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Damitha2604
नाम Damitha Kuruba
लिंग Female
जन्म तिथि 26/02/2001
जन्म स्थान Andhra Pradesh, India
नागरिकता Indian
शिक्षा तथा पेशा
पेशा Student
विश्वविद्यालय Christ (Deemed to be) University, Bengaluru
उच्च माध्यामिक विद्यालय MES Indian School, Doha Qatar

जन्म तथा परिवार

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दमिता कुरूबा का जन्म २६ फरवरी २००१ को आंध्र प्रदेश के एक छोटे शहर में हुआ था। वह अपने माता पिता की पहली बेटी है।उनके पिता दोहा कतार में सीनियर इंजीनियर का काम करते हैं। उनकी माता घर पर रह कर परिवार की देखभाल करती हैं। उनकी एक छोटी बहन है,जो प्रस्तुत दो साल की है।

दमिता की शिक्षा नर्सरी से लेकर बारहवी कक्षा तक दोहा के सबसे बड़े और पुराने विद्यालय, एम. ई. एस इंडियन स्कूल में पूर्ण की गई। वह प्रस्तुत बेंगलुरु के प्रसिद्ध विश्वविद्यलय क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में साइकोलॉजी, सोशियोलॉजी एवं इंग्लिश लिटरेचर की पढ़ाई कर रही है।उनका मानना है कि आजकल समाज की परिस्थिति में लोग अपने आप को और अपनी भावनाओं को समझने असफल है। इसके कारण उनका व्यवहार अधिकतर उनके आधीन में नहीं रहता है। यही कारण है कि संबंधों में दरार और टूटने की संभावना अधिक हो जाती है। वह भविष्य में साइकोलॉजी के माध्यम से लोगों की सहायता करना चाहती है।

दमिता कई रंगों में अपनी हाथ रख उसकी मज़ा ले चुकी है। उन्होंने भारतीय नाट्यकला भरतनाट्यम का अध्ययन किया है। उसके साथ साथ कार्णतिक संगीत का अध्ययन भी किया है। इसके अलावा उन्होने खेल कूद को भी समान समय दिया। वह अपनी स्कूल के तरफ से स्विमिंग के प्रतियोगिताओं में लगभग ८ साल तक भाग ले चुकी है। वह चित्र बनाने का भी बहुत शौक रखती है। अपने खाली समय में कविता भी लिखती है। वह टोस्त्मस्टर्स इंटरनेशनल नमक संघ में भाग लेकर उत्तीर्ण हुई है।

जीवन मूल्य

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उनका मानना है कि जीवन में शुद्ध खाना पानी, रहने के लिए बड़ा सा घर, असीम प्रेम देने वाले माता पिता, प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में पढ़ाई, यह सब पाने के लिए हमें बहुत आभारी होना चाहिए। कई लोगों के पास पेट भर खाना खाने का भी पैसा नहीं होता है, रहने के लिए साधा मकान नहीं, स्कूल जाने के लिए पैसे नहीं होते हैं। यह तो एक बड़े भूमि की छोटी सी देश के छोटे से शहर की बात है। न जाने दुनिया के किस कोने में इससे भी बुरी सितिथि पाई जा सकती है। हमारी ज़िन्दगी का, जिससे हमें शिकायत और असंतुष्टी है, वह जीवन किसी का सपना है।यदि हम अन्य लोगों की सहायता नहीं कर पाते तो ना ही सही, किन्तु हर एक इंसान को यह भाव और जागृति होनी चाहिए कि वह कितना भाग्यशाली है और उसमें प्रसन्न रहना चाहिए।