चोखी धानी 

भारत का नया अंदाज

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भारत अपनी संपन्न संस्कृति के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। भारत की सबसे खूबसूरत बात यह है कि आधुनिकता के प्रभाव में आकर भी उसने अपनी पारंपरिक संस्कृति को पीछे नहीं छोड़ा है। नए साल की शुरुआत, नाच-गाने और जलसों के साथ साथ, एक नए अंदाज में भी की जाती है। चोखी धानी राजस्थान के जीवंत परिवेश को प्रदर्शित करने की एक कोशशि है। चोखी धानी पूर्ण राजस्थानी अनुभव सुनिश्चित करती है। यहाँ रहने वाले तथा पर्यटक इस अद्वितीय राजस्थानी संस्कृति को अनुभव करने की इच्छा रखते है। चोखी धानी का आयोजन कोलकाता, चेन्नई, सोनीपत, जयपुर, पुने आदि शहरो मे हर साल की जाती है।

चोखी धानी की अवधारणा

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चोखी धानी के निर्माण से पहले इसके मुख्य वास्तुकार ने राजस्थान के महलों, हवेलियों और गावों का दौरा किया था जिसके पश्चात ही चोखी धानी का सपना साकार किया गया। हर साल चोखी धानी मैं ऐसी कोशिश की जाती है कि असली राजस्थान को दर्शाया जा सके। जगह को चुनने में भी बड़ी सूझ बूझ का इस्तेमाल किया जाता है। यह जगह शहर के केंद्र से दूर स्थापित है जहाँ मनुष्य, प्रकृति को जीवित होता हुआ देख सके, जहाँ प्राकृतिक दृश्यों का भरमार हो और जहाँ सभी भारतीय गावों की ताजी हवा को महसूस कर सके। पूरी जगह को एक गाँव जैसा दर्शाया जाता हैI दो दिन में तो मानो जगह का काया पलट ही हो जाता है : अर्थात एक दिन यहाँ के रहने वाले एक शहर के मैदान को देखते है और पता ही नही चलता कब यह गाँव बन जाता है। चित्रकारी, बन थानी कला, दीवार की सजावट, दीपक दीवार, ताज़ी हवा, शाम के प्रदर्शन, उत्साह, मनुहार (अपने दिल की इच्छा तक खाने के लिए एक नाज़ुक अनुरोध) जैसी परम्पराएँ, वेशभूषा इत्यादि के कारण पूरे माहौल में चार चाँद लग जाते है। राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से कलाकृतियों को इकट्ठा किया जाता है लेकिन मुख्य रूप से उन्हें स्वयं ही बनाने की कोशिश की जाती है। सजावट के लिए पूरी तरह से हाथ से बनाये हुए सामानों का प्रयोग किया जाता है परंतु साथ साथ आधुनिक सुविधाओं का भी इस्तेमाल किया जाता है।

मनोरंजन के साधन

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चोखी धानी में ऐसी कई जगहों का निर्माण किया गया है जिधर समय बिताया जा सकता है। जैसे कि : हल्दीघाटी की लड़ाई और उसके शानदार इतिहास को चोखी धानी में पुनः निर्मित किया गया है। वहाँ बड़ी खूबसूरती से हल्दीघाटी से निकलने वाले रास्ते का निर्माण किया गया है। एक रथखाना भी है जहाँ पुरानी रथों का प्रदर्शन किया जाता है। एक कृत्रिम गुफा की भी रचना की गई है जिसमे ऐसा लगता है जैसे मानो एक प्राचीन गुफा में कदम रखा हो। दर्शकों को गुफा के बाबाजी से भी मिलने का मौका मिलता है। यहाँ एक जंगल भी है जहाँ जंगल के निवासी बाज के धुन पर नृत्य करते हैI उनके साथ तस्वीर भी खिंचवाई जा सकती है। मेवाड़, जैसलमेर के विशेष शैली की झोपड़ियाँ और कुएँ भी बनाए गए है। यह ही नही, पूरे गाँव का दौर रेगिस्तान के जहाज – ऊंट या तो शानदार हाथी या फिर घोड़े टोंगा पर की जा सकती है। इन शानदार सवारियों पर स्थलों और ध्वनियों का आनंद लेने में अलग ही मज़ा है। चोखी धानी में लेक 'तल तलीया' स्थापित है जहाँ नौका विहार का आनंद उठाया जा सकता है।

चोखी धानी का उद्देश्य

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चोखी धानी मनुष्य की सभी परेशानियों और चिंताओं को दूर करने और अत्यंत आनंद लेने के लिए एक आदर्श स्थान है। चोखी धानी का उद्देश्य गाँव कला और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करना है। वे आज की पीढ़ी और विदेशी पर्यटक को उनकी जड़ तथा भारतीय गाँव के जीवन से परिचित करवाना चाहती है।

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