सदस्य:Nakshatra.pramod/प्रयोगपृष्ठ
नक्शत्रा प्रमोद | |
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जन्म |
२८ नवम्बर १९९७ केरल, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा | क्राइस्ट विश्वविद्द्यालय |
धर्म | हिन्दू |
बचपन के दिन मै, नक्षत्रा प्रमोद, का जन्म केरल के त्रीशूर जिल्ले मे सन १९९७, २८ नवंबर मे हुआ था। मेरे पिताजी फोज मे है, और उस समय वह स्रीनगर मे थे। बचपन का पहला दो साल मेने वही, केरल मे बिताया था। जब मै दो साल कि हुइ, तब पिताजी का बदली भोपाल नामक एक शहर मे हुआ। भोपाल मे मेने अपनी शिक्षा आरंभ किया। सन २००२ मे हम पुनजाब आ गए, और वहा पे मुझे आर्मी स्कूल मे धाकिल करवाया। पुनजाब मेरे बहुत अच्छे दोस्तहे बन चुके थे। मुझे बहुत सारे प्रतियोगिता मे प्रथम पुरसकार मिला था। पर जलद ही पिताजी का फिर बदली हो गया। इस बार हम गोआ आ गए। गोआ मे मेने ३ कक्षा से, केन्दीय विद्याल्य मे मेने शिक्षा प्राप्त किया। गोआ मए मेने अपनी जिनदगी के सबसे अच्छे पल जिए। मेरे खूब सारे मित्र थे, जगह अत्यनतं सुनंर थी। विद्यालय की शिक्षा मे भी कोइ कश्ट नही था, पढाई का कोइ समर्ध नही था। जीवन मौज था। पाच साल गोआ मै, मेरे जिन्दगी के सबसे आनंदमैइ था। मगर, अपसोस, पाच़ साल दो मिनट मे खतम हो गए।
नए अनुभव पिताजी, का फिर बदलाव आया, इस बार चेनैइ के लिये। चनैइ शुरू मे बिलकुल पसंद नही आया। वहा की गरमी, भीड और शोर मुझे बहुत परिशान कर देता था। मगर आहिसता आहिसता, जेसे मित्र अबनते गए, जगह बहुत भाने लगी। मेने चनैइ मे २ विद्याल्य बदले, और इसि तरह मेरी विद्यालय की जिनदगी उस जगह पे खतम हुई। अब मेरे पिताजी का बदलाव बैंगलोर नामक एक शहर मे हो चुका है। क्राइस्ट यूनीवरसिटी मे मेरि धाकला हुई। मुझे इत्तिहास पढने मे खूब दिलचसबी थी, बचपन से ही रुची रही है। मेने इतिहास पढने का ढान लिया, और मेरे माता पिता ने मुझे भडावा दिया। मै इतिहास पढ के एक मशहूर आरकियोलिजिस्ट बनना चाहती हू, और दुनिया को यह दिखाना चाहती हू की इतिहास पढना गवाओ का काम नही, बलकी विद्वानो का विशय है। इतिहास के साथ साथ ही, नृत्य मे भी मुझे काफी रूची है, जिसको मै बैगंलोर मे बढावा देने की कोशिश मे हु। बैगंलोर एक अध्भुत जगह है, और इधर मोको कि कोई कमी नही है, इधर तुम चाहो तो आसमान को भी छू सकते हो।
कोलेज के दिन-नया एहसास आखिर कार वो दिन मेरी ज़िदगी मे आ चुके थे, जिसका मुझे बेसबरी से इंतज़ार था। एक इनसान के जिनदगी के सबसे यादगार दिन। जवानी और खुशी से भरे ये अनमोल पर। आखिर इसी को तो कालेज के दिन बोलते है। बहुत छानने के बाद, आखिर एसा कोलेज मिला जिसके विशय बहुत दिलचसब थे। क्राइस्ट यूनीवरसिटी मे मेरा दाखिला हुआ। कालेज मे बहुत सारी प्रतियोगिताए होती रेहती है, जो हुमारे सबसे अच्छे खूबियो को बाह्रर ले आती है। सिर्फ पढई ही नही, बहुत सारी दिलचस्ब चीजे भी होती है। कालेज जितना सोचा था, उस से भी बहुत खूब है। दोस्त भी बहुत अच्छे बन गए है मेरे। कोलेज का एक ही फन्डा है, पढाई के वक्त दिल लगाके पढो, और मजे करने के वक्त जी भर के मजे करो, सब बराबर हो रहेगा।
जीवन का महत्व जिन्द्गी मे जो भि करे, पूरे दिल से, आत्मविशवास के साथ करना चाहिए, बस यही मेरा मानना है। जो करना चाहते हो, उसे दिमाग मे रखके, अपने मकसत की ओर बढते जाईए। मेआ मकसत जिनदगी लका ये है कि मुझे एक मशहूर आर्कियोलोजिस्ट बनना है। मुझे बचपन से एतिहास मे बहुत दिलचसबी थी। मेने इतिहास पढा, और १२ के बोर्ड परीक्षा मे अवल नंबर से पास हुई। कोलेज मइतिहास का विशय फिर लिया, और अभी मन लगाके पढती हू। मुझे खुशी होती है कि मै अपनी इच्छा का विशय पढ रही हू, और मै अपनी मकसत की ओर बढ् रही हू।