सदस्य:Ann Grace Jason/प्रयोगपृष्ठ/अभिघातज के बाद का तनाव विकार

= अभिघातज के बाद का तनाव विकार/ पश्च-आघात तनाव विकार संपादित करें

पश्च-आघात तनाव विकार वरना पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर। पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर-पीटीएसडी) या पश्च आघात तनाव सिंड्रोम (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस सिंड्रोम-पीटीएसएस) यह शब्द किसी आघात की घटना के अनुभव की प्रतिक्रियास्वरुप उत्पन्न लक्षणों की पूरी श्रेणी को प्रदर्शित करता है, जो कि आपके सामान्य मानवीय अनुभवों के परे होते हैं। पश्च-आघात तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर-पीटीएसडी) या पश्च आघात तनाव सिंड्रोम (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस सिंड्रोम-पीटीएसएस) यह शब्द किसी आघात की घटना के अनुभव की प्रतिक्रियास्वरुप उत्पन्न लक्षणों की पूरी श्रेणी को प्रदर्शित करता है, जो कि आपके सामान्य मानवीय अनुभवों के परे होते हैं। अक्सर यह विलम्ब से होने वाली प्रतिक्रिया होती है। अक्सर यह विलम्ब से होने वाली प्रतिक्रिया होती है। कुछ लोग 6 माह में ठीक हो जाते हैं, जबकि कुछ लोगों के लक्षण लम्बे समय तक बने रहते हैं। कुछ लोगों में, यह स्थिति दीर्घकालीन हो जाती है। पश्च-आघात तनाव विकार का निर्धारण संकेतों और लक्षणों तथा विस्तृत मनोवैज्ञानिक परीक्षण के आधार पर होता है। चिकित्सीय समस्याओं की जाँच हेतु शारीरिक परीक्षण किया जा सकता है। पीटीएसडी को किसी प्राणघातक आघात की दुर्घटना, जिसमें भय, असहाय होने या डर जाने की त्वरित प्रतिक्रिया हो, के पश्चात लगातार (एक माह तक) होने वाले लक्षणों द्वारा समझाया जा सकता है। व्यक्ति को बुरे स्वप्न, पिछली बातों में लौट जाना, या आघात वाली घटना से जुड़े अनचाहे विचार और स्मृतियाँ हो सकते हैं। तिउत्तेजना के लक्षण जिनमें व्यक्ति शारीरिक रूप से अधिक घूमने वाला, अतिसतर्क, आसानी से भौंचक्का हो जाने वाला और नींद में व्यवधान का, क्रोध, और/या एकाग्रता की समस्या का अनुभव करता है। बचने या टालने के लक्षण जिनमें व्यक्ति उन चीजों या बातों में रूचि खो देता है जिनमें उसे पहले आनंद मिलता था, साथ ही घटना की याद दिलाने वाले स्थानों, परिस्थितियों और अन्य उत्प्रेरकों से बचना (उदाहरण के लिए भीड़-भाड़ भरा मॉल जो कि खतरे के लिए उच्च सतर्कता को उत्प्रेरित करता है)।लक्षण सामाजिक और व्यावसायिक कार्यक्षमता में पर्याप्त रूप से क्षति करने वाले, हानि देने वाले और परेशानी देने वाले रूप से जुड़े हुए होते हैं। व्यक्ति को चाहिए कि जीवन जितना संभव हो उतना सादा और सरल रखे। अपने सामान्य नियमित कार्य व्यवहार पर लौटें, घटी हुई घटना के बारे में किसी विश्वासपात्र व्यक्ति से चर्चा करें और विश्रान्तिदायक व्यायामों को अपनाएँ। कार्य पर वापस लौटें। भोजन और व्यायाम नियमित करें। जिस स्थान पर आघात वाली घटना घटी है, वहां वापस जाएँ। मित्रों और परिवार के साथ रहने का समय निकालें। वाहन चलाते समय