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सिख कला और संस्कृति
संपादित करेंसिख लोग खासतौर से पुजाब के रहनेवाले है। अब यह समुदाय न सिर्फ पंजाब में है बलकी भरत के हर एक राज्य में भी और पूरे विश्व में भी फैल गया है। सिख समुदाय अब विश्व का पांचवा सबसे बडा संगठित धर्म बन गया है। इनकी संस्कृति, बोली जाने वाली भाषा, लिखित साहित्य,भोजन, सैन्य युध्द वास्तुकला,परंपरा सभी अलग है और इतिहास को शामिल करती है। सिख इतिहास करीब ५०० साल पुरान है और इस समय उन्होने अपनी कला और संस्कृति के अद्वितीय अभिव्यक्ति विकसित की। सिख पंजाब का एक अकेला धर्म है जो सनसार में इतना प्रचलित है। पंजाबि स्ंस्कृति और सिख धर्म को एक दूसरे के साथ मिला सकते है। सिख जातीय समूह को नही बलकी धर्म के रूप के अनुयायियों को संदर्भित करता है। हालाकि सिख धर्म में कभी बदलाव की मांग नही हुई है, इसे नृवंश-धार्मिक संबंधों में डाला जात है।
सिख और पंजाबि के बीच कला और संस्कृयति की तुलना
संपादित करेंसिख कला और संस्कृति पंजाब के साथ समार्थिक है। पंजाब को मुघल और पारसी जैसे आकृमणकारी संस्कृतियों के कारण पंजाब को भारत का पिघल पाटऀ कहा जाता है, जो उस नदियों के संगम को दिखाता है और इसी तरह इस क्षेत्र का नाम मिला है, इस प्रकार सिख संस्कृती को काफी हद तक बताया गया है।
सिख धर्म ने एक अनोखी वास्तुकला का निर्माण किया है, जिसे भट्टी ने "गुरु नानक के रचनात्मक रहस्यवाद से प्रेरित करके बताया गया है जिसे व्यवहारिक का मूल मान जाता है।सिखों क जो गुरुद्वारा है वो उसकी वास्तुकला का मुख्य अर्थ देता है। उनका सबसे बडा गुरुद्वारा पंजाब के अमरितसर में है और वह पिघल पाँट क अवतार है जो इस्लामिक-सूफी और हिन्दू दोनों को दर्शाता है। सिख साम्राज्य का शासन विशिष्ट बनाने में महाराजा रणजित सिंह का हाथ है। उनके शासन में उन्होंने किले,मेहल,भवन,आवासीय स्थान,काऀलेज,आदी का निर्माण किया था जिसकि प्रशंसा आज तक चाली आ रही है। सिख संस्कृती बहुत शक्तिशाली सैन्यवादी रूपों से प्रभावित है, इस प्रकार कोई आश्चर्य नहीं है कि गुरुवों के अवशेष से स्वतंत्र सिख संस्कृती के बहुतम में सिखों का एक बडा विषय है।
सिख समुदायों की संस्कृति
संपादित करेंहालाकि सिखों की जनसंख्या पंजाब में ज्यादा है लेकिन सिख समुदाय अलग-अलग और ज्याद होनें की वजह से कई समूह बन गये है जैसे कश्मीरी सिख, आसामीय सिख, तेलुगू सिख आदि। सिख समुदाय के अनुसरण के कई समुदाय नीचे विस्तृत है;
१। अफगानी सिख
संपादित करेंअफगानिस्तान के सिखोंकी एक अनोखी संस्कृति है जिसमे अफगानिस्तान की संस्कृति के तत्व दिखते है।
२। आसामी सिख
संपादित करेंहालकि आसामी सिखों के पूर्वज पंजाब से है पर वे कई सालों से आसाम में रहने की वजह से उन्हें यह नाम मिल गया है। वे वहा पर लगभग २०० सालों से यहा रहते आ रहे है जिसकी वजह से उनकी बोली में आसामी झलक आती है। यह समुदाय वहा महाराज रणजित सिंह की वजह से आया है जिसने वहा पर अपनी एक छोटी सि सेना को भेजा था। लेकिन अब वहा के सिखों की जनसंख्या ४००० से ऊपर पहुँच गयी है।
३। अग्रहारि सिख
संपादित करेंअग्रहारि सिख पूर्वी भारत में एक समुदाय है। ये लोग पश्चिम बंगाल,बिहार,झारखंड में बसे है। अग्रहारि सिख नाम से जाने जाने वाले सिख इन राज्यों में सदियो से बसे है। बिहारि सिख अपनी संस्कृती को वहा के लोगों के साथ भी मिलन कर्ते है। वे वहा पे बिहरियों कि तरह ही रहते है और वहा के त्योहार हभी मनाते है।
४। दाख्नी सिख
संपादित करेंदाख्नी सिख, सिख सैनिकों की संतान है जो १९ शताब्दी के शुरुआत में दक्षिण में आ गये थे जब हैदराबाद के निज़ाम ने अपनि सेना के लिये एक सिख दल शामिल करना चहा। जब वहा का राजा पराजित हो गया था तो वे सिख वही पर रुक गये थे और वहा के स्थानीय महिलावों से विवाह कर उनकी संस्कृती को अपना लिया और वही बस गये
५। पंजाबी सिख
संपादित करेंपंजाबी सिख पंजाबी संस्कृती का अनुसरण करते है। पारंपरिक पोशाक भी पेहंते है जैसे पंजाबी सल्वार सूट, पंजाबी तम्बा और कुर्ता, पंजाबी जूती और पंजाबी सलवार। सिख त्योहारों के साथ नानाकशी केलेंडर को अपनाते हुए वे पंजाबी त्योहार भी मनाते है। भांगडा और गिध्द स्वदेशी लोगों के नृत्य के दो रूप है जिन्हें पंजाबी सिखों द्वारा अनुकूल और अग्रगणीय के साथ दर्शाया जा रहा है। कुच्छ और सिख है ६। कश्मीरी सिख कश्मीरी सिख अपनी संपदा वहा पर भी भिखेरते है और वहा के आम मुसलमानो कि तरह कश्मीरी बात करते है। यहा पर भी महारजा रणजित सिंह ने अपनी सेना भेजने की वजह से इनका यह बसना संभव हुआ है। ७। सिंधी सिख सिंधी सिख पंजाबी त्योहारों के अलावा सिंधी त्योहार भी मनाते है जैसे चैति चांद जो सिंधीयों का नया साल है। ये लोग सिंधी भाषा बोलते है।
सिख लोग अब न केवल भारत में बलकी पूरे विश्व में फैले हुए है जैसे अमरीका,कनाडा डा,आस्ट्रेलियाई,इंग्लैंड और मलेशिया। इनकी संस्कृती बहुत अच्छि है और तेजी से बड भी रही है। इनकी संस्कृति पूरे विश्व में फैल रही है साथ ही साथ कई विदेशी लोग भी पंजाब आकर इनकी संस्कृति को देखते हैं और उनके दार्शनिक स्थानों की यात्रा भी कर लेते हैं।