मेरा सोच यह हैं !

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मैं बिरेश यादव हिन्दी प्रेमी हूँ । स्वामी विवेकानन्द का कहना था, कि ज्ञान स्वयमेव वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है। हिन्दी का ज्यादा से ज्यादा विस्तार हो, इस दिशा में कार्य करना मुझे पसंद है । प्रसिद्ध स्थलों का भ्रमण और उसके बारे में जानकारी इकट्ठा करना मुझे बेहद पसंद है । बहुत दिनों से सोच रहा था कि इस जेहन में अपने पास जो कुछ भी एकत्रित है उसे दूसरों के साथ बांटा जाये । बस यही उत्कंठा खींच लायी है विकिपीडिया की तरफ । ज्यादा दिन नहीं हुये १० अक्टूबर 2015 से विकिपीडिया पर लिख रहा हूँ । मैं अधिकतर भारतीय साहित्य, संस्कृति, दर्शन और कला से सम्बंधित विषयों पर लिखना पसंद करता हूँ ।

सिरिसिया

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बिरेश यादव