डी राजारमन

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प्रिष्ठभूमी

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डी राजारमन भारत के प्रमुख बॉल बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। वे तमिल नाड़ू के निवासी हैं। उन्हें इस खेल के लिए १९८४ मे अर्जुना पुरस्कार मिल चुका है। वे देश के छटे एवं आखरी खिलाड़ी हैं जिन्हें बॉल बैडमिंटन के लिए यह पुरस्कार मिला है। बॉल बैडमिंटन का प्रारंभ थंजावुर मे हुआ था और धीरे धीरे पूरे देश मे इसका प्रचार हो गया।

डी राजारमन बचपन से फुटबॉल खेला करते थे। उन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन मे सबसे ज़्यादा फुटबॉल ही खेला हुआ है। बॉल बैड्मिंटन मे बॉल काफ़ी तेज़ गति से आती है और इसी कारण राजारमन इस खेल से आकर्शित हुए। उन्हें यह खेल इसके गति और आवाज़ के लिए पसंद आयी। राजारमन ने बचपन से ही बड़ी द्रिढ़ता और निष्ठा से इस खेल का अभ्यास किया। उनकी इस कड़ी मेहनत के कारण ही उन्हें जीवन मे सफलता प्राप्त हुई। उनका यह मानना है कि बॉल बैडमिंटन रैकेट से खेले गए सारे खेलों मे सबसे तेज़ है।

खेल सम्बन्धित राय

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राजारमन और उनके सहखिलाड़ियों का यह कहना है कि बॉल बैडमिंटन एक स्वदेशी खेल होने के कारण इसके बॉल के गुणवत्ता का कोई अंतर्राष्ट्रीय मानक नहीं है। इसी वजह से इसकी गुणवत्ता मे गिरावट दिखाई पड़ता है। इस खेल के बिगड़ने का एक कारण, राजारमन के मुताबिक, इसके नियमो मे आने वाले बदलाव भी हैं। १९८३ मे इन बदलावों के आने के कारण खिलाड़ियों को काफ़ी दिक्कत हुई।

अन्य योगदान

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डी राजारमन ने खुद एक नए तरह के रैकेट का आविश्कार किया है जो समग्र ग्रैफाइट से बना हुआ है। यह खिलाड़ियों को वही लचीलापन और ताकत देता है जो लकड़ी के रैकेट से मिला करता था और यह सस्ता भी होता है। राजारमन बॉल बैडमिंटन का प्रचार एवं उसकी कोचिंग देते हैं और होनहार खिलड़ियों को प्रोत्साहन देते हैं। अत:, डी राजारमन का बॉल बैडमिंटन के खेल मे अद्वितीय योगदान रह चुका है। इनके कारण आज इस खेल मे बड़े सारे सुधार आये हैं एवं और लोग इस खेल से आकर्शित हुए हैं।

१। www.thehindu.com/thehindu/mp/2004/03/11/stories/2004031100640400.htm २। http://ballbadmintonindia.com/news_detail_description.php?id=MTg=