कोडावा उतसव

कोडावा उतसव कृषि और सैन्य परंपरा को ध्यान में रखकर मनाया जाता है|कोड़वास मुख्य रूप से तीन प्रकार के त्यौहार मनाते हैं ,जो हैं कैलपल्ड, पुथरी और कावेरी संक्रमान नामक त्यॉहार|

पुथरी संपादित करें

त्यॉहार के पकवान संपादित करें

परंपरा संपादित करें

पुथरी त्यॉहार

पुथरी शब्द ‘पुथ’ और 'एरी' से आता है जिसका मतलब है 'नया चावल'|यह कोडागु के लोगों का फसल त्योहार है पूर्व में, पुथरी एक सप्ताह तक चलने वाला उत्सव है|कोडैगु के कोडवा माह में धान काटा जाता है और कोडागु उत्सव से तीन महीने पूर्व, पुथरी उत्तरी मालाबार में भी मनाया जाता है। इसके बाद अम्मानगीरी गांव में पुजारी दिन और उनके कैलेंडर के आधार पर त्योहार के मुहूर्त और पूर्णिमा का स्वरूप तय करता है। त्योहार को पदी आग्गुताप्पा के मंदिर में प्रमुखता से मनाया जाता है|

त्यॉहार के पकवान

पुथरी के एक दिन पहले घरों में थैंबट नामक एक खास मिठाई जो कि चावल के आटे और केले से बनाया जाता है। प्रत्येक की मदद से उस पर नारियल छिड़कता है और एक छोटा छेद बनाया जाता है, जिसमें घी का एक चम्मच डाला जाता है| फिर एक हलवा मनाया जाता है जीसमे नारियल, सेसमम, अदरक, इलायची और चावल से बना है। इसे झील के पत्तों पर रखा गया है और "नेल्लुकी" के सामने परिवार के सदस्यों के बीच घरों में पूजा की जगह है। खाने में दो विशेष व्यंजन शामिल हैं, "टेंबिटू" जो पके केले और भुना हुआ चावल का आटा से बना है और, "कालीनजी" जो मीठे आलू से बना है।

परंपरा

तीन कूर्ग पुरुषों एक खुले स्थान के केंद्र में जाकर तीनों नामों को आह्वान करते हैं - अयप्पा! महादेव! भगवती!| फीर वह तीन पुरुष त्रिकोण मे खड़े होते हैं, उनके चेहरे केंद्र की तरफ, उनकी पीठ अयप्पा कुर्ग वन-देवता ; महादेव, हिंदू के शिव, और उनकि पत्नी भगवती कि तरफ होती है |पठारी की रात, शाम के करीब एक घंटे के आसपास, नरे कत्तोवो जो 'पत्तियों के बांधने का अनुष्ठान होता है। फीर परीवार के सार े स्दस्य अपने फार्महाउस में इकट्ठा होते हैं और कुछ पेड़ों के पत्ते को एक साथ बांधते हैं, इन्हें नीर कहा जाता है, और एक चटाई पर रखा जाता है। इसके बाद 'किड ईडीपीओ' का पालन किया जाता है जो कि धान शेफ के समारोह काटने का प्रथा है। उसके बाद चांदनी रात में मैदान में जाकर एक महिला दीप जलाती है और हर कोई 'पोली पोली' देवता का नाम लेता है । उसके बाद परिवार के सबसे बड़े व्यक्ति कटौती करते हैं और उन्हें परिवार के अन्य सदस्यों के हाथों मॅ दे देते हैं|वे सभी इस्के बाद घर वापस जाते हैं जहां वे अपने दीप के सामनें शेरों को रख देते हैं। युवाओं भी घर में प्रमुख स्थानों पर नीरे बांध देते हैं|यह सब कार्य के बाद बच्छे पटाखे फोडते हैं और फीर भोजन किया जाता है|अगले दिन मकान समारोह में गायन होता है। पारंपरिक तेलगू ड्रम के साथ दो या चार गायक, घर से घर में जाते हैं| ये गायक प्रत्येक घर में जाकर प्रदशन करते हैं। प्रत्येक गाना मे उस घर के सदस्यों के गुणगान करते हैं |खाना बड़े सार्वजनिक रात्रिभोज के साथ नियुक्ति के विभिन्न घरों में आयोजित किया जाता है, जो जंगल में कुछ खुले मैदान पर दिया जाता है। कुछ दिन बाद लोग मंडे में जाते हैं, शाम को पारंपरिक गांव के साथ में जाते हैं और कोलाटा नृत्य करते हैं जो 'स्टिक डांस' या डांडिया के नाम से जाना जाता है।


संदर्भ संपादित करें

[1] [2]

  1. http://www.coorgexperiences.orangecounty.in/puthari-the-harvest-feast/
  2. https://www.gocoorg.com/coorg-festivals/puttari