाचप्पा एथलेटिक्स से सेवानिवृत्त हो सकते हैं, लेकिन दिलो से दूर नहीं। सामाजिक कारणों और जीवन के लिए उनके प्यार और सक्रिय भागीदारी ने उन्हें सार्वजनिक रूप से संयुक्त रखा।
सन्दर्भ
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- ↑ कौन है अश्विनी नाचप्पा? https://www.mapsofindia.com/who-is-who/sports/ashwini-nachappa.html
- ↑ एक अश्विनी कई भूमिकाएं http://www.hinduonnet.com/tss/tss2912/stories/20060325004402600.htm