सदस्य:Dheeraj Prasad .media/प्रयोगपृष्ठ

नमस्ते मित्रों,

मैं धीरज प्रसाद मेरा जन्म 22 जनवरी 1985 को झारखण्ड के चंद्रपुरा नमक स्थान पर हुआ| मेरा पैतृक गांव झारखण्ड के दंगवार नमक गांव है | यहां मेरा जन्म नहीं हुआ और ना ही मेरी परवरिश इस गांव में हुई है| दोस्तों मैं जब 3 साल का था तो उस समय ही मेरे माता - पिता  दिल्ली में आ गए और यही के निवासी बन गए| मेरी आरंभिक शिक्षा नई दिल्ली के वसंत गांव दिल्ली 57 के नगर निगम प्राथमिक बाल-बालिका विद्यालय में हुई | इसके बाद मेरी शिक्षा आगे के विद्यालय में हुई| मेरी शिक्षा स्नातक है ( बी.ए ) | 

                          मुझे बचपन से ही हिंदी से काफी लगाओ है खास कर हिंदी कविता और हिंदी कहानियों से बचपन से ही मुझे हिंदी की रचनाओं को पढ़ने का शौख रहा| इसी से प्रेरित होकर मैंने कक्षा 6 से ही कविताओं की रचना करनी आरम्भ कर दी थी| और कुछ नाटक की रचना जो कई बार मेरे विद्यालय में भी प्रस्तुत की गई| मेरी लगातार कविताओं के प्रति लगाव और रुझान बढ़ता ही चला गया| और आज दिनांक 26 सितम्बर 2017 तक मेरी खुद की 700 से भी अधिक कविताओं की रचना है साथ ही दोहे, अनमोल वचन ( सूक्तियां ), कहानियां, नाटक इत्यादि इसे आप मेरे फ़ेसबुक अकाउंट पर भी पढ़ सकते हैं| बहुत ही जल्द मेरी कुछ पुस्तकें सामने भी आ जाएंगी अगर ईश्वर की कृपा रही तो| 

साल 2005 में मुझे हिन्दी अकादमी दिल्ली की तरफ से हिंदी में कविता लिखने पर पुरस्कृत भी किया गया| जिससे मुझे और लिखने की प्रेरणा मिली| जो आज भी कायम है| मेरा प्रारम्भिक जीवन जिसमे मेरा बचपन और युवा अवस्था तक काफी संघर्षो से भरा है| इतना संघर्ष जिसे मैं लिख नहीं सकता लेकिन इतना ज़रूर कहना चाहता हूँ अपने एक दोहे के माध्यम से - भाग्य लेख नियति लिखे, कर्म लेख है हाथ | भाग्य अन्न की गगरी, कर्म अन्न की खान || 

मैंने जो भी किया अपने बल-बुते पर करने का दम रखा| उम्मीद करूँगा आपको मेरी रचना पसंद आएगी आप मुझे मेरे फेसबुक https://www.facebook.com/dheeraj.prasad.374 पर पढ़ना न भूले | आपका दोस्त - धीरज प्रसाद