सदस्य:Chitra iyer25/गीता दत्त
गीता दत्त वे एकमात्र गायिका हैं जो लता मंगेश्कर जी को भयभीत करने के लिए प्रशंसित हैं। वह् एक मशहूर गायिका थीं जिनकी आवाज़् की मिठास और राग आज भी उनके गीतों द्वारा मन में जुनून और भावावेश जगाती है।उनकी यह असाधारण और अनोखी कला ने उन्हे परंपरागत संगीत से पश्चिमी शैली में विनिमय करने की योग्यता दी। जब लता मंगेश्कर ने सिनेमा में गायिका के रूप में कदम रखा तो गीता जी के आवाज़् की इसी द्रवता ने उन्हे इस पार्श्वगायिका के व्यवसाय में बरकरार रखा।यदि गुरु दत्त के साथ उनका संबंध इतना त्रासिक नहीं होता तो वे अपने जीवन और व्यवसाय में और ऊचाइयों तक पहुँच सकती थीं। गीता जी के गाने स्वाभाविक थे और उनमें उपस्थित प्रेम उनके गीतों में जान और भाव भर देती थी। गीता जी क देहांत २० जुलई १९७२ में लिवर रोग की वजह से हुआ।
गीता दत्त् | |
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पृष्ठभूमि | |
जन्म नाम | गीता घोश रॉय चौधरी |
जन्म | २३ नवम्बर १९३० फरिदापुर |
निधन | 20 जुलाई १९७२ मुंबई, भारत | (उम्र 41 वर्ष)
आरंभिक जीवन
संपादित करेंगीता दत्त का जन्म पूर्व बंगाल के फरीदापुर जिले में एक धनी,जमींदार परिवार में गीता घोश रॉय चौधरी के नाम से हुआ। उनका जन्म २३ नवंबर १९३० में हुआ और वे देबेन्द्रनाथ घोश रॉय चौधरी और अमिया देवी के दस संतानों में से एक थीं। १९४२ में, जब वे १२ साल की थीं, उनके माता पिता ने दादर, मुंबई में एक फ्लैट खरीदा। वहीं पर संगीतकार और संगीत निर्देशक हनुमान प्रसाद ने उनका गायन सुना और खुद उन्हे संगीत में प्रशिक्षित करने की चेष्ठा की। उसके कुछ ही समय बाद हनुमान प्रसाद ने उन्हे "भक्त प्रहलाद"(१९४६) नामक चलचित्र में सहगान गायक के रूप में प्रक्षेपित किया। एस डी बर्मन ने उनकी आवाज सुनते ही उन्हे "दो भाई" फिल्म में गवाने का नर्णय लिया। उनके गाने का अंदाज़् बहुत ही अनोखा और अपरंपरागत था। यह ऐसा समय था जब अधिकतर गीतों की उत्पत्ति घज़लों से होती थी और गीता जी,जिन में यह आंतरिक कला मौजूद थी,बिना औपचारिक शिक्षा के ही अपनी एक पहचान बना गईं। उन्होने अपने गानों से संगीत को एक ताज़ा और सहज दृष्टीकोण दिया।
वैवाहिक और व्यवसाई जीवन
संपादित करेंगीता दत्त का गायकी जीवन उनके निजी जीवन से काफी प्रभावित था। "बाजी" के लिए गाते समय ही उनकी मुलाकात निर्देशक गुरु गत्त जी से हुई जिनसे उन्होने बाद में विवाह की। उन्होने अपने इस प्रणय से उभरते और प्रारंभिक वैवहिक जीवन के दौरान अपने सबसे श्रेष्ठ और उत्तम गाने गाये। परंतु एक सुखी और सफल विवह का सौभाग्य उन्हे ज्यादा समय के लिए उन्हे प्राप्त नहीं हुआ। उनके और उनके पति के बीच मतभेद होने के कारण उन्हे कईं कठिनाइयों से गुजरना पडा। १९६४ में जब गुरु गत्त जी की मृत्यु हुई तो गीता जी बहुत पीडित हुईं और टूट गईं। १९४६ से १९७१ के बीच उन्होने अनेक युगल गाने गाए। इन में प्रेम प्रसंगयुक्त गाने, हास्यपूर्ण गाने, भजन,छेड-छाड के गाने और विषादपूर्न गाने शामिल हैं। इसकी सूची अनंत है। उन्होने अशोक कुमार,खान मस्ताना और सुरेंद्र जैसे विंटेज गायकों के साथ जुगलबंधी की है। उन्होने कुछ आधुनिक गायक जैसे सुबिर सेन,महेंद्र कपूर और मीनु पुरुशोत्तम के साथ भी काम किया है।उनके सबसे अधिक युगल मोहमग रफीजी के साथ हैं। रफी जी के साथ उन्होने सभी शैली के गाने गाये हैं।
पुरस्कार
संपादित करेंगीता दत्त जी अभिनेत्री भी थीं और उन्होने अपने कार्य के लिए पाँच फिल्मफेयर पुरस्कार जीते।उन्होने उनके गानों के लिए भी अन्य पुरस्कारों से सम्मनित किया गया है।