पर्फमिन्ग आर्टस संपादित करें

पर्फमिन्ग आर्टस (कला प्रदर्शन) कला का एक रूप है जिसमे कलाकार अपने शरीर, आवाज और वस्तुओ को प्रयोग करके कलात्मक अभिव्यक्ति देता है। कला प्रदर्शन के विभिन्न विशय है जो कि दर्शको के सामने प्रदर्शन की जाने के इरादे मे सफल होता है।

पर्फमिन्ग आर्टस या कला प्रदर्शन के अनेक प्रकार है जैसे: नृत्य, सन्गीत, ओपेरा, रन्गमन्च। यह सब कला प्रदर्शन के प्राथमिक रूप है। इसके माध्यमिक रूप है जादू या भ्रम कला, माइम, कठपुतली कला, रर्कस कला, पाठ और सार्वजनिक पाठ।

एक विशेश प्रकार का कला है ललित कला जहा कलाकार अपने कला का प्रदर्शन लाइव करता है। इसे प्रदर्शन कला कहा जाता है। ज्यादातर इस प्रकार की कला मे प्लसटिक कला शामिल है शायद रन्गमन्च की सामग्री सृजन के लिए। नृत्य को अक्सर प्लसटिक कला से उल्लेख किया जाता है आधुनिक युग के दौरान।

सन्गीत संपादित करें

सन्गीत एक कला है जिसका माध्यम है ध्वनि। यह एक प्रकार का प्रदर्शन कला है। सन्गीत के सामान्य रूप के गतिविधियो क वर्णन करके अगर हम इसे एक कला के रूप मे देखे तो सन्गीत के सहित सन्गीत के उत्पादन, आलोचना, इसके इतिहास और सौन्दर्य प्रसार शामिल होते है। सान्सकृतिक और सामाजिक प्रसन्ग के अनुसार सन्गीत के सृजन, प्रदर्शन , महत्त्व और यहा तक की इसकी परिभाषा मे भी बदलती है।

सन्गीत को शैलियो और उपशैलियो मे विभाजित किया जा सकता है। यद्यपि इन प्रभागो का रेखाओ और रिश्ते अक्सर सूक्शम रहे है। कभिकभार व्यक्ति व्यारव्यओ और विवादास्पद के लिए खुला भी रहा है यह प्तयोग। कला के भीतर सन्गीत को श्रवण कला कह सकते है।

सन्गीत की वर्गीकृत कला सन्गीत और लोक सन्गीत मे किया जा सकता है। कइ सन्स्कृति के लोगो के लिए सन्गीत एक बहुत हि महत्वपूर्ण भाग है उनके जीवन शैली मे।