सदस्य:Immanuel Sam Chiramel/WEP 2018-19
क्रिकेट की जानकारी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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बल्लेबाजी की शैली | दाए हाथ के बल्लेबाज़ | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
गेंदबाजी की शैली | दायां हाथ मध्यम पेस | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
कैरियर के आँकड़े | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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स्रोत : [1], २३ जनवरी २००६ |
मनोज प्रभाकर (जन्म १५ अप्रैल १९६३) एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर है I वह दाएँ हाथ के मध्यम तेज गेंदबाज़ और निचले क्रम के बल्लेबाज थे जिन्होंने १९९६ में भारतीय सेवानिवृत्ति तक भारतीय क्रिकेट टीम के लिए कभी-कभी पारी भी खोली थी। प्रभाकर ने टेस्ट क्रिकेट में १६ विकेट लिए, वन- डे इंटरनेशनल में १५७ विकेट। प्रभाकर के नाम दिल्ली के लिए खेलते समय ३८४ प्रथम श्रेणी विकेटें भी हैं I उन्होंने दुरहम के लिए भी खेला है। प्रभाकर को उनकी सबसे बड़ी युक्ति, गेंदबाज़ी के लिए याद किया जाता है I धीमी गेंदबाज़ी एवं गेंदबाज़ी खोलना उनकी खास विशेषतायें थीं I वह एक उपयोगी निचले-क्रम के बल्लेबाज और एक रक्षात्मक बल्लेबाज भी थे।
व्यवसाय
संपादित करेंप्रभाकर ने नियमित रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के बल्लेबाजी और गेंदबाज़ी को खोला है। कुछ खिलाड़ियों में से वो-ही एक थे जो लगातार ऐसा खेल रहे थे I उन्होंने ओ-डी-आई में ४५ बार, और टेस्ट में २० बार दोनों प्रारूपों में किसी भी अन्य खिलाड़ी से अधिक यह पूरा किया I ३२ साल की उम्र में प्रभाकर ने १९९६ के क्रिकेट विश्व कप में श्रीलंका के खिलाफ अपना अंतिम ओ-डी-आई, नई दिल्ली में खेला। मैच में गेंदबाज़ी का ख़राब प्रदर्शन करने के कारण वे दर्शको की अप्रसन्नता का भी शिकार हुए I १९९६ विश्व कप के पश्चात भारतीय क्रिकेट टीम के इंग्लैंड दौरे के लिए वे नहीं चुने गए, जिसके बाद उन्होंने क्रिकेट से निवृत्ति ले ली I १९९३ मे प्रभाकर को अर्जुना पुरस्कार मिला।
कोच के रूप में
संपादित करेंप्रभाकर ने दिल्ली क्रिकेट टीम[1] के गेंदबाजी कोच के रूप में और राजस्थान क्रिकेट टीम[2] के मुख्य कोच के रूप में काम किया है। नवंबर २०११ में, मीडिया में प्रबंधन और टीम के खिलाफ बोलने के कारण, उन्हें दिल्ली के कोच की पद्ति से रद्द कर दिया गया I दिसंबर २०१५ में, उन्हें अफगानिस्तान क्रिकेट टीम के गेंदबाजी कोच का पद दिया गया I
विवादों
संपादित करें१९९९ में प्रभाकर को, "तेहेलका" नामक एक भारतीय समाचार पत्रिका के द्वारा किये गए स्टिंग ऑपरेशन में, मैच फ़िक्सिंग[3] करते हुए पकड़ा गया I इसके बाद बी.सी.सी.आई ने उन्हें क्रिकेट खेलने से प्रतिबंधित कर दिया I नवंबर २०११ में, मीडिया में प्रबंधन और टीम के खिलाफ बोलने के कारण, उन्हें दिल्ली के कोच के पद से निकाला गया I
व्यक्तिगत जीवन
संपादित करेंप्रभाकर कांग्रेस में शामिल हुए एवं २००४ के सांसदिये चुनाव में दिल्ली के लिए खड़े भी हुए परन्तु जीतने से नाकामयाब रहे I प्रभाकर का विवाह अभिनेत्री फरहीन[4] से हुआ, जो “जान तेरे नाम” और “कलैग्नान” जैसे फिल्मों में उनकी भूमिका के लिए जाने जाते हैं I यह जोड़ा दिल्ली में अपने दो बेटों, राहिल प्रभाकर, मानववंश प्रभाकर और पिछले विवाह के पुत्र रोहन प्रभाकर के साथ रहते है I