सदस्य:Mohitaf10/WEP 2018-19
व्यक्तिगत जानकारी | |
---|---|
जन्म नाम | अंजली रमाकांत वेदपथाक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
जन्म |
5 दिसम्बर 1969 मुंबई, महाराष्ट्र |
निवास | पुणे, महाराष्ट्र |
कद | 5'4 feet (163 cms) |
खेल | |
खेल | राइफल शूतिङ् |
कैरियर की शुरुआत | 1988 |
अंजलि भागवत जिनका पूर्ण नाम अंजली रमाकांत वेदपथाक का जम्न ५ दिसंबर १९६९ को मुंबई के एक साधारण कोंकणी परिवार मे हुआ। कार्ल लविस ने अंजली भागवत को एथलीट होने के लिये प्रेरित किय और उन्होंने एनसीसी के कैडेट के रूप में आपनी पहली शूटिंग की, एनसीसी में उच्छे प्रशिश्रण के लिये अंजली भागवत ने मुंबई के किरीती कौलेज से पढ़ाई की।[1]
व्यवसाय
संपादित करें२१ साल कि उम्र में अंजली भागवत ने अपना शूटींग व्यवसाय शुरू किया और १९८८ के राष्र्टीय चैंपियनशिप में रजत पादक जीता। अंजली भागवत ने २००० में ओलंपिक के अंत में पहुंचने वाली दूसरी भारतीय महिला बनीं, इससे पहमे पी टी उषा ओलंपिक के अंत में पहुंचने वाली एकमात्र भारतीय महिला एथलीट थी।
पुरस्कार
संपादित करेंअंजली भागवत को म्यूनिच में आयोजित विश्व कप अंतिम में रजत पदक जीता और २००० में उन्हें दुनिया के नंबर एक रैंकिंग खिमाड़ी के रूप में चुना गया, अंजली भागवत को चैंपियन के चैंपियन के खिताब से नवासा गया[2] , २००० में अंजली भागवत को भारत गोवर्धन व्दारा अर्जुना पुरस्कार से सम्मानित किया गया। २००३ अंजली भागवत के जिवन का स्रर्वश्रेष्ठ र्वष रहा क्यूंकि उस र्वष उन्हंको ५ पुरस्कार से नवासा गया- बार समूह महाराष्र्ट शान, नायक भारती खेल पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी, वर्ष की हिसा स्पोर्ट्स महिला, वर्ष के हिसा शूटर और प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी नवासा गया।
व्यक्तिगत जीवन
संपादित करेंअंजली भागवत ने दिसंबर २००० में मुंबई स्थित कारोबारी मंडर भागवत से शादी की और २०१० मे उन्ह्के पहले पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम आराध्य है। २००६ में अंजली भागवत ने शहर के बेहतर खेल सुविधाअओं के कारण मुंबई से पुणे में अपना आधार स्थनांतरित कर दिया।
लोकप्रिय संस्कृति में
संपादित करेंअंजली भागवत के दृष्टि में एकमात्र चीच सफलता हैं, वह अपने लिये सफलता, अपने देश के लिये सफलता और उन लोगों के लिये सफलता की इच्छा रकती हैं जिने वह प्रतिनिधित्व कर रही हैं। अंजली भागवत लोकप्रिय रूप से एक एसी लड़की होने के लिए जानी जाती हैं जो कभी भी किसी लश्र्य को छूटने ना दे, वह मानती है कि केवल वे लोग जो दबाव को अच्छी तरह से संभालते हैं और जो अपने दिमाग को सही आदेश देना जानते हैं, उनके प्रतिभा कि गिनती होती हैं।