Kusender Shekhawat
Rawal Khuman 2nd
रावल खुमाण द्वितीय (828-853):- रावल खुमाण द्वितीय मेवाड़ के राजवंश छठे रावल राजा थे। इन्होंने अपने जीवन काल में अरबों के साथ 27 युद्ध लड़े और सभी जीते। रावल खुमाण द्वितीय ने अरबों को न केवल भारत से बल्कि ईरान से भी भगा दिया था। इन्होंने हिंदू राजाओं की सहायता से एक हिंदू संगठन सेना बनाई और युद्ध लड़ा। अंततः हम ये कह सकते है कि रावल खुमाण द्वितीय ही प्रथम बार अपनी मातृभूमि भारत को दुश्मनों से बचाने के लिए सभी राजाओं को एकछत्र के नीचे लाए थे ।
ऐसे तो रावल ने 27 युद्ध लड़े थे परन्तु उनमें से एक युद्ध प्रमुख ओर बहुत खतरनाक युद्ध था।
प्रमुख युद्ध:- अरब खलीफा (अरबों का सुल्तान) ने अपनी सेना को सेनापति हाशिम (मुहम्मद) के नेतृत्व में हिंदुओं को पराजित करने हेतु भेजी। हाशिम पानी के रास्ते गुजरात पहुंचा और राजपूताना( राजस्थान) पर आक्रमण किया। जैस ही ये बात रावल खुमाण द्वितीय को पता चली उन्होंने हिंदू सेना एकत्रित की जिसमें (एक लाख रावल सेना , 30 लाख अश्वरोही सेना , 7 लाख पैदल , 9 सहस्र हाथी व 1 सहस्र नगाड़ों की सेना थी। ) रावल की इस सेना का उल्लेख हमें "अमरकाव्यम" से मिलता है।
युद्ध में शामिल हुए हिंदू राजा :- ( यह जानकारी हमें कर्नल जेम्स टॉड की पुस्तक (एनल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ़ राजस्थान) से मिलती हैं।)
गजनी ( राजपूताना) से गहलोत आए ,
असर से टाँक,
मदोल्येठे से चौहान,
रहिरगढ़ से चालुक्य,
सेते - बिंदर से जिस्केरा,
मंडोर से खैरावी,
मांगरोल से मकवाना,
सांचौर से कालूम,
अजमेर से गोंड,
दिल्ली से तंवर,
पाटन से चावंडाट,
सिरोही से देवड़ा,
जालौर से सोनगरा,
गागरौन से खींची,
जूनागढ़ से जदू एवं
कन्नौज से राठौड़।
युद्ध का निर्णय :- इस युद्ध में हिंदुओं की जीत हुई तथा अरबों की पूरी सेना का सर्वनाश हुआ। हाशिम को रावल खुमाण द्वितीय ने बंदी बना लिया गया ।
रावल का जन्म:- 813 ईस्वी में हुआ था।
रावल की मृत्यु:- (833 ईस्वी) रावल की हत्या उन्हीं के पुत्र मंगल ने राजगद्दी पाने के लिए के दी। लेकिन सामंतों व सरदारों ने मंगल को देश निकला दे दिया।
आज हमें रावल खुमाण द्वितीय का इतिहास कही भी नहीं मिलता लेकिन अगर रावल खुमाण न होते तो आज हिंदुस्तान हिंदुस्तान ना होता ।
(यह सारी जानकारी हमें ' खुमाण रासो' नामक महान ग्रन्थ से मिलती है, जिसे 'दलपत विजय' नाम के जैन मुनि ने लिखी थी। इस महान ग्रन्थ को कब लिखा गया इस पर इतिहासकारों में अभी भी विवाद है। ) परन्तु इस ग्रंथ से यह तो सिद्ध हो जाता हैं कि हिंदू भी साथ आकर लड़े थे।
Editted By :- KUSENDER SHEKHAWAT