सदस्य:Kuldeep singh tanwar gomla/प्रयोगपृष्ठ
राम मेरे घर आना
दशरथ नंदन, हल्दी चन्दन, दुःख को हरते जाना, राम मेरे घर आना।
धूप गिरे, फूल खिले, झरनों से पानी की बूंद -बूंद झरे, तुम बागों में लहराना, राम मेरे घर आना।
सत्य की बोली में, गरीब की खोली में, साधु संत की झोली में, तुम धीरे से हर्षाना, राम मेरे घर आना।
सावन के बहार में, मां के दुलार में, शबरी के इन्तजार में, जूंठे बेर भी खाना, राम मेरे घर आना।
स्वरचित व मौलिक रचना विधा - कविता कवि/ लेखक - कुलदीप