रजत चौहान

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रजत चौहान
व्यक्तिगत जानकारी
राष्ट्रीयता भारतीय
जन्म सांगानेर
निवास जैपूर
खेल
देश भारत
खेल तीरंदाज़ी

व्यक्तिगत जीवन

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रजत चौहान का जन्म 30 दिसंबर,1994 को सांगानेर का एक मध्य वर्गीय परिवार में हुआ था। शुरुआत में वह मार्शल आर्ट्स में रुचि रखते थे। लेकिन जयपुर जाने के बाद उसके भाई ने उसे तीरंदाजी लेने का आग्रह किया। तब से उन्होंने कंपाउंड तीरंदाजी में प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। उन्हें अपने माता-पिता और राजस्थान खेल संघ से बहुत बढावा मिला। तीरंदाजी एक बहुत महंगा खेल है और इसलिए उनके माता-पिता को खर्च जुटाने में और अपने बेटे का सपना सच करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। उनके पिता ने अपना कार तथा माँ ने अपनी गहने बेचकर तीरंदाजी किट खरीदने के लिए आवश्यक धन जुटाया। रजत चौहान के माता-पिता के कड़ी मेहनत के परिणामस्वरूप वह अब एक अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज है। राजत चौहान सरकार से असंतुष्ट हैं क्योंकि वे खिलाड़ियों को समर्थन या प्रोत्साहन कभी नहीं देते। उन्हें तब तक सरकार से तीरंदाजी उपकरण नहीं दिया गया जब तक कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करते थे। तीरंदाजी एक महंगी खेल है और प्रत्येक तीरंदाजी उपकरण की दाम लगभग तीन लाख है। कुछ खिलाड़ियों ने सरकार के किसी समर्थन के बिना ही पदक जीते हैं। लेकिन, ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो सरकार के बढावा न मिलने से अपने सपनों को छोड़ देते हैं।

2007 में उन्होंने राज्य स्तरीय तीरंदाजी टूर्नामेंट में हिस्सा लिया लेकिन जीत नहीं सका। परंतु उनके कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से उन्हें गंगानगर में आयोजित खुले राज्य प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक मिला। 2008 में उन्हें जयपुर में सवाई मन सिंह स्टेडियम में परीक्षण के लिए चुना गया था और उनके कोच कमलेश शर्मा के मार्गदर्शन से उन्होंने कंपाउंड तीरंदाजी के लिए प्रशिक्षिण किया था। सफल खिलाड़ी बनने के बाद वह कंपाउंड तीरंदाजओं के राष्ट्रीय शिविर में एक कोच बन गया।

रजत चौहान ने 2011 में बैंकाक एशियाई ग्रैंड पिक्स में स्वर्ण जीता। उन्हें 2013 में विश्व तीरंदाजी संघ के परपल एन्ड गोल्ड टारगेट पुरस्कार प्राप्त हुए। वह इंचियन (दक्षिण कोरिया) में आयोजित 2014 एशियाई खेलों में पुरुषों की कंपाउंड तीरंदाजी टीम के हिस्से थे और उन्होंने एक स्वर्ण पदक जीता। वह तीरंदाजी विश्व कप फाइनल के लिए योग्य था जो 2015 में कोपेनहेगन (डेनमार्क) में आयोजित किया गया था। स्टीफन हैंनसेन के खिलाफ अंतिम दौर में हारने के बाद उन्होंने रजत पदक जीत लिया। वह कोपेनहेगन में एक व्यक्तिगत पदक जीतने वाले पहले भारतीय वरिष्ठ स्तर के तीरंदाज थे। उन्होंने कोच्चि (केरल) में आयोजित 2015 राष्ट्रीय खेलों के दौरान कंपाउंड तीरंदाजी के व्यक्तिगत और टीम दोनों विभागों में स्वर्ण पदक प्राप्त किए थे। 29 अगस्त, 2016 को उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। भारत के पुरुषों की कंपाउंड टीम जिसमें रजत चौहान, अभिषेक वर्मा और अमन सैनी शामिल थे, जकार्ता में आयोजित 2018 एशियाई खेलों में रजत पदक जीत लिए थे। उन्होंने कंपाउंड तीरंदाजी छोड़ दी क्योंकि वे 2020 ओलंपिक खेलों में भाग लेना चाहते थे जिसमें केवल रिकर्व तीरंदाजी शामिल थी।

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  1. http://www.indianwomenblog.org/arjuna-award-winner-archer-rajat-chauhan-aims-at-the-govt-with-anger/
  2. https://www.hindustantimes.com/othersports/world-championships-archer-rajat-chauhan-bags-a-historic-silver/story-ABCGNtbQnGLjzV0QLn7trJ.html
  3. https://www.news18.com/news/other-sports/how-rajat-chauhan-became-indias-first-medal-winner-at-world-archery-1034333.html