मेरा नाम मोहम्मेद अबु सुफियन है|मै क्रैस्त विस्वविध्यलय मे पादता हून| मेरे माता का नाम मुनीरा और पिता का नाम मोहम्मेद फयाज़ है| मेरी एक छोटी बेहन है सकीना | मेरा जन्म एक गरीब परिवार मे हुवा| मेरे पिताजी एक विद्युत्कार है| वैसेतो हमारे पिताजी का गाव तमिल नादु{बेरिकै} और माता का कर्नटाका{होसाकोटे} है| हम कर्नटाका के बंगलौर {बेगुर }मे १३साल से रहते हैं| मैने अपने बचपन मे बहुत शरारत था| मेरी पेहेली शिक्शा शांतीनिकेतन मे हुवी| मै अपने बचपन मे ४भाषा जानता था और बहुत होशियार था| मेरी माँ केहेते हैं की मै जब छोटा था तब मुझे पकाने का बहूत शूख था और मै बडा होकार पाकाती बानुगा मगर मै अब अपने जीवन मे अपने देश के लिये कुछ करना चाहता हूँ| अब तक मेरे जीवन की गाडी मे बहूत सारी करनमे कि है जैसे की है | जब मै १वि कशा मे था तब मै शूल मे प्रथम श्रेणी मे आया था | मेरे परिवारवालो मे मेरी चाची एक अविश्वसनीय कथाकार है। जब मैं छोटा था , मेरे चचेरे भाई सुहैल और मैं बेहद बैठते हैं और उसके बचपन की कहानियों को बताते मेरी चाची । मुझे अपनी चाची बोहत अछि लगती हैं वह भी एक छोटी लड़की के रूप में एक बडी दिलवाले हैं। मैं कहानी पुस्तकों के एक बहुत पढ़ा करता था । एक विशेष पुस्तक में, मैं एक पक्षी की एक कहानी पढ़ी। तब से, कि मेरे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। यह एक घोंसला बनाने के लिए दर्द का एक बहुत लेता है और मादा पक्षी उस में शरण लेता है और बच्चे का पोषण होता है जो एक नर पक्षी का वर्णन किया। पक्षी उड़ान भरने के लिए सीखता है, पूरे परिवार के अन्य पक्षियों इसमें उनके परिवार को विकसित करने के लिए सुंदर घोंसला छोड़ने के पीछे एक अलग जगह के लिए रवाना मक्खियों। इससे मुझे आश्चर्य है ।एक रात जब मैं गेहेरी नींद मे था और याहा इस विशेष सपना आया । मैं पूरी तरह से अलग-थलग था लेकिन दोनों तरफ खूबसूरत पेड़ के साथ, अंतहीन सड़क पर मील की दूरी पर चल रहा था। हरियाली से मोहित, मैं केवल हरियाली में गहरे और गहरे समाप्त करने के लिए यह की ओर मार्च किया । मैं कुछ देखने पर रोक के लिए गाया है । यह एक विशाल , अद्भुत बंगला था । और जब मै उस बंगले मे जाने लगा कि मेरी आकं खुलगयी और मेरा सपना टूट गया| और जब मेरी १०वी कशा मे था मेरे उपार बहुत्त सारा बूज पडा कि मै १०वी मे हूँ और मुझे खूब पदायी करनी चहिए और आपने मा पिताजी और भगवान कि वजाह से ७८% मिले | उस दीन मै बहुत खुश था और मेरे मा,पिताजी इत्ने खुश थे कि उन्हूने सबको मिटाईयाँ बाटे | और तब मुझे पताचला की मेरे परिवारवाले मुझ्से कित्ना प्यार करते हैं| उसके बाद मै क्रिस जुनियर कॉलेज मे दखिला मिला और मै hesp मे पदा| मित्रता। इसकी एक खूबसूरत चीज है। ये एक रस्सी की तरह है। कोमलता , अंतरंगता , गर्मी और् देखभाल बढ़ जाती है, दोस्ती की रस्सी माँसपेशियाँ हो जाता है। समुद्री मील यह उन्हें खोल के लिए असंभव है कि इतनी मजबूत कर रहे हैं । मैं वास्तव में रस्सी - गाँठ - दोस्ती सूत्र में विश्वास करते हैं लेकिन हमारे मामले में , गंभीर संकट नहीं थे । एक उन कठिन समय का स्पर्श और धीरे-धीरे सभी समुद्री मील खुल जाते हैं| एक सच्चे दोस्त की दोस्ती हमे हमेशा सदमार्ग की ओर अग्रसर करता है, एक सच्चा मित्र अपने मित्र की अच्छाई ओर बुराई को दिखाने वाला आइना होता है|एक सच्चे दोस्त की दोस्ती हर स्वार्थ से परे होता है|वही एक गलत मित्र की संगती हमे बुराईयों की ऐसी दल-दल में धकेल देता है. जंहा हर ओर सिर्फ अंधकार ही अंधकार होता है|हमे वो अंधकार नजर नही आता,हमे हर चीज अच्छी लगती है, हम अंजान होते है, अज्ञान होते है , हम तो बस दोस्ती निभाते चले जाते है| जब तक हम जागते है तब तक काफी देर हो चूका होता है|मित्रता करना आसान है परन्तु मित्रता को परखना आसान नही है|मित्र का स्थान हमारे जीवन में काफी विशिष्ट होता है, अतएव इसका चयन करते वक्त हमे काफी सावधानी बरतनी चाहिए| हम बचपन से सुनते आ रहे है | और अतं मे यहा केहना चाहता हुँ कि जीवन मे हम सब कुछ जेल सक्ते है मगर जो अप्नो कि गदारी होथि है वो नहि बर्दाश नहि करसाक्ते है| यहि है मेरी अब तक ज़िन्दगी कि कहानी|