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Edrea 1840641
नाम बारबरा मैक्लिंटॉक
जन्म तिथि १६ जून, १९०२
जन्म स्थान हार्टफ़ोर्ड, कनेक्टिकट

बारबरा मैक्लिंटॉक

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बारबरा मैक्लिंटॉक जी अमेरिकी वैज्ञानिक और साइटोजेनेटिकवादी थी। उनको १९८३ में फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मैक्लिंटॉक ने १९२७ में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वहां उन्होंने मक्का साइटोजेनेटिक्स के विकास में अग्रणी के रूप में अपना व्यवसाय शुरू किया, जो कि उनके जीवन के बाकी हिस्सों के लिए उनके शोध का केंद्र था। उन्होने १९२० से गुणसूत्र के बारे मे पढ़ाई की।

प्रारंभिक जीवन

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बारबरा मैकक्लिंटॉक जी का जन्म १६ जून, १९०२ को हार्टफ़ोर्ड, कनेक्टिकट में हुआ था। होम्योपैथिक चिकित्सक थॉमस हेनरी मैकक्लिंटॉक और सारा हेंडल मैकक्लिंटॉक उनके पिता और माता थे। मैक्लिंटॉक बहुत ही कम उम्र से ही किसी से निर्भर नहीं थी। बाद में उन्होने इस विशेषता को "अकेले रहने की क्षमता" के रूप में पहचाना।[1]

शिक्षा और कॉनवेल में शोध

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मैकक्लिंटॉक ने १९१९ में कॉर्नेल कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर में अपनी पढ़ाई शुरू की। अपने स्नातकोत्तर अध्ययन के दौरान उन्हें वनस्पति विज्ञान प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। मक्का में साइटोजेनेटिक्स के नए क्षेत्र का अध्ययन करने वाले समूह को इकट्ठा करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। १९३० में, मैक्लिंटॉक पहली व्यक्ति थी जिनके दौरान सजातीय क्रोमोसोम के क्रॉस-आकार की बातचीत का वर्णन किया गया था। मैकक्लिंटॉक के सफल प्रकाशन और उनके सहयोगियों के समर्थन के कारण, उनको राष्ट्रीय अनुसंधान परिषद से कई पोस्टडॉक्टोरल फेलोशिप से सम्मानित किया गया था। इस फंडिंग ने उनको कॉर्नेल, यूनिवर्सिटी ऑफ मिसौरी और कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में जेनेटिक्स का अध्ययन जारी रखने मे मदद मिली।

कोल्ड स्प्रिंग हार्बर

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अपनी साल भर की अस्थायी नियुक्ति के बाद, मैक्लिंटॉक ने कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लेबोरेटरी में पूर्णकालिक अनुसंधान की स्थिति स्वीकार कर ली। वहां, वह बहुत उत्पादक थी और ब्रेक्जिट-फ्यूजन-ब्रिज साइकिल के साथ अपने काम को जारी रखा और उन्होने यहा पर एक्स-रे का भी उपयोग किया।

कोल्ड स्प्रिंग हार्बर प्रयोगशाला के १९४४ की गर्मियों में, मैकक्लिंटॉक ने मक्का के बीज के मोज़ेक रंग पैटर्न और इस की अस्थिर विरासत के तंत्र पर व्यवस्थित अध्ययन शुरू किया। उन्होने दो नए प्रमुख चीज़ें को पहचान जिसे उन्होंने डिसोसिएशन (डीएस) और एक्टिविटर (एसी) नाम दिया। उन्होने देखा कि डिसोसिएशन क्रोमोसोम को तोड़ने का कारण नहीं है, इसका प्रभाव पड़ोसी जीन पर भी पड़ा, जब एक्टिविटर वहा पर था।

१९४८ की शुरुआत में, पता चला कि दोनों डिसोसिएशन और एक्टिविटर अपनी स्थान बदल सकते हैं।

मैकक्लिंटॉक और एपिजेनेटिक्स का सिद्धांत

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उनके खोज और उनके क्रांतिकारी साइटोजेनेटिक अनुसंधान तकनीक से पार, वे पहले वैज्ञानिक थी जिन्होने एपिजेनेटिक्स की मूल अवधारणा पर एक सिद्धांत (थिअरी) बनाते हैं। उन्होने इस सिद्धांत को एपिजेनेटिक्स की अवधारणा का औपचारिक रूप से अध्ययन करने के ४० साल के पहले ही इस सिद्धांत का प्रस्ताव रखा था।[2]

सम्मान और मान्यता

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उनको १९७० मे रिचर्ड निक्सन द्वारा विज्ञान का राष्ट्रीय पदक दिया गया था। वह पहली महिला थी जिनको विज्ञान का राष्ट्रीय पदक मिला था। १९८१ में, वह मैकआर्थर फाउंडेशन ग्रांट के पहले प्राप्तकर्ता बन गई।

विशेष रूप से, उनको १९८३ में फिजियोलॉजी या मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार मिला और उनको इस पुरस्कार को किसि के साथ भाग नहीं करना पडा। "मोबाइल आनुवंशिक तत्वों" की खोज के लिए उन्हें नोबेल फाउंडेशन द्वारा नोबेल पुरस्कार दिया गया था। उन्हें १९८९ में रॉयल सोसाइटी का एक विदेशी सदस्य चुना गया था। उनके सम्मान में मैकक्लिंटॉक पुरस्कार का परिचय करवाया गया था।[3]

बाद के वर्ष

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मैक्लिंटॉक ने नोबेल पुरस्कार के बाद के वर्षों में एक प्रमुख नेता और शोधकर्ता के रूप में लॉन्ग आईलैंड, न्यूयॉर्क के कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लेबोरेटरी के क्षेत्र में काम किया। मैकक्लिंटॉक की ९० साल की उम्र में २ सितंबर, १९९२ को हंटिंगटन, न्यूयॉर्क में उनका निधन हो गया।

  1. https://profiles.nlm.nih.gov/spotlight/ll/feature/biographical
  2. https://www.nature.com/scitable/topicpage/barbara-mcclintock-and-the-discovery-of-jumping-34083/
  3. https://www.nobelprize.org/prizes/medicine/1983/mcclintock/facts/