सदस्य:Mohana penumarti/आंग सान
आंग सान बर्मा का नायकों मे एक था। पहला साम्यवादी थे, बाद मे समाजवादि लोकतंत्र का प्रचार किए थे। वे क्रांतिकारी, राष्ट्र्वादी भी थे। तत्मदाव नामक एक सैनिक दल को आरंभ किया। बर्मा या मियन्मार रष्ट्र पिता का नाम इसको दिया गया। अंग्रेजी-पालित मियन्मार का पंचवी प्रधान का पद १९४६-४७ के बीच मे पाया था। बर्मा के समाजवादी पार्टि का संस्थापन किया।
बर्मा के स्वत्ंत्र मे इनका बडा पात्र निभाया था। स्वतंत्र ६ महीने के बाद आंग सान की हत्या हुई। ये बर्मा के प्रमुख निर्माताओं मे एक है। बर्मा संघ का निर्माता भी कह जाता है। प्यार से बर्मा के लोग इसको 'बोगयोके' (मेजर जनरल) बुलाते है। आज भी बर्मा के प्रजा इनको आदार करते हैं और स्मरण कर्ते रेहते हैं।
आंग सान की बेटी, आंग सान सू की मियन्मार का राजनेता है। वे नोबिल पुरस्कार विजेता और विदेशी मंत्रालय की मंत्री है।
प्रारंभिक जीवन
संपादित करेंआंग सान का जन्म मागवे जिले के नट्मौक नामक गाँव मे १३ फिरवरि १९१५ को हुआ। आंग सान के पिता ऊ-फार और माता दाव-सू थे। ऊ-फार एक न्यायवादी थे। उसके परिवार बर्मा की प्रतिरोध आंदोलन मे भाग लेकर प्रसिद्ध हो गए थे। इनके दादाजी बो-मिन-यांग अंग्रेजी लोग बर्मा की राज्य को हरण कर्ने से विरुद्ध थे। आंग सान के प्राथमिक विद्या नट्मौक के एक बौद्धिक मठवासी पाठ्शाला मे हुआ था। माध्यमिक विद्या यनानग्यांग पाठ्शाला मे हुआ। बाद मे रंगून विश्व विद्यालय मे गया था।
आंग सान के नामों
संपादित करें१ जन्म के बाद- ह्टेइन लिन २ विद्यार्थि नायक और थाकिन के रूप मे- आंग सान ३ नोम दे गुएरे- बो तेजा ४ जापानी नाम- ओमोदा मोञि ५ चीनी नाम- तान लू शांग ६ प्रतिरोध के सांकेतिक नाम- म्यो नांग,यू नांग चो ७ जेनरल ने विन के लिए सांकेतिक नाम- को सेट पे
स्वतंत्रता आंदोलन
संपादित करेंरंगून विश्व विद्यालय मे शामिल होने के बाद वे विद्यार्थि संघ के नायक बन गया। वे रंगून यूनिवेर्सिटि स्टूडेन्टस यूनियन (रूसु) के कार्यकारि समिति नमे भाग लिया था। रूसु के पत्रिक, 'ओवे' क संपादिक भी बन गया। फिरवरि १९३६ मे यू नु के साथ वहाँ से निष्कासन करने की चेतवानी इसको मिला था। क्योंकि ये 'हेल हौंड एट लार्ज' नामक एक लेख लिखनेवाले के नाम बताने को इनकार कर दिया, जिसमे एक वरिष्ट अधिकारि पर आरोपित किया गया था। इससे विश्व विद्यालय मे दूसरी आंदोलन शुरू हुआ था। इसके कारण उसका निष्कासन रद्द हुआ। १९३८ मे रूसु और आल -बर्मा स्टुडेंट्स यूनियन (अबसू) का अद्यक्ष नियुक्त हुआ। १९३८ मे सर्कार उसको विद्यार्थि गन का प्रतिनिधि बनाया। १९३८ मे कलाशाल को छोड्कर जातीय राजनीति कार्यों मे प्रवेश किया। ये बर्मा के सभी बडा राजनैतिक दलों से संबंध जुडे थे। उसमे प्रमुख दल बा-माव का गरीब आदमी दल, दोबामा आसियोने, साम्यवादि क दल है। वह भारतीय काँग्रेस के सभा मे भाग लिया था। लेकिन बर्मा को स्वतंत्र आंदोलन मे प्रधान पात्र बनने के कारण ब्रिटिष सरकार उसको गिरफ्तार करने को वारंट भेज दिया। आंग सान चीनी को जाकर जापानियों से मदद माँगा। जापानियों उसको मदद करने को हाँ कर दिया। सान बर्मा से २९ कामरेडों को लेकर जापानियों के पास लेकर गया। सेना प्रसिक्षण के बाद बर्मा को लौट कर आया। पहला 'बर्मा स्वतंत्र का सेना' का कायम किया। बाद मे 'बर्मा जातीय सेना' के रूप मे बदला। उसको फिर 'बर्मा रक्षा दल' नाम दिया। इनके इस परिश्र्म के कारण ब्रिटिष से बर्मा मुक्ति पा गयी।
स्वतंत्र के बाद
संपादित करेंजापानियों बर्मा को स्वतंत्र करने कि वादा को छोडकर बर्मा पर आक्रमण किया। आंग सान, जो युद्ध मंत्रि थे, अंग्रेजी के सहाय से जापानियों को बाहर कर दिया। लेकिन जब वो मियन्मार (बर्मा) के प्रधान बनने के पहले यु-सा ने उसको हत्या कर दिया। अब इसका बेटी मियन्मार के राजनैतिक विषय मे प्रमुख बन गई।
परिवार
संपादित करेंआंन सान के पत्नि खिन-क्यि थी। उनको चार संतान है। बडा बेटा आंग-सान-ओ अमेरिका मे जी रहा है। दूसरा बेटा आंग-सान-लिन बच्पन मे मर चुका था। तीसरी बेटी आंग सान सू कि मियन्मार के विदेश शाखा कि मंत्रि है। आखिर बेटि आंङ सान चिट १९४६ मे ही जन्म ली थी और मार भी गई। आंग सान कि पत्नि खिन-क्यि १९८८ को मर गए थे। [1]