सदस्य:Bhadra18/प्रयोगपृष्ठ
मेरा नाम भद्रप्रिया शिवकुमर है। मैं केरल,भारत की रेहने वाली हूँ। मैं क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बेंगलूरु में बीएससी (सीबीज़ी) में पहले साल के अपने पहले सेमेस्टर में हूँ। मैं अपनी पृष्ठ्भूमि, परिवार, शिक्षा, लक्षय और उप्लब्धियों से आपका परिचय कराना चहती हूँ।
पृष्ठ्भूमि
संपादित करेंमैं केरल के कोल्लम जिल्ले के कोटारक्करा तलुक में पैदा हुई थी। यह शहर अश्टमुडि झील के तट पर स्थित है। यह जिल्ला भरत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित है, पश्चिम में ताजिकल सागर के पूर्व में तमिलनाडु रज्य के पूर्व में एलुकादिवेली जिले, उत्तर में अलापुज़हा के केरल जिलों। उत्तर-पूर्व में पत्थ्रारमथिट्टा और दक्षिण में तिरुवनंतपुरम।
परिवर
संपादित करेंमेरे परिवर में चार सदस्य हें - मैं, मेरी पिता, मेरी माता और मेरा छोटा भाई। मेरे पिता का नाम शिवकुमर हें। वह एक सरकारी वकील हें। मेरी माँ, सिन्धु शिवकुमर, एक मुनीम है। वह नन्यु होरिज़ोन अभियान्त्रिकी विद्यलय में काम करती है। मेरे छोटे भाई का नाम आदिशेस्शन है। वह आटवी कक्षा में पढ रहा है। मेरे परिवार में सभी एक दूसरे का आदर और सम्मान करते हैं।
शिक्षा
संपादित करेंमैनें अपनी पढाई तीसरी कक्षा तक केरल में समाप्त की। उसके बाद मैनें अपनी दसवी कक्षा तक बैंगलोर की फ्रैन्क एन्थनी पब्लिक स्कूल में किया था। ११ और १२ में मैनें अपने विषय के रूप में विज्ञन को चुना और सिएमआर विद्यलय से स्नातक हुई। अभी मैं क्रैस्ट युनिवर्सिटि में रसायन, वनस्पति विज्ञान और प्राणि विज्ञान में बिएस्सी डिग्री की प्राप्ति के लिये पढ रही हैं।
रुचियाँ
संपादित करेंमुझें पढना, लिखना और नाचना अच्छा लगता हैं। इसके अलावा मुझे किसी चीज़ के बारे में और जानने कि जिज्ञासा हैं। मुझे यात्रा करना अच्छा लगता हैं।
लक्ष्य
संपादित करेंमैं बिएस्सी के बाद युपिएस्सि की परिक्षा देना चाहती हूँ। उसमे प्रथम श्रेणी लेकर मैं अपने जिले की कलेक्टर बनना चाहती हूँ। मैं अपनी नगरवासिओं की दुविधाओं को समझकर उनके समस्याओं का हल ढूंढना चहती हूँ। यही मेरा लक्ष्या हैं।
उपलब्धि
संपादित करेंमैनें अपनी विद्यर्थी जीवन में कई पुरस्कार प्राप्त किये हैं। आठवी कक्षा में मैनें अंग्रेज़ी बोलचाल में प्रथम श्रेणी जीती थी। नौवां कक्षा में मैनें अपनी भरतनाट्यम की जूनियर परिक्षा में ९८% प्रप्त किया। दसवी कक्षा में मैनें एक इंडो-मल्डिवियन सांस्कृतिक आदान-प्रदान में हिस्सा लिया, जहां मैनें एक भरतनाट्यम नृत्य किया और अगली दिन् मेरी तसवीर अख्वबार में छपि गई थी।