सदस्य:Ashim Kumar Pathak/प्रयोगपृष्ठ
हे पथिक ! प्रवीर है
तू आगे चला चल असीम पथिक
(असीम कुमार पाठक) पत्थर के फूल हो
चाहे कंटकमय पथ
उत्प्रेरित कर हृदय के
अचल मनोरथ को
तू जीवन के उन
उद्देश्यों को पूरा कर
हे पथिक ! प्रवीर है
तू आगे चला चल
साहस के दौर में
मंजिल भी पायेगा
बढा मनोरथ पथिक!
तेरा दौर आयेगा
यूं तो अकेले ही आया
है असीम पथिक!
लेके संसार का
अप्रतिम स्नेह जायेगा
जिस कठिनता की
कसौटी पर चला पथि
अविरल प्रवाह में भी
पथिक छा जायेगा
आज का स्नेह कल का
प्यार है पथिक तू
विश्व वंदिता स्मृति
के ख्याल है पथिक
तू जीवन के उन
उद्देश्यों को पूरा कर
हे पथिक ! प्रवीर है
तू आगे चला चल