सावधान रहें, आपका ध्यान कमजोर हो सकता है। डॉक्टर से परामर्श लें और बेहतर होने की आशा करें। डॉक्टर से संपर्क करें यदि आपको सजीव स्मृतियाँ, पिछले विचार या बुरे स्वप्न हों, कभी-कभी भावनात्मक रूप से सुन्न अनुभव करते हों, चिड़चिड़ा अनुभव करते हैं, सामान्य से अधिक भोजन करना, या सामान्य से अधिक मात्रा में शराब पीना या ड्रग लेना, अपने मिजाज का नियंत्रण से बाहर होना महसूस करना या अन्य लोगों के साथ घुलना-मिलना कठिन लगता है या अवसादग्रस्त या बेजान अनुभव करते हैं। यदि आत्महत्या करने के विचार भी आते हों तो तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करें। पश्च-आघात तनाव विकार के अत्यंत प्रमुख लक्षणों में से एक है कोर्टिसोल का स्तर बढ़ा हुआ होना, यह हार्मोन शरीर में तनाव सम्बंधित कई प्रकार के परिवर्तनों हेतु उत्तरदायी होता है। कोर्टिसोल के स्तर को घटाने वाले आहार लेने से स्थिति को सुधारने में सहायता होती है। रेशे की उच्च मात्रा वाले भोज्य पदार्थ। इनमें आते हैं साबुत अनाज की ब्रेड और दलिया, जई की भूसी, ओटमील, फलियाँ, खट्टे फल, स्ट्रॉबेरीज, चुकंदर और गाजर। स्वास्थ्यवर्धक आहारों जैसे हरी मिर्च, खट्टे फल, टमाटर, स्ट्रॉबेरीज, ब्रोकोली, रतालू और केंटालूप में पाया जाने वाला विटामिन सी अपने आहार में शामिल करें। भोजन में उपस्थित प्रभावकारी एलर्जन ना लें जो कि डेरी उत्पादों, गेहूँ (ग्लूटेन), मक्का, सोया, परिरक्षकों और भोज्य पदार्थों में अतिरिक्त मिश्रित तत्वों में पाए जाते हैं। कोर्टिसोल के बढ़े हुए स्तर और पश्च-आघात तनाव विकार के अन्य लक्षणों के लिए व्यायाम अत्यंत शक्तिशाली अस्त्र होता है। किसी भी तरह की गतिविधि जैसे पैदल चलना, दौड़ना, तैरना, साइकिल चलाना आदि से सम्मिलित व्यायाम कार्यक्रम का नियमित पालन करें। पीटीएसडी को किसी प्राणघातक आघात की दुर्घटना, जिसमें भय, असहाय होने या डर जाने की त्वरित प्रतिक्रिया हो, के पश्चात लगातार (एक माह तक) होने वाले लक्षणों द्वारा समझाया जा सकता है। पश्च-आघात तनाव विकार (पीटीएसडी) के लक्षण एकाएक, धीमे-धीमे उत्पन्न हो सकते हैं या समय के साथ आ और जा सकते हैं। लक्षणों में होते हैं: - अनचाहे आने वाले विचार जो आघात वाली घटना की याद दिलाते हैं। बुरे सपने आना। पिछली घटनाएँ याद आना। उन अनुभूतियों और विचारों से बचने का प्रयास कारण जो या तो आपको आघात वाली घटना की याद दिलाते हैं या जो उससे मिलती-जुलती अनुभूतियों को उभारते हैं। प्रियजनों से अलगाव महसूस होना या जुड़ पाने में असमर्थता। अवसाद, निराशावाद अपराध-बोध (इस असत्य धारणा के चलते कि दुर्घटना के लिए आप जिम्मेदार थे)। चिड़चिड़ापन या भावनाओं का गुस्से के रूप में उबलना। अतिसावधानी (संभावित खतरे को लेकर अति सतर्क होना)। अतिसंवेदनशीलता, जिसमें निम्न में से कम से कम कोई दो प्रतिक्रियाएँ हों: सोने में कठिनाई, क्रोध आना, एकाग्र होने में कठिनाई, आसानी से भौंचक्का हो जाना, कोई शारीरिक प्रतिक्रिया होना (ह्रदय गति या श्वास का तेज होना, रक्तचाप में वृद्धि)।