Girishnagdakavita
एक जीवन एक जानवर/ एक इन्सान जानवर / निरीह, मूक, व असहाय । काटा,चमड़ा उतारा लटका दिया दुकानदार ने इन्सानो के बाजार मे इन्सानी भूख के लिए ॥ इन्सान / विश्व शांति, विश्वबंधुत्व अहिंसा प्रेम ,करूणा संवेदनाओं का अथाह सागर आह!सागर सागर / गागर गागर/सागर ॥ एक हत्या एक जानवर/ एक इन्सान बहता खून, तड़फडाता शरीर खून की लाली और कटने का दर्द दोनो एक है ,मगर एक के लिए है आंसू दूसरे के लिए है एक क्रूर मुस्कान ॥ एक हत्या एक जानवर/ एक इन्सान इन्सान हाय कलेजा / कितना पत्थर,कठोर,निर्मम आलोचनाएं, भत्सर्नाएंऔर सजाएं जानवर हाय कलेजा/ कितना लजीज,स्वादिट और उम्दा कृपादृटि,प्रशंसा,और पुरूस्कार ॥
इन्सान/जिसका खाया, उससे किया दगा जानवर/जिसका खाया,या न भी खाया उसके लिए दे दिया सर्वस्व ॥ जानवर तो पशु है पशु / हिंसा ,वहशीपना,असहिएाुता पशु/ न तरतीब,न तहजीब न तमीज पशु/न भूत, न वर्तमान,न भविय पशु/न इतिहास,न सभ्यता, न संस्कृति पशु/कुछ भी नहीं/सब कुछ सभी कुछ । इन्सान/ सब कुछ/सभी कुछ परन्तु कुछ भी नहीं ओछा,कृतघन व नंगा ॥ हपतपेीण्दंहकं/लींववण्बवउ डॉ॰गिरीश नागड़ा