मैं चंद्र सैन कोडगवाल ग्राम व डाकखाना कोडगा तहसील क़मरऊ जिला सिरमौर हिमाचल प्रदेश से सम्बंध रखता हूँ। मेरा गांव पौण्टा साहिब से लगभग 40 कि०मी० दूर पहाड़ी पर स्थित है। हमारा गांव सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यहां की संस्कृति की अपनी अलग पहचान है। यहां पर माघी त्यौहार, बिशु,खोड़ा, बूढ़ी दीवाली, हरियालटी, भादो की पंचमी, पाइतो इत्यादि त्योहार बड़े धूमधाम से मनाये जाते है। इन त्यौहार में समस्त ग्रामीण एक जैसे व्यंजन जैसे बेड़ोली, अस्कोलि, सुतोले, पटवांडे, पुड़े, तारी भात, धुरोटि भात, पोली इत्यादि बनाते है। यहां की यही संस्कृति इन्हें एकता व सौहार्दपूर्ण भावना बनाये रखती है। गिरिपार के लोग इन त्योहारों में इकठ्ठे होकर कई किलोमीटर का सफर तय करके सामान लाने जाते थे जिन्हें "#हाटी" कहा जाता था। ये तीन चार महीने का सारा सामान अपनी पीठ पर लाते थे और घर से अदरक को अपनी पीठ पर ले जाते थे। कई दशक बीत जाने के बावजूद भी गिरिपार क्षेत्र का विकास न के बराबर है। यहां के लोग आज भी सड़क,स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे है। लेकिन इन मे आत्मसम्मान ऒर परोपकार जैसी भावनायें कुटकुट कर भरी हुई है। ये लोग सदैव आशावादी रहे है। इन्हें आज भी उस सुनहरी सुबह का इंतज़ार है जब उन्हें समस्त मूलभूत सुविधाओं के लिये संघर्ष न करना पड़े। #जय हाटी.. जय माटी