सदस्य:Jeya.s1997/प्रयोगपृष्ठ/1
दोह मोल भाव
दोह वार्ता
संपादित करेंदोह क विषय विश्र व्यापार स्ंगठन मे मोल भाव का नवीनतम विषय है। व्यापार संगठन का उददेश्य अनर्तशष्ट्रीय प्यापार मे सुधार लाना। छोटी मोटी प्यापारीक बाधाओं और प्यापारिक नियमों मे सुधार करके। इस कार्यक्रम मे प्यापार के य्ठक्षेत्र आते हैं। इसे अर्द्ध-सरकारी तौर पर भी जाना जाता है। दोहा विकास की कार्यसूची में व्यापार विकास की सभावनाओ का बदाना है।
वह वहॉ क्या मोल माब कर रहें हैं?
संपादित करेंइस कार्यक्रम का सरकारी तौर पर दोहा कतार मे नवम्बर २०११ में विश्र व्यापार संगठन के चौधे मिनिस्ट्रीयल मे रखा गय। दोहा मे मंत्रीयो ने धोषणा की यह मोल भाव आवश्यक है जिसमे कूषि बौद्धिक सम्पदा की शुरुआत की। दोहा मे मत्रीयों ने यह भी समझाया की कैसे विकासशील देश अपनी परेशानियो को सबके सामने रखेजो की बह विश्र व्यापार संगठन के निदेशों के कार्यान्वयन मे झेल रहा है। बाद में मंत्रिस्तरीय बैठक मैक्सिको मे(२००३),होग कोग(२००५) मेई। मोल भाव का कार्य पैरिस, फ्रान्स, पॅट्रस्डेम, जर्मनी, जीनीवा व स्वीट्रजरलैंड(२००४,२००६,२००८) मे हुई। इस बातचीत का उददेस्य था व्यापार को सरल बनाना विकासशील देशो के लिए। खासतौर से सबसे कम विकसित देशों कें लिए। ताकि वे उन देशो को प्कीकृत करके विश्र व्यापार संगठन के बहुपक्षीय प्रणाली से जुड सके।
दोहा वार्ता हतना महत्वपर्ण कयों है?
संपादित करेंकृषि सष्सिडी में सुधार लाना ।सब को यह विखास दीलाना की वीख की अर्थटयवस्या मे सभी विकासशील देशो का आदर करेगा।विकासशील देशो को विखस्तरीय बाजार तक आसानी से पहुंचाना।युरोपिय यूनियन के प्रयास के बावजुद कुछ विश्र व्यापार संगठन के सर्दस्थ के तैयार न होने के कारण ठप हो गया।[1]
दोहा वार्ता बर्खास्त कयो किया गया था?
संपादित करेंअगर यह सफल हो जाता तो इसकी वजह से कई विकासशील देशों की अर्थय्ववस्था मे यह नए प्राण फूंक देता। इसकी वजह से विकसित देशों मे सब्सिडी पर खर्च होने वाला पैसा कम हो जाता। लेकिन वित्तिय कम्पनीयों को ज्यादा फायदा हुआ। शायद विकासशील देशो को ज्यादा फायदा होता परन्तु फायदा हुआ वित्तीय ध्यान देना चाहिए था ना की डेरिवेटिव की बिक्रीपर। दोहा के अनुतीर्ण होने का अर्थ है की बहुपक्षीय प्यापर भी सफल नही हो सका।[2] यूरोप संध और अमेरिका के कृषि उथोग इस बात का जोखिम नही उठा सकते की कोई और सस्ता विदेशी सामान उनके मार्केट मे शेयर ले।इसी तरह अमेरिका और यूरोप संध के कृषि प्यापार ने मेक्सिको में वहॉं के अर्थव्यवस्था के साथ कियटो इसका मतलब की मुरव्य व्यापार के समझते का कार्य भी विफल रहा।
दोहा का नामकरण कैसा हुआ था?
संपादित करेंदोहा के बर्खस्त होने का मुरव्य कारण यह था कि अमेरिका और युरोप संध अपनी कृष्सिडी नही देना चाहते थे। परन्तु कई दुसरे विषय है जिन्हे बात चीत करके सुलझा कर शुरु किया जा सके। सबसे पहले चीन, भारत और ब्रजील को सहायक वार्तालाप करने की आवश्यकता है। इन देशो को चाहिए कि वे विकसित देशा के नेतृत्व की भूमिका को स्वंय अपने हाथो मे ले। दुसरा अमेरिका, जापान और जीन को यह एहसास होना चाहिथ की बाजील और भारत को मुदार-फीति को झेलना की वे मौढ्रिक नीति का अपने धरेलु कार्य के लिए इस्तेमाल ना करे। तीसरा दोहा के उदार सेवा का विनियमन करना चाहिए।
पहली बार जहॉं ये कार्यक्रम रखा गया उसी जगह के नाम पर उसका नाम रखागया। यह नाम दोहा शहर के नाम पर पडा हेजो कि कतार देश में है। इससे पहले राउप्ड को उरुगए १९८० मे था। विक्ष व्यापार संगठन का सर्जन १९९५ में बात-चीत के दौरान हुआ